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शिक्षकों ने की वास्तविक वेतनमान की मांग, सरकार को भेजा ज्ञापन

जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों की वेतन विसंगतियों में सुधार न होने से शिक्षकों में रोष है। शिक्षकों ने विभाग से काल्पनिक वेतनमान निर्धारण की व्यवस्था खत्म कर हर शिक्षक को वास्तविक वेतनमान देने की मांग की। प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने सरकार राज्यपाल शिक्षा विभाग को ज्ञापन प्रेषित भेजा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 10:30 AM (IST)
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जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों की वेतन विसंगतियों में सुधार न होने से शिक्षकों में रोष है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों की वेतन विसंगतियों में सुधार न होने से शिक्षकों में रोष है। शिक्षकों ने विभाग से काल्पनिक वेतनमान निर्धारण की व्यवस्था खत्म कर हर शिक्षक को वास्तविक वेतनमान देने की मांग की है। प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने राज्य सरकार, राज्यपाल एवं शिक्षा विभाग को ज्ञापन प्रेषित कर यह विसंगति दूर करने की मांग की है।

रविवार को रेसकोर्स स्थित शिक्षक भवन में संघ की बैठक हुई। जिसमें शिक्षकों ने 10 मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की। संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने कहा कि विभाग वेतनमान निर्धारण के लिए जारी एक आदेश की गलत व्याख्या कर शिक्षकों पर थोप रहा है। इस आदेश के अनुसार एक जनवरी, 2006 के बाद पदोन्नत शिक्षकों को 17140 वेतनमान निर्धारित तो किया गया, लेकिन यहां नोशनली यानि काल्पनिक शब्द का इस्तेमाल कर दिया गया। 

इसी आदेश में शिक्षकों को 17140 वेतनमान का लाभ 28 दिसंबर, 2018 के बाद से वास्तविक रूप से देने के आदेश हुए हैं। संघ ने शिक्षा विभाग पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग पहले 12 वर्षों तक वेतनमान तय कर वेतन बांटता है, फिर अपने ही आदेश को गलत बताकर शिक्षकों से रिकवरी के आदेश जारी कर देता है। इससे करीब 5000 शिक्षक प्रभावित हैं। हालांकि, शिक्षकों के कोर्ट से स्टे लाने के बाद से रिकवरी पर जरूर रोक लगी है, लेकिन विभाग की ओर से वास्तविक वेतनमान के लिए आदेश अब तक नहीं निकाला गया।

संघ को तोड़ने वालों को बाहर करने की मांग

राजकीय शिक्षक संघ की दून इकाई के अध्यक्ष सुभाष झल्डियाल ने संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी से शिक्षकों को बरगला रहे शिक्षकों को संघ से बाहर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कैडर चाहे कोई भी हो लेकिन राजकीय शिक्षक संघ ही मूल संघ है। इससे हटकर शिक्षकों में मतभेद पैदा करने के लिए अगर कुछ लोग अलग संघ बना रहे हैं, तो इन्हें मूल संघ में रहने का अधिकार नहीं। 

हालांकि, सीटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय राजपूत का कहना है कि उनके संघ से जुड़े शिक्षक राजकीय शिक्षक संघ के सदस्य भी बने रहेंगे। लेकिन सीटी संवर्ग के शिक्षकों की मांगों को उठाने के लिए यह संगठन भी बनाया जाना जरूरी था। उधर, राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सीटी संवर्ग वर्ष 1989 में ही खत्म कर दिया है। ऐसे किसी संघ की जानकारी उन्हें नहीं है।

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