दून की आबोहवा लगातार हो रही प्रदूषित, बिगाड़ रही सेहत Dehradun News
राजधानी दून की की आबोहवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है जिसके चलते यहां क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीज बढ़ते जा रहे हैं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:16 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून की आबोहवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है, जिसके चलते यहां क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। श्वसन संबंधी यह बीमारियां घातक साबित हो रही हैं। ऐसे में इनसे बचाव के लिए हमें कई स्तर पर जागरूकता लानी होगी।
मंगलवार को मसूरी रोड स्थित मैक्स अस्पताल में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया, जिसमें अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट ने सीओपीडी के कारण और रोकथाम की जानकारी दी। डॉक्टरों ने फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं के बारे में तथ्यों और मिथकों को साझा किया। विषाक्त कणों, धूमपान और प्रदूषण के कारण सीओपीडी दून में तेजी से बढ़ रहा है। पल्मोनोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. पुनीत त्यागी ने कहा कि अधिकांश लोग सांस की तकलीफ बढ़ने और खांसी को उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा मानते हैं। हो सकता है कि रोग के प्रारंभिक चरण में कोई भी लक्षण न दिखें। वर्षों तक सांस की कमी के बिना भी सीओपीडी विकसित हो सकता है।
युवाओं में बढ़ रही है धूमपान की प्रवृत्ति मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में पल्मोनरी विभाग में कंसल्टेंट डॉ. वैभव चाचरा ने बताया किशोर और युवाओं में पाइप, सिगार, वॉटर पाइप, हुक्का स्मोकिंग और पॉकेट मारिजुआना पाइप के रूप