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श्राइन बोर्ड के विरोध में आए तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी

मंदिर समितियों को भंग कर चारों धाम को श्राइन बोर्ड के अधीन लाए संबंधी प्रदेश कैबिनेट के फैसले का बदरीनाथ धाम के हक-हकूकधारियों में दबी जुबान विरोध शुरू हो गया है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 28 Nov 2019 05:09 PM (IST)
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श्राइन बोर्ड के विरोध में आए तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी
देहरादून, जेएनएन। मंदिर समितियों को भंग कर चारों धाम को श्राइन बोर्ड के अधीन लाए संबंधी प्रदेश कैबिनेट के फैसले का बदरीनाथ धाम के हक-हकूकधारियों में दबी जुबान विरोध शुरू हो गया है। हक-हकूकधारियों को चिंता सता रही है कि अगर चारों धाम श्राइन बोर्ड के अधीन आए तो इससे उन्हें अपने अधिकारों से हाथ धोना पड़ सकता है। जबकि, केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि यह फैसला उन्हें किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर यह फैसला लिया है, जिसका कड़ा विरोध किया जाएगा। हालांकि, धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ने फिलहाल फैसले पर टिप्पणी करने से इन्कार किया है। कहा कि मामले को पूरा समझने के बाद ही वह इस पर प्रतिक्रिया देंगे।

सरकार चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री का संचालन करने वाली मंदिर समितियों को भंग कर इन धामों को श्राइन बोर्ड के अधीन लाना चाहती है। अब तक मंदिर समितियों के माध्यम से ही मंदिरों में पूजा, चंदन, चढ़ावा समेत अन्य कार्यों के लिए स्थानीय लोगों की नियुक्तियां होती रही हंै। लेकिन, श्राइन बोर्ड बन जाने पर यह सारे अधिकार समितियों से छिन जाएंगे। इसी को देखते हुए बदरीनाथ धाम के हक-हकूकधारी चिंतित हैं। केंद्रीय डिमरी पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कुमार डिमरी ने हालांकि श्राइन बोर्ड बनाने संबंधी फैसले का स्वागत किया है।

लेकिन, साथ में हक-हकूकधारियों के अधिकारों से किसी भी प्रकार छेड़छाड़ न करने की बात भी दोहराई है। जबकि, डिमरी पंचायत के वर्तमान अध्यक्ष राकेश कुमार डिमरी ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पंचायत की बैठक बुलाने की बात कही। उधर, मेहता थोक के अध्यक्ष रमेश मेहता, कमदी थोक के सदस्य जगदीश पंवार और डिमरी धार्मिक पंचायत के सरपंच आशुतोष डिमरी ने भी हक-हकूक व परंपराओं से छेड़छाड़ होने पर विरोध में उतरने की बात कही है।

दूसरी ओर, केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित शुरू से ही श्राइन बोर्ड गठित किए जाने के पक्ष में नहीं हैं। धाम के वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने इस फैसले को तीर्थ पुरोहितों व परंपराओं के खिलाफ साजिश करार दिया। कहा कि देवभूमि में स्थित बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में अलग-अलग पूजा पद्धतियां हैं। ऐसे में चारों धाम के लिए एक ही श्राइन बोर्ड बनाने का औचित्य समझ में नहीं आता। कहा कि सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध किया जाएगा। केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला और तीर्थ पुरोहित केशव तिवाड़ी ने भी फैसले को परंपराओं के खिलाफ बताया। कहा कि इसका चारों धाम के तीर्थ पुरोहित एकजुट होकर विरोध करेंगे।

सरकार को भेजेंगे श्राइन बोर्ड एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव

चारधाम के लिए तैयार हुए श्राइन बोर्ड एक्ट पर आपत्तियां आना शुरू हो गई हैं। चारों धाम के तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारियों ने श्राइन बोर्ड एक्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसमें हमारे सुझावों को शामिल नहीं किया गया। बुधवार को गांधी रोड स्थिति एक होटल में चारधाम विकास परिषद की बैठक में परिषद के लोगों ने एक्ट में संशोधन के लिए प्रस्ताव भेजने पर सहमति जताई। वहीं, परिषद और चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों ने साफ कहा कि मंदिरों के अंदर उनके हक हकूकों से छेड़छाड़ न की जाए।

कचहरी रोड स्थित एक होटल में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मंथन हुआ। परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने बताया कि प्रदेश के मंदिरों के संरक्षण और सुविधाओं के विकास के लिए जो एक्ट बनना था उसके लिए सभी हक हकूकधारियों से सुझाव लिए गए। इस पर भी चर्चा की गई कि कैसे वहां आने वाले श्रद्धालुओं को और बेहतर सुविधाएं दी जा सकें ताकि उनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो सके। लेकिन, कैबिनेट ने इससे जुड़े एक्ट को श्राइन बोर्ड एक्ट के नाम से पास कर दिया। उन्होंने बताया कि मंदिरों के तीर्थ पुरोहितों ने एक ज्ञापन तैयार किया है, जिसमें उन्होंने एक्ट के लिए उनसे सुझाव व सलाह न लेने पर आपत्ति जताई है। 

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साथ ही उनके सुझाव लेकर एक्ट में संशोधन की मांग की है। ये ज्ञापन और उनकी मांगें सरकार तक पहुंचाई जाएंगी। बताया कि 22 दिसंबर को एक बैठक रखी गई है, जिसमें हक हकूकधारियों से सलाह मांगी गई है। जो सरकार को भेजी जाएगी। इसके बाद एक्ट में संशोधन करना या न करना सरकार की मर्जी पर है। बैठक में बीकेटीसी के सीईओ बीडी सिंह, परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष अनुसूईया प्रसाद मैखुरी, मनोहर लाल उनियाल, सुरेश सेमवाल, जगमोहन उनियाल, राकेश सेमवाल, ठाकुर भवानी प्रताप सिंह, आशुतोष ममगाईं और बृजेश बडोनी आदि मौजूद रहे।

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