स्कूल बंद होने से चुप्पी का माहौल शिक्षक संगठन को अखर रहा
कोरोना नए संकट के रूप में भले ही दोबारा दस्तक दे रहा है लेकिन बंद पड़े सरकारी प्राथमिक विद्यालय अब शिक्षकों में उकताहट पैदा करने लगे हैं। छठी से 11वीं तक स्कूल खोले जा चुके हैं लेकिन कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल अब भी बंद ही हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 18 Mar 2021 10:05 AM (IST)
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। कोरोना नए संकट के रूप में भले ही दोबारा दस्तक दे रहा है, लेकिन बंद पड़े सरकारी प्राथमिक विद्यालय अब शिक्षकों में उकताहट पैदा करने लगे हैं। छठी से 11वीं तक स्कूल खोले जा चुके हैं, लेकिन कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल अब भी बंद ही हैं। शिक्षक संगठन मांग कर रहे हैं कि प्राथमिक स्कूलों को भी खोला जाए। नया शैक्षिक सत्र आगामी जुलाई माह से शुरू होने के आसार हैं। जुलाई से इन स्कूलों को खोलने की पुरजोर पैरवी की जाने लगी है। सरकार और विभाग ने इस मामले में किसी तरह के संकेत नहीं दिए हैं। दरअसल कोरोना का खतरा फिर बढ़ने लगा है। अभिभावक खौफजदा हैं। सरकार की नीति अभी वेट एंड वाच की है। प्राथमिक शिक्षकों का संगठन सबसे बड़ा शिक्षक संगठन है। अगले विधानसभा चुनाव में चंद महीने ही बचे हैं। स्कूल बंद होने से चुप्पी का माहौल संगठन को अखर रहा है।
विभाग की भी परीक्षा
प्रदेश में शिक्षा विभाग को खुद परीक्षा देनी होगी। सरकार बोर्ड के साथ ही गृह परीक्षाएं आफलाइन कराने का फैसला ले चुकी है। परीक्षाएं अप्रैल से मई के बीच होंगी, ऐसे में परीक्षाॢथयों को स्कूलों में आफलाइन पढ़ाई शुरू होने का फायदा मिलने की उम्मीदें हैं। विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती गृह परीक्षाओं की है। कक्षा छह से 11वीं तक कक्षाएं बीते मार्च माह से लेकर जनवरी तक आनलाइन ही चली हैं। विभाग के सर्वे में ये भी सामने आ चुका है कि आनलाइन पढ़ाई की कवायद का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 40 फीसद तक छात्र-छात्राओं को नहीं मिला है। ऐसे में इन छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा प्रश्नपत्र तैयार करने की चुनौती है। विभाग का आशावाद काबिलेगौर है। फरवरी से स्कूलों में प्रारंभ हुई पढ़ाई का लाभ छात्र-छात्राओं को दिलाए जाने पर पूरा जोर है। इसलिए कक्षाओं में पढ़ाई और पुनरावृत्ति साथ कराने के निर्देश दिए गए हैं।
गुरुजनों ने दिखाई प्रतिभासरकारी स्कूलों में बच्चों की प्रतिभा को निखारने वाले गुरुजन यदि गीत-संगीत व नृत्य में खुद अपनी प्रतिभा का लोह मनवाएं और शिक्षा विभाग उन्हेंं सम्मानित करे, तो ये नजारा कुछ अलहदा होना स्वाभाविक है। ऐसी ही अनूठी पहल विभाग में पहली बार हुई है। प्रदेश स्तर पर शिक्षक प्रतिभा सम्मान प्रतियोगिता हुई। इसमें चुने गए करीब दो दर्जन शिक्षक-शिक्षिकाओं ने शास्त्रीय व सुगम संगीत, गायन और लोकनृत्य श्रेणियों में अपनी प्रस्तुतियों से सभी को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। समारोह में शिरकत करने से अभिभूत नजर आ रहे शिक्षकों ने इस पहल के लिए विभाग के कसीदे कसे। इस दौरान कुछ शिक्षक भाव विह्वल भी हो गए। इसकी वजह भी उन्होंने बताई कि कला व संगीत को पढ़ाई से कमतर मानने वालों को इससे सबक मिलेगा। शिक्षणेत्तर कार्यक्रमों में शिक्षकों की यह भागीदारी आने वाले समय में छात्र-छात्राओं की प्रतिभाओं को निखारने के काम भी आएगी।
मंत्रीजी के नए तेवरसूबे में तकरीबन 10 दिन तक सियासी हलचल मची तो सबसे बड़े महकमे शिक्षा में आला अधिकारी मौज में रहे। गैरसैंण में आनन-फानन में निपटाए गए बजट सत्र के बाद चक्र ऐसा घूमा कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। इसके साथ ही मंत्रिमंडल भी पैदल हो गया। शासन और मंत्रालय के साथ बैठकों में व्यस्त रहने वाले अधिकारी सुकून के पल गुजारते दिखे। दस दिन तक उन्हें न किसी ने पूछा और न ही उन्होंने किसी को पूछने की जरूरत महसूस की। कुछ अधिकारियों ने सैर के लिए वक्त भी निकाला तो कुछ ने मंदिर दर्शन भी किए। हालांकि आरामतलबी के वक्त भी राजनीतिक घटनाक्रम पर उनकी नजरें गड़ी हुई थीं। अब पर्दा उठ चुका है। विभाग की कमान दोबारा कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय के हाथों में आते ही विभागीय अधिकारी फाइलों पर जमी धूल झाड़ने हैं। मंत्रीजी के नए तेवरों से कुछ अधिकारियों की घिग्घी भी बंधी है।
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