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ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अभी तो चुनौतियों की भरमार, पढ़ि‍ए पूरी खबर

सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भले ही घोषित कर दिया हो लेकिन यहां आधारभूत सुविधाएं जुटाना सरकार के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 06 Mar 2020 11:38 AM (IST)
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में अभी तो चुनौतियों की भरमार, पढ़ि‍ए पूरी खबर
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भले ही घोषित कर दिया हो, लेकिन यहां आधारभूत सुविधाएं जुटाना सरकार के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। हालांकि मौसम साथ दे रहा है, लेकिन भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आम से लेकर खास तक तमाम चुनौतियों से भी दो-चार हो रहे हैं। अव्यवस्थाएं कम नहीं हैं। काॢमकों के रहने-खाने के इंतजामों पर उंगली उठ रही तो मोबाइल नेटवर्क भी मुसीबत का सबब बना हुआ है। विधानसभा भवन परिसर से काफी दूर जाकर जैसे-तैसे नेटवर्क मिल पा रहा है। पानी की दिक्कत भी कम नहीं है। आलम यह है कि बाहर से आने वाले लोगों के लिए विधानसभा परिसर में पीने के पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।

देहरादून से 260 किमी दूर गैरसैंण पहुंचने में पूरा दिन लग जाता है। कुछ समय बाद ऑल वेदर रोड बनने पर यह दिक्कत दूर होगी, लेकिन कर्णप्रयाग से गैरसैंण तक अभी ङ्क्षसगल लेन सड़क ही है। बजट सत्र के लिए पूरी सरकार और मशीनरी इन दिनों गैरसैंण में है, मगर जिस तरह से व्यवस्थाएं जुटाई जानी चाहिए थी, उनका अभाव साफ नजर आ रहा है। देहरादून से लगभग 260 किमी दूर भराड़ीसैंण पहुंचे काॢमकों को तमाम कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। कई काॢमकों को भराड़ीसैंण से करीब 15 किमी दूर तो कुछ को कर्णप्रयाग ठहराया गया है। उन्हें रोजाना ही भराड़ीसैंण आना-जाना पड़ रहा है।

जो काॢमक भराड़ीसैंण में ठहरे हैं, उन्हें तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। आवासों में न पर्याप्त पेयजल की व्यवस्था है और न शौचालयों की नियमित रूप से सफाई हो पा रही। और तो और, मंत्री आवासों तक में शौचालयों से पानी की निकासी ठीक नहीं है। मोबाइल नेटवर्क सबसे बड़ी दिक्कत बना हुआ है। स्थिति ये है कि फोन करने के लिए विधानभवन से करीब डेढ़ किमी दूर आना पड़ रहा है। यह तब है, जबकि पूर्व में संचार नेटवर्क को दुरुस्त करने की बात कही गई थी।

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विधानसभा अध्यक्ष की ओर से प्रशासन को इस बारे में निर्देश दिए जाने के बावजूद मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत दूर नहीं हो पाई है। पेयजल की दुश्वारी भी कम नहीं है। भराड़ीसैंण पहुंचने वाले लोगों को हलक तर करने के लिए पानी को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में व्यवस्थाओं को लेकर सवालिया निशान भी लग रहे हैं। अब जबकि सत्र 27 मार्च तक होना है तो उम्मीद है कि मौजूदा स्थिति से सबक लेते बजट सत्र के अगले चरण में व्यवस्थाएं सुधरेंगी।

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