नर्सिंग और पैरामेडिकल क्षेत्र में तैयार होंगे सुपर स्पेशिलिस्ट, पढ़िए पूरी खबर
एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय अब नर्सिंग व पैरामेडिकल क्षेत्र के लोगों को अब स्पेशिलिटी एवं सुपर स्पेशिलिटी स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से तैयार करेगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 26 Dec 2019 07:56 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय अब नर्सिंग व पैरामेडिकल क्षेत्र के लोगों को अब स्पेशिलिटी एवं सुपर स्पेशिलिटी स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से तैयार करेगा। मूल योग्यता से अलग उन्हें विशेषज्ञता प्रदान करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय विभिन्न मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल से टाइअप करने जा रहा है। जिनके साथ मिलकर सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएंगे।
एक वक्त था जब उत्तराखंड के लोगों को बेहतर उपचार के लिए दिल्ली अथवा चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता था। लेकिन, अब गंभीर रोगों का उपचार यहीं मुमकिन हो गया है। पिछले एक दशक के दरम्यान प्रदेश में कई नामचीन मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल खुले हैं। साथ ही आधुनिक सुविधाओं में इजाफा हुआ है। वहीं दूसरी ओर बीमारियों का बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हेल्थ सेक्टर में पेशेवर लोगों की डिमांड भी बढ़ी है। पर स्पेशिलिटी एवं सुपर स्पेशिलिटी स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से अब भी प्रशिक्षित लोगों की कमी है। जबकि मूल योग्यता के बजाय आज स्वास्थ्य क्षेत्र में विशेषज्ञता की जरूरत है।
जिस कारण स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम मौजूदा दौर की जरूरी बन गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय ने एक नयी पहल की है। विश्वविद्यालय ने स्पेशिलिटी एवं सुपर स्पेशिलिटी में सर्टिफिकेट कोर्स चलाने का निर्णय लिया है। जिसके लिए विभिन्न मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल से टाइअप किया जाएगा। यह कोर्स छह माह का होगा और पचास वर्ष तक की उम्र का व्यक्ति कोर्स कर पाएगा।
इन क्षेत्र में होगी महारथ
- इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी व ट्रॉमा, डायलिसिस, रेडियोलॉजी, कार्डियोलॉजी,नेत्र विज्ञान आदि।
- जीएनए, बीएससी नर्सिंग व एमएससी नर्सिंग।
- पैरामेडिकल स्टाफ (डिप्लोमा/डिग्री)
कार्यक्रम का मकसद
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ को जटिल स्वास्थ्य समस्याओं के लिहाज से विशेषज्ञता प्रदान करना।
- स्पेशलिटी एवं सुपर स्पेशलिटी स्वास्थ्य सेवाओं का व्यवहारिक ज्ञान देना।
- स्वास्थ्य के साथ ही विधिक, वित्तीय, तकनीकी, कार्मिक एवं लॉजिस्टिक प्रबंधन व इंजीनियङ्क्षरग एप्लीकेशन आदि का भी प्रशिक्षण।
- मौजूदा संसाधन व सेवाओं का इस्तेमाल कर मरीज की समुचित देखभाल।