गरीब बेटियों का सहारा बनकर भविष्य संवार रही तारा मां
श्रीतारा मां ने वर्ष 2012 में देहरादून जिले के रायवाला स्थित हरिपुरकलां गांव में एक संस्थान की नींव रखी। इसके जरिये वह गरीब परिवारों की बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दे रही हैं।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 09 Mar 2018 11:09 AM (IST)
रायवाला, देहरादून [दीपक जोशी]: शिक्षा ही ऐसा माध्यम है, जो नारी समाज को जागरूक एवं सशक्त बना सकता है। इसमें कन्याओं के लिए शिक्षा का उचित प्रबंध होना बेहद जरूरी है। इसी भावना के साथ श्रीतारा मां ने वर्ष 2012 में देहरादून जिले के रायवाला स्थित हरिपुरकलां गांव में ऐसे संस्थान की नींव रखी, जिसके जरिये उन सैकड़ों बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है, जो बेहद गरीब परिवारों से हैं।
पहली से आठवीं कक्षा तक संचालित श्री मां कन्या विद्यालय में हर वह लड़की प्रवेश पा सकती है, जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। वर्तमान में यहां 120 बेटियां मुफ्त शिक्षा पा रही हैं। इन बच्चों को ड्रेस, कापी-किताब आदि विद्यालय की ओर से ही मुहैया कराए जाते हैं।विद्यालय में बच्चों के लिए खेलकूद व मनोरंजन के भी भरपूर इंतजाम हैं। सुबह ध्यान, साधना, योग व प्रार्थना और इसके बाद पूरे दिन पढ़ाई। इंडोर गेम के साथ, कंप्यूटर लैब, टीवी व समाचार पत्र की सुविधा भी विद्यालय में है। संगीत प्रशिक्षक विनोद कौशिक के निर्देशन में यह बच्चे गीत-संगीत में भी पारंगत हो रहे हैं। श्री तारा मां की सेवा भावना को देखते हुए सभी लोग उन्हें 'माताजी' नाम से संबोधित करते हैं।
आपदा प्रभावित दस बेटियों का सहाराकेदारघाटी की आपदा से प्रभावित दस बेटियां भी श्रीतारा मां के सानिध्य में भागीरथी धाम में जीवनयापन और शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। संस्थान से जुड़ी मंजू तेजवानी ने बताया कि श्रीतारा मां की प्रेरणा से ठाणे (महाराष्ट्र) में भी दिव्यांग बच्चों के लिए पहली से दसवीं कक्षा तक 'स्नेहदीप' नाम से विद्यालय संचालित हो रहा है। यहां 350 बच्चे अध्ययनरत हैं।
आधुनिक कंप्यूटर लैब में आधुनिक शिक्षा यहां पढ़ने वाली कन्याओं के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि आज के तकनीकी युग के मुताबिक आधुनिक कंप्यूटर लैब भी उपलब्ध है। यहां इनको आधुनिक कंप्यूटर ज्ञान के साथ सूचना तकनीकी, इंटरनेट आदि का ज्ञान भी कराया जाता है।
बच्चों को मिलता है आध्यात्मिक वातावरणश्री मां कन्या विद्यालय हरिपुरकलां की प्रधानाचार्य पुष्पा कोटवानी के मुताबिक बच्चे संस्कारित बनें, इसके लिए उन्हें आध्यात्मिक वातावरण प्रदान किया जाता है। तारा मां की प्रेरणा से कन्या संरक्षण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की दिशा में भी कार्य हो रहा है।यह भी पढ़ें: आपदा के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, महिलाओं की संजीवनी बनी मंदाकिनीयह भी पढ़ें: महिला दिवस पर श्रीनगर की वर्तिका जोशी को नारी शक्ति पुरस्कार
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