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नशे के कारोबारियों के लिए किशोर और युवा सॉफ्ट टारगेट

किशोर और युवा नशे के कारोबारियों के लिए सॉफ्ट टारगेट बनते जा रहे हैं। हर तरह का नशा इन पर हावी है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 08 Feb 2019 01:22 PM (IST)
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नशे के कारोबारियों के लिए किशोर और युवा सॉफ्ट टारगेट
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। नशे के कारोबारियों के लिए किशोर और युवा सॉफ्ट टारगेट बनते जा रहे हैं। नशीले इंजेक्शन व गोलियों से लेकर चरस, स्मैक, अफीम, गांजा समेत हर तरह का नशा इन पर हावी है। पिछले तीन माह में पुलिस ने जो मामले पकड़े हैं वह तस्दीक कर रहे हैं कि राजधानी में नादान कदम नशे से बेदम होते जा रहे हैं। तीन माह में पुलिस ने 25 ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो खुद नशे का आदी होने के साथ-साथ नशे के धंधे से भी जुड़े हुए हैं। चिंताजनक बात ये है कि इन 25 आरोपियों में से 10 किशोर और युवा हैं। वहीं, वर्ष 2018 में गिरफ्तार 452 आरोपियों में से 66 स्कूल व कालेज के छात्र थे। 

इनमें तीन छात्राएं भी शामिल थीं। सवाल उठ रहा कि आखिर ऐसी क्या वजह है, जो युवाओं को नशे की जरूरत पड़ रही। मनोविज्ञानियों का मानना है कि माहौल, तनाव, एकाकीपन समेत नए प्रयोग या प्रेम-संबंधों में असफलता इसके मुख्य कारण हैं। 

हर कोई पढ़ने में, दिखने में या हर क्षेत्र में श्रेष्ठ नहीं हो सकता, लेकिन चाह सभी की होती है कि वे खास बनें। इस चाह का सबसे ज्यादा असर भी किशोरावस्था में ही होता है। छोटी-छोटी बातों को भी दिल से लगा लेने के कारण कई बार किशोर गलत रास्ते पर निकल पड़ते हैं। नशे की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे यही एक बड़ी वजह सामने आ रही है। हॉस्टल और पेइंग गेस्ट में रहने वाले किशोरों के साथ एकाकीपन की समस्या सबसे पहले आती है। वहीं, उनके ऐसे लोगों से दोस्ती भी खतरनाक साबित होती है जो पहले से नशे की गिरफ्त में हों। शायद ही यहां ऐसा कोई हॉस्टल या शिक्षण संस्थान हो, जिसके आसपास नशे का कारोबार पैर न पसार चुका हो। बावजूद इसके न कभी पुलिस ने इस दिशा में प्रभावी कदम बढ़ाए, न ही अन्य जिम्मेदारों ने। 

पहले मुफ्त सेवा, फिर कीमत चार गुना

नशे की लत लगाने के लिए धंधेबाजों का फंडा भी गजब है। वह पहले मुफ्त में नशा उपलब्ध कराते हैं और जब किशोर व युवा इसकी जकड़ में आ जाते हैं तो उनसे चार गुना कीमत वसूली जाती है। अहम बात ये है कि वे युवा इसकी जकड़ में ज्यादा आते हैं जो दूसरे शहरों से यहां आकर शिक्षा ले रहे हैं। राजधानी में बीते कुछ वक्त में जिस तरह शिक्षण संस्थानों की संख्या में इजाफा हुआ है, उसी तेजी से नशे का कारोबार भी बढ़ता चला गया। 

ये नशा इस्तेमाल कर रहे युवा

अब शराब और सिगरेट का नशा पुराना हो गया है। इसके दो कारण हैं, पहला ये नशे महंगे पड़ते हैं और दूसरा इनका असर भी कम समय के लिए रहता है। इस वजह से युवा इंजेक्शन, गोलियां, चरस, गांजा व स्मैक की तरफ बढ़ रहे हैं। जो युवा कम कीमत में नशे का मजा लेना चाहते हैं, वे व्हाइटनर के साथ प्रयोग किए जाने वाला फ्लूड, आयोडेस्क, शू पॉलिश, थिनर आदि को इस्तेमाल कर रहे हैं।

