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उत्तराखंड में पारंपरिक फसलों का समर्थन मूल्य नए साल में, जानिए प्रस्तावित दरें

राज्य सरकार नए वर्ष में किसानों को सौगात देने जा रही है। इसके तहत छह पारंपरिक फसलों का एमएसपी घोषित करने के मद्देनजर खाका तैयार कर लिया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:53 PM (IST)
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उत्तराखंड में पारंपरिक फसलों का समर्थन मूल्य नए साल में, जानिए प्रस्तावित दरें
देहरादून, राज्य ब्यूरो। किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी राज्य सरकार नए वर्ष में उन्हें सौगात देने जा रही है। इसके तहत छह पारंपरिक फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने के मद्देनजर खाका तैयार कर लिया गया है। इससे किसानों को सरकार से बेहतर दाम पर उपज की बिक्री की गारंटी मिलेगी, वहीं फसलोत्पादन बढ़ाने को भी वे प्रेरित होंगे। 

कृषि उत्पादों की खरीद के मद्देनजर सरकार ने मंडी परिषद में रिवॉल्विंग फंड के गठन का निर्णय लिया है। यह विधेयक विस में पारित हो चुका है, जिसे राजभवन की मंजूरी का इंतजार है। रिवॉल्विंग फंड का उपयोग मंडी समितियों द्वारा किसानों से खरीदे जाने वाले कृषि उत्पादों के भुगतान करने में किया जाएगा। 

अब इसकी अगली कड़ी में राज्य में होने वाली परंपरागत फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कवायद लगभग पूरी कर ली गई है। सूत्रों के मुताबिक जिन परंपरागत फसलों के समर्थन मूल्य प्रस्तावित किए गए हैं, उनमें छह फसलें मंडुवा, झंगोरा, चौलाई, कालाभट, गहथ व राजमा शामिल हैं। मंडुवा का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार घोषित करती है, जबकि शेष का नहीं। मंडुवा का एमएसपी केंद्र ने 31.50 रुपये प्रति किलो रखा है और राज्य भी फिलहाल यही रखने जा रहा है। अलबत्ता, अन्य पांच फसलों के लिए एमएसपी तय की गई है। सूत्रों ने बताया कि रिवाल्विंग फंड के मामले में राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एमएसपी का एलान किया जाएगा। 

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ये हैं प्रस्तावित दरें 

फसल,    एमएसपी (प्रति किग्रा) 

राजमा,       80.00 

गहथ,        78.00 

चौलाई,       52.00 

काला भट,    42.00 

मंडुवा,        31.50 

झंगोरा,        20.00 

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि किसानों के सामने उपज की बिक्री की गारंटी रहे और दाम भी बेहतर मिले, इसके लिए पारंपरिक फसलों का एमएसपी तय किया जा रहा है। नए साल की शुरुआत में छह पारंपरिक फसलों की एमएसपी घोषित कर दी जाएगी।

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