उत्तराखंड : पहाड़ के शिक्षकों में तबादला एक्ट को लेकर भारी आक्रोश
उत्तराखंड में पहाड़ के शिक्षकों में तबादला एक्ट को लेकर भारी आक्रोश हैं। उन्होंने तबादला एक्ट को शिक्षा विभाग का अन्यायपूर्ण निर्णय करार दिया है। बता दें कि शिक्षकों ने यदि सुगम में आने का अवसर छोड़ा तो अगले पांच साल तक उनके तबादले पर विचार नहीं होगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 30 May 2022 03:41 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : वर्षों से पहाड़ों में सेवाएं दे रहे शिक्षकों ने यदि सुगम में आने का अवसर छोड़ा तो अगले पांच साल तक उनके तबादले पर विचार नहीं किया जाएगा। तबादला एक्ट में इस नियम को शामिल करने का पहाड़ों में कार्यरत हजारों शिक्षकों ने विरोध दर्ज किया। उन्होंने इसे शिक्षा विभाग का अन्यायपूर्ण निर्णय करार दिया है।
विदित रहे कि प्रदेश में इन दिनों शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है। एक्ट में दुर्गम क्षेत्र के शिक्षकों को तो राहत प्रदान की गई है, लेकिन पहाड़ों में रहने के इच्छुक शिक्षक यदि सुगम क्षेत्र के स्कूलों में आने का अवसर छोड़ते हैं तो उन शिक्षकों के तबादलों पर अगले पांच साल या फिर उनकी सेवानिवृत्ति (जो भी पहले हो) तक सुगम क्षेत्र की स्कूलों में तबादले पर विचार नहीं किया जाएगा।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बंदना गर्ब्याल की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक इस मामले में केवन उन शिक्षकों के तबादलों पर विचार किया जाएगा जिन्होंने 55 साल की आयु पूरी कर ली या फिर गंभीर रूप से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इस नियम का पहाड़ में कार्यरत शिक्षकों ने कड़ा विरोध किया है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि वर्षों से पहाड़ों में सेवा दे रहे शिक्षक यदि किसी कारण इस बार तबादला नहीं चाहते हैं तो उनको पांच साल इंतजार करना होगा। यह नियम एक्ट से हटाना होगा।
दिग्विजय सिंह चौहान (प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ) का कहना है कि वर्षों से पहाड़ों में सेवारत शिक्षक यदि किसी कारणवश फिलहाल सुगम में तबादले को लेकर आवेदन नहीं करते हैं तो ऐसे शिक्षकों के स्थान पर दूसरे शिक्षकों को मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन तबादला एक्ट में इसका प्रविधान नहीं किया गया, जो कि बड़ी खामी है। शिक्षा विभाग को इसमें संशोधन करना चाहिए। हजारों शिक्षकों के तबादले प्रभावित हो रहे हैं।
रघुवीर सिंह पुंडीर (प्रदेश अध्यक्ष जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ) का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षक पहले ही कई तरह की विषम परिस्थिति में वहां काम कर रहे हैं। यदि पारिवारिक परिस्थितियों के चलते वह इस बार सुगम के लिए आवेदन नहीं कर पाए हैं तो उन्हें सुगम का अवसर छोड़ने पर उनके तबादले पर पांच साल विचार न करना अन्याय है। प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ इसका कड़ा विरोध करेगा।
10 जून तक आवेदन की तिथि बढ़ाने का आग्रहमाध्यमिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि तबादला एक्ट के तहत इच्छुक शिक्षकों के तबादले के लिए आवेदन की तिथि 31 मई तक निर्धारित है। इस तिथि तक सभी पात्र शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए हैं। इसे देखते हुए शासन से आवेदन की तिथि 10 दिन और बढ़ाने का आग्रह किया गया है, ताकि दस जून तक सभी पात्र शिक्षक आवेदन कर सकें।तबादलों के लिए खाली पदों की सूची जारी
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि शिक्षकों के तबादलों के लिए लगभग सभी जिलों ने खाली पदों की सूची जारी कर दी है। इस आधार पर शिक्षकों के तबादले किए जाएंगे। तबादला एक्ट का पूरी तरह से पालन करने को लेकर निर्देशित किया गया है।
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