उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग का असर, 0.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तापमान
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के ताजा अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि 3500 से 4500 मीटर की ऊंचाई पर तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी पाई गई है।
By BhanuEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 08:20 AM (IST)
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी ग्लोबल वार्मिंग का असर नजर आने लगा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के ताजा अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि 3500 से 4500 मीटर की ऊंचाई पर तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी पाई गई है। इस बढ़ोत्तरी के साथ 4500 मीटर की ऊंचाई पर अधिकतम तापमान अब पांच डिग्री और 3500 मीटर की ऊंचाई पर 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने लगा है।
डब्ल्यूआइआइ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सत्यकुमार के अनुसार, अध्ययन के लिए उत्तराखंड में गंगोत्री बेसिन, हिमाचल प्रदेश में ब्यास बेसिन और सिक्किम में तीस्ता बेसिन का चुनाव किया गया है। इसके तहत जनवरी 2016 में यहां तापमान रिकॉर्ड करने के लिए डेटा लॉगर लगाए गए हैं। अब तक के अध्ययन की बात करें तो पुराने रिकॉर्ड के अनुसार तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस का इजाफा पाया गया है।उन्होंने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में तापमान की यह बढ़ोत्तरी किसी भी दशा में सामान्य नहीं मानी जा सकती है। हालांकि अध्ययन अभी जारी है और जल्द तापमान में वृद्धि के परिणाम भी सामने आने लगेंगे।
ओटीसी बताएंगे बदलाव का असरभारतीय वन्यजीव संस्थान ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ओपन टॉप चैंबर (ओटीसी) स्थापित किए हैं। करीब एक मीटर परिधि वाला यह चैंबर देखने में किसी पॉलीहाउस की तरह लगता है। हालांकि ये ऊपर से खुले होते हैं और इसके अलावा चारों तरफ फाइबर की शीट से कवर होते हैं।
इस तरह इनके भीतर बाहर की अपेक्षा एक डिग्री अधिक तापमान होता है। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एस. सत्यकुमार ने बताया कि अधिक तापमान में यहां की वनस्पतियों और सूक्ष्मजीवों में क्या बदलाव नजर आता है, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि प्रारंभिक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ओटीसी के भीतर वनस्पतियों व सूक्ष्मजीवों में असामान्य बदलाव नजर आ रहे हैं।यह भी पढ़ें: जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रहा हिमालय, गड़बड़ा गया है वर्षा का चक्र
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