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Monkey Terror: उत्तराखंड में बंदरो का आतंक, स्कूल की छत पर डाल रहे हैं डेरा; दहशत में लोग

Monkey Terror in Uttarakhand उत्तराखंड में बंदरों के आतंक से लोग दहशत में है। बच्चों के स्कूल की छत पर बंदरों ने डेरा डाल रखा है। बच्चे भी इससे दहशत में हैं। न सिर्फ स्कूल बल्कि इन बंदरों के चलते सड़क पर चलने से लोग डर रहे हैं। क्षेत्र की गलियों में महिलाओं और बच्चों को काटने दौड़ रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 02 Aug 2023 09:04 AM (IST)
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उत्तराखंड में बंदरो का आतंक, स्कूल की छत पर डाल रहे हैं डेरा; दहशत में लोग

देहरादून, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बच्चे स्कूलों में बंदरों के चलते सुरक्षित नहीं है। निरंजनपुर क्षेत्र में उत्पाती बंदर क्षेत्रवासियों के लिए आतंक का सबब बने हुए हैं। यहां एक स्कूल की छत पर बंदरों ने डेरा डाल रखा है और छात्रों पर हमला कर रहे हैं। साथ ही क्षेत्र की गलियों में महिलाओं और बच्चों को काटने दौड़ रहे हैं।

क्षेत्रीय पार्षद ने इस संबंध में वन विभाग से शिकायत की है। उन्होंने क्षेत्र में बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने की मांग की है। प्रभागीय वनाधिकारी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। ब्रह्मपुरी वार्ड के पार्षद सतीश कश्यप ने मंगलवार को प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून नितीशमणि त्रिपाठी से मुलाकात कर क्षेत्रवासियों की समस्या बताई।

बंदरों के आतंक से जोखिम में है जान

सतीश कश्यप ने कहा कि निरंजनपुर क्षेत्र की एक बड़ी आबादी बंदरों के आतंक से जूझ रही है। जीआरडी निरंजनपुर स्कूल के टिन शेड पर बंदरों ने डेरा जमा लिया है। इससे आसपास के क्षेत्र चमनपुरी, ग्रीन पार्क, डाबर वाली गली, सहारनपुर रोड आदि क्षेत्रों की एक बड़ी आबादी बंदरों से परेशान है। आवाजाही के दौरान बंदर महिलाओं और बच्चों पर हमला कर रहे

इसके अलावा घरों की छतों से कपड़े ले जाना, खाना छीन लेना और पानी की टंकियों के ढक्कन तोड़ देने जैसी भी समस्याएं हैं। पार्षद ने नाराजगी जताई कि क्षेत्रवासी कई बार वन विभाग से इसकी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

वन विभाग की कार्यशैली पर पार्षद ने उठाए सवाल

पार्षद ने आरोप लगाया कि वन विभाग के कर्मचारी बंदरों को पकड़ने में असमर्थ हैं। कहा कि वे क्षेत्र में पिंजड़ा लगाते हैं और कुछ देर तक इंतजार करने के बाद पिंजड़ा लेकर वापस आ जाते हैं। आरोप लगाया कि वन कर्मियों को बंदर पकड़ने की तकनीक की जानकारी नहीं है।

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