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श्राइन बोर्ड गठन के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों ने भरी हुंकार, वार्ता का अश्वासन मिला

तीर्थ पुरोहितों ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा कूच किया। रिस्पना के पास रोके जाने पर तीर्थ पुरोहितों ने वहीं बैठकर घंटों प्रदर्शन किया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 04 Dec 2019 08:24 PM (IST)
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श्राइन बोर्ड गठन के खिलाफ तीर्थ पुरोहितों ने भरी हुंकार, वार्ता का अश्वासन मिला
देहरादून, जेएनएन। श्राइन बोर्ड के गठन के विरोध में आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा कूच किया। रिस्पना के पास रोके जाने पर तीर्थ पुरोहितों ने वहीं बैठकर घंटों प्रदर्शन किया। जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों का नौ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल विधानसभा गया और वहां सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से वार्ता की। मंत्री ने उन्हें एक से दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन दिया।

बुधवार को हरिद्वार रोड स्थित एलआइसी कार्यालय के पास सैकड़ों की संख्या में तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी एकत्रित हुए। जहां से उन्होंने विधानसभा कूच किया। रिस्पना से पहले ही पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। जहां पर तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और वहीं धरने पर बैठ गए। यहां पर प्रदेशभर की धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने यहां पर सभा की और श्राइन बोर्ड के गठन से अधिकारों का हनन होने का हवाला देते हुए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की।

करीब दो घंटे यहां पर सभा और प्रदर्शन का दौर जारी रहा। जिसके बाद सरकार की ओर से आंदोलनकारियों प्रतिनिधि मंडल को विधानसभा बुलाया गया। तीर्थ पुरोहितों की ओर से नौ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल विधानसभा पहुंचा, जहां सरकार के की ओर से राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह रावत से उनकी वार्ता हुई।

देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने बताया कि सरकार का रवैया तीर्थ पुराहितों के प्रति उपेक्षापूर्ण है। यदि सरकार उनकी भावनाओं और पक्ष पर विचार नहीं करती तो आंदोलन जारी रखा जाएगा। महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने बताया कि महापंचायत गुरुवार को भी एक अहम बैठक करेगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। 

इन संस्थाओं ने किया समर्थन

विधानसभा कूच में बद्रीनाथ धाम से जुड़े टैनखंडा हक हकूकधारी महासंघ, डिमरी-बदरी पंचायत, डिमर, केदारनाथ तीर्थ पुरोहित महासभा, गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा, यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा, चंद्रबदनी मंदिर समिति, मेहता, भंडारी, कमदी थोक, पांडुकेश्वर आदि से जुड़े तीर्थ पुरोहितों और हक हकूकधारी शामिल रहे, जबकि अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ने भी श्राइन बोर्ड के खिलाफ महापंचायत समर्थन किया।

प्रतिनिधि मंडल ने रखा पक्ष

महापंचायत के मुख्य प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि महापंचायत के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यमंत्री के समक्ष अपना पक्ष रहा। कहा कि तीर्थ पुरोहितों व हक हकूकधारियों की एक सूत्रीय मांग है कि श्राइन बोर्ड विधेयक को विधानसभा में पारित करने से पूर्व चारों धामों और 47 मंदिरों के तीर्थ पुरोहितों एवं हक हकूकधारियों को विश्वास में लिया जाना चाहिए। कहा कि सरकार जल्दबाजी में ऐसा कोई निर्णय न ले, जिससे तीर्थ पुरोहित एवं हक हकूक धारियों के हित प्रभावित हों। जिस पर डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार किसी के अधिकारों का हनन नहीं होने देगी। सभी पक्षों को ध्यान में रखकर ही यह निर्णय लिया जाएगा। उन्होंनेे एक से दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन दिया।

यह रहे प्रतिनिधि मंडल में शामिल

देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के प्रतिनिधिमंडल में सुरेश सेमवाल, रविंद्र सेमवाल, रमेश चंद सती, हरीश देवड़ी, कृष्णकांत कोठियाल, विनोद शुक्ला, लक्ष्मीनारायण योगदान, जगमोहन और रितेश्वर उनियाल शामिल थे। जबकि सरकार की ओर से राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अलावा यमुनोत्री के विधायक केदार सिंह रावत, यमकेश्वर विधायक रितु खंडूड़ी, बंशीधर भगत मौजूद थे।

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सरकार की मति भ्रष्ट हो गई है: मनोज रावत

केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने भी तीर्थ पुरोहितों का समर्थन करते हुए विधानसभा कूच किया। विधायक ने कहा कि श्राइन बोर्ड का गठन होने से पौराणिक परंपराओं के साथ छेड़छाड़ होगी। सरकार की मति भ्रष्ट हो गई है, जो प्रदेशवासियों की भावनाओं के खिलाफ कार्य कर रही है।

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