सिर्फ छुटभैय्या पर कार्रवाई

नशे का नेटवर्क चलाने वाले 'असल किरदार' कभी गिरफ्त में नहीं आते। सिर्फ कुछ छुटभैय्या ही पुलिस के हत्थे चढ़ पाते हैं। पिछले तीन माह के आंकड़े गवाह हैं कि पुलिस ने ऐसा कोई बड़ा तस्कर गिरफ्तार नहीं किया। जो 25 आरोपी पकड़े गए, वे सभी छोटे-मोटे एजेंटों के तौर पर नशे का नेटवर्क चला रहे थे। पुलिस ने अपना एक एंटी नारकोटिक्स सेल भी बनाया था, मगर तबादले-दर-तबादले के चलते यह सेल कभी अस्तित्व में आया ही नहीं। 

कैसे करें बच्चे का बचाव

- बच्चों में आत्म निर्भरता और आत्म अनुशासन की आदत डालें

- बच्चे में खुद फैसले लेने और सही गलत में अंतर करने की क्षमता पैदा करें

- समय-समय पर उससे परेशानियों के बारे में पूछें और डांटने के बजाए उसकी मदद करें

- टोकाटोकी के बजाए उसकी परेशानी समझने की कोशिश करें

- लगातार संवाद बनाए रखें, उसके दोस्तों से मिलें व उनके संबंध में जानकारी रखें

डा. सोना कौशल  (न्यूरो साइकोलॉजिस्ट) का कहना है कि अपने लुक, पढ़ाई और आर्थिक स्थिति को लेकर कुंठा, पढ़ाई का दबाव, परिवार द्वारा बार-बार खर्च की बात करते हुए अच्छे नंबर लाने का दबाव, प्रेम संबंधों में असफलता और प्रयोग के तौर पर नशीले पदार्थों का सेवन किशोरों व युवाओं को नशे के गिरफ्त में ले आता है। कम उम्र में नई नई चीजों के प्रति स्वाभाविक जिज्ञासा होती है। ऐसे में कुछ गलत दोस्तों का साथ किशोरों को नशे की ओर धकेल सकता है। परिवार से दूर रह रहे किशोरों को आजादी का अहसास भी उन्हें नशे की गिरफ्त में ले जाता है।

अच्छी आदतों को बनाएं अपना 'नशा': डॉ. मुकुल

अक्सर हम नशे को गलत आदतों से जोड़कर देखते हैं। किसी को सिगरेट, शराब, ड्रग्स आदि लेते हुए देखा तो उसके प्रति पैदा जिज्ञासा हमें भी इसकी गिरफ्त में ले लेती है। यही हमारी सबसे बड़ी कमी है। नशा करना ही है तो अच्छी आदतों का करो। मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा ने तपोवन स्थित राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के छात्र-छात्राओं को नशे के खिलाफ जागरूक करते हुए यह आह्वान किया।

दैनिक जागरण की ओर से गुरुवार को नवोदय विद्यालय में डायल अगेंस्ट ड्रग्स अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. शर्मा ने कहा कि पढ़ाई, संस्कार, संस्कृति, साहित्य जैसी सकारात्म विचारधाराओं का नशा हमें समाज में एक विशेष पहचान दिलाता है। वहीं, बुरी चीजों का नशा हमारे पतन का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे की अच्छी आदतों को अपनाना सीखें।

कभी भी किसी को नशा करते देख अपने अंदर पैदा हुई इच्छा से लड़ना सीखें, क्योंकि यह आदत आपको हर तरह से खोखला कर सकती है। इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. संजीव सुंदरियाल ने कहा कि दैनिक जागरण की ओर से चलाई जा रही यह मुहिम सराहनीय है। आजकल के युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति को देख उन्हें इस बारे में जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। इस दौरान विद्यालय के शिक्षक बीसी कुनियाल भी मौजूद रहे।

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