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उत्तराखंड में टीम त्रिवेंद्र का विस्‍तार, तीन खाली सीटों के लिए 46 विधायक दावेदार; पांच रह चुके हैं मंत्री

मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जल्‍द अपनी टीम में नए सदस्‍यों को शामिल करने की तैयारी में हैं। मंत्रिमंडल में तीन सीट खाली हैं लेकिन दावेदार हैं 46 विधायक।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 06 Sep 2020 09:52 PM (IST)
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उत्तराखंड में टीम त्रिवेंद्र का विस्‍तार, तीन खाली सीटों के लिए 46 विधायक दावेदार; पांच रह चुके हैं मंत्री
देहरादून, विकास धूलिया। उत्‍तराखंड में मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जल्‍द अपनी टीम में नए सदस्‍यों को शामिल करने की तैयारी में हैं। मंत्रिमंडल में तीन सीट खाली हैं, लेकिन दावेदार हैं 46 विधायक। इनमें पांच विधायक ऐसे हैं, जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा एक दर्जन से ज्‍यादा ऐसे विधायक भी अपना नंबर लगने का इंतजार कर रहे हैं, जो दो या इससे ज्‍यादा बार विधानसभा पहुंचे हैं। मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र के मुताबिक आलाकमान से हरी झंडी लेने के बाद वह नए सदस्‍यों को मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे।

उत्‍तराखंड की 70 सदस्‍यीय विधानसभा में संवैधानिक प्रविधान के मुताबिक अधिकतम 12 सदस्‍यीय मंत्रिमंडल हो सकता है। 18 मार्च 2017 को जब त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्‍व में मंत्रिमंडल वजूद में आया, तब 10 विधायक इसका हिस्‍सा बने। यानी, पहले ही दिन से मंत्रिमंडल में दो सीट खाली रखी गईं। पिछले साल जून में मंत्रिमंडल के वरिष्‍ठ सदस्‍य प्रकाश पंत का असामयिक निधन हो गया। इससे मंत्रिमंडल में एक और सीट रिक्‍त हो गई। इसके बाद से कई बार नए मंत्रियों को शपथ दिलाने की चर्चा सियासी गलियारों में चली, मगर ऐसा हुआ नहीं।

इसी फरवरी में त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात कर मंत्रिमंडल विस्‍तार पर चर्चा के बाद हरी झंडी ले ली थी। उस वक्‍त मुख्‍यमंत्री ने जागरण से बातचीत में साफ तौर पर कहा था कि मार्च में गैरसैंण में विधानसभा सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्‍तार कर दिया जाएगा। गैरसैंण  में विधानसभा सत्र तो निबट गया, मगर फिर कोविड 19 के प्रकोप के कारण देशभर में लॉकडाउन लागू हुआ तो मंत्रिमंडल विस्‍तार भी टल गया।

हाल ही में उत्‍तराखंड भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में जब मंत्रिमंडल विस्‍तार का मुददा उठा, तो कोर ग्रुप ने इसे मुख्‍यमंत्री का विशेषाधिकार मानते हुए फैसला त्रिवेंद्र पर ही छोड दिया। इसके बाद जागरण से बातचीत में मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह फिलहाल स्‍वास्‍थ्‍यलाभ कर रहे हैं। जल्‍द ही दिल्‍ली जाकर उनसे इस संबंध में चर्चा की जाएगी। भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा से भी इस बारे में विमर्श करने के बाद मंत्रिमंडल विस्‍तार पर फैसला ले लिया जाएगा।

मुख्‍यमंत्री के समक्ष है ये दुविधा

उत्‍तराखंड की 70 सदस्‍यीय  विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक हैं। इनमें से पांच विधायक पहले मंत्री रह चुके हैं। इनके अलावा लगभग 15 विधायक ऐसे हैं, जो दो या इससे ज्‍यादा बार चुनाव जीत चुके हैं। 57 में से नौ विधायक मंत्रिमंडल में हैं। एक विधानसभा अध्‍यक्ष और एक उपाध्‍यक्ष हैं। यानी 11 विधायक एडजस्‍ट हैं, 46 मंत्री पद के दावेदार हैं। सरकार 92 भाजपा नेताओं को दायित्‍व सौंप चुकी है। इनमें से 58 को विभिन्‍न निगमों, परिषदों, आयोगों में अध्‍यक्ष या उपाध्‍यक्ष पद दिया गया है, जिन्‍हें मंत्री पद का दर्जा हासिल है। इनमें एक भी विधायक शामिल नहीं है। अब हर विधायक मंत्री पद का तलबगार है। खाली सीट तीन और दावेदार हैं 46 विधायक।

अफसरों के बहाने दबाव की रणनीति

हाल ही में कुछ भाजपा विधायक देहरादून के विधायक हॉस्‍टल में बैठकें कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिशों में जुटे रहे। हालांकि इन्‍होंने मुख्‍यमंत्री या सरकार को सीधे निशाने पर लेने से गुरेज किया, मगर परोक्ष तौर पर दबाव में लेने में कोई कसर भी नहीं छोडी। अब यह बात दीगर है कि इन विधायकों की रणनीति फुस्‍स साबित हुई। राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नडडा से विधायक चुफाल की मुलाकात के बाद, जिस तरह चुफाल के तेवर ढीले दिखे, उससे तो संकेत साफ हैं कि त्रिवेंद्र के कदम डिगाने में फिल‍हाल किसी को कोई कामयाबी नहीं मिली है।

क्‍या बोले मुख्‍यमंत्री

सीएम रावत ने कहा, मैंने फरवरी में ही केंद्रीय नेतृत्‍व से मंत्रिमंडल विस्‍तार पर चर्चा की, सहमति भी मिल गई थी। इरादा विधानसभा के गैरसैंण सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्‍तार का था। आपसे बातचीत में मैने तब भी साफ तौर पर इस बारे में कहा था कि जल्‍द नए मंत्री बनाए जाएंगे। फिर कोविड 19 के कारण परिस्थितियां बदल गईं। सरकार की प्राथमिकता कोरोना संक्रमण से बचाव पर केंद्रित हो गई। जब भी हालात नियंत्रण में महसूस होंगे, मंत्रिमंडल में नए सदस्‍यों को शामिल किया जाएगा। मैं चाहता  हूं कि एक बार फिर इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्‍व से चर्चा करूं।

ये हैं पांच विधायक, जो रह चुके हैं मंत्री

खजानदास

हरबंस कपूर

बिशन सिंह चुफाल

बलवंत सिंह भौर्याल

बंशीधर भगत

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दो या इससे ज्‍यादा बार के विधायक

महेंद्र भट्ट

मुन्‍ना सिंह चौहान

सहदेव सिंह पुंडीर

उमेश शर्मा काउ

गणेश जोशी

प्रदीप बत्रा

कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन

दिलीप सिंह रावत

चंदन रामदास

सुरेंद्र सिंह जीना

हरभजन सिंह चीमा

राजकुमार ठुकराल

राजेश शुक्‍ला

पुष्‍कर सिंह धामी

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