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12900 हेक्टेयर भूमि का सर्वे नगर निगम के लिए बना चुनौती, जानिए वजह

देहरादून नगर निगम का हिस्सा बने 12 हजार 900 हेक्टेयर (129 वर्ग किमी) क्षेत्रफल में सर्वे कराना नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:53 PM (IST)
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12900 हेक्टेयर भूमि का सर्वे नगर निगम के लिए बना चुनौती, जानिए वजह
देहरादून, जेएनएन। गांवों से टूटकर देहरादून नगर निगम का हिस्सा बने 12 हजार 900 हेक्टेयर (129 वर्ग किमी) क्षेत्रफल में सर्वे कराना नगर निगम के लिए चुनौती बना हुआ है। इसकी वजह यह कि संबंधित विकासखंड सिर्फ भूमि का रिकॉर्ड उपलब्ध करा रहे हैं और सरकारी भूमि की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट देने से अधिकारी कतरा रहे हैं। ऐसे में नगर निगम बिना स्पष्ट स्थिति के क्षेत्र के हस्तांतरण को तैयार नहीं है और इससे पहले जमीनों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। यह काम नगर निगम स्वयं करेगा और इसके लिए नगर आयुक्त ने मंडलायुक्त से 10 पटवारी एक साल के लिए उपलब्ध कराने की मांग की है। 

सीमा विस्तार से पहले नगर निगम का क्षेत्रफल करीब 6700 हेक्टेयर (67 वर्ग किलोमीटर) था। जबकि इसमें ग्रामीण क्षेत्रों (रायपुर व डोईवाला विकास खंड) का करीब 12 हजार 900 (129 वर्ग किमी) हिस्सा और जुड़ गया है। इसके साथ ही नगर निगम का क्षेत्रफल अब 19 हजार 600 हेक्टेयर हो गया है। अतिरिक्त जुड़े हिस्से में बड़ी संख्या में पंचायत/सरकारी भूमि भी है। विकास खंडों के रिकॉर्ड में ऐसी भूमि को खाली दर्शाया गया है।

मगर, सच यह भी है कि ऐसी तमाम जमीनों पर कब्जे किए जा चुके हैं। लिहाजा, यदि नगर निगम ज्यों के त्यों क्षेत्रफल प्राप्त कर लेता है तो बाद यह कहा जा सकता है कि ये कब्जे नगर निगम के सीमा विस्तार के बाद किए गए हैं। नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि इसी तस्वीर को साफ करने के लिए सर्वे कराया जाएगा। साथ ही जिस पंचायत क्षेत्र में कब्जे पाए गए, वहां के प्रधान के खिलाफ कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।

निगम के पास महज दो कार्मिक 

इस समय नगर निगम के पास भू-सर्वे से संबंधित एक नायब तहसीलदार और महज एक पटवारी हैं। इसी कारण सर्वे के काम में देरी हो रही और अतिरिक्त पटवारियों की मांग की गई है। 

सेटेलाइट तस्वीर भी मंगाई गई 

नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने बताया कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) से निगम का हिस्सा बने ग्रामीण क्षेत्रों की सेटेलाइट तस्वीरें मंगाई गई हैं। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि अतिक्रमण किस-किस अवधि में हुआ है।   

गुच्चुपानी में अतिक्रमण देख भड़के महापौर, होगी पैमाइश 

शहर के सीमा विस्तार के बाद नगर निगम के शहरी क्षेत्र में शामिल हुए गांवों में अतिक्रमण इन दिनों जोरों पर है। ताजा मामला अनारवाला से सटे गुच्चुपानी पर्यटकस्थल का है, जहां सरकारी जमीन पर बेधड़क अवैध कब्जे हो रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने बीते दिनों शिकायत महापौर सुनील उनियाल गामा से की। जिस पर गुरूवार को महापौर निगम की टीम संग औचक निरीक्षण को पहुंचे तो उन्हें पूरे क्षेत्र में अतिक्रमण की बयार दिखी। उनका पारा चढ़ गया और अधिकारियों को लापरवाही पर खरीखोटी सुनाई। महापौर के सामने ही अवैध निर्माण चलता रहा। उन्होंने जमीन से जुड़े कागजात मांगे तो कोई भी प्रस्तुत नहीं कर सका। जिस पर महापौर ने पूरे क्षेत्र की पैमाइश करने के निर्देश भूमि अनुभाग को दिए। 

गुरूवार दोपहर महापौर सुनील उनियाल गामा निगम अधिकारियों समेत अनारवाला व गुच्चुपानी में निरीक्षण को पहुंचे। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण की आशंका के बीच निरीक्षण को पैदल निकले महापौर ने इलाके में हर तरफ अतिक्रमण व अवैध कब्जों की बाड़ पाई। महापौर गामा ने देखा कि क्षेत्र में बेखौफ सरकारी जमीनें खुर्दबुर्द की जा रही हैं। जब महापौर ने निर्माण कार्य को लेकर लोगों से कागजात मांगे तो उनमें खलबली मच गई। आसपास लोगों की भीड़ भी जुट गई लेकिन कोई कागजात नहीं दिखा सका। महापौर ने उक्त लोगों को संबंधित जमीन से जुड़े दस्तावेज नगर निगम में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। कागजात उपलब्ध ना कराने पर अतिक्रमण और कब्जे ध्वस्त करने की चेतावनी दी गई। उन्होंने भूमि कर अनुभाग के अधीक्षक धर्मेश पैन्यूली और पटवारी राजेंद्र उनियाल को पूरे इलाके की पैमाइश कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। 

गांवों में हो रहे बेधड़क अवैध कब्जे 

नगर निगम में शामिल 72 गांवों में खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर इन दिनों बेधड़क अवैध कब्जे हो रहे हैं। निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव की आड़ में प्रशासन पूरी तरह चुप रहा और कब्जेधारी जमीन घेरते रहे। महापौर ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी जमीनों पर पैमाइश कर अवैध कब्जे खाली कराए जाएं। 

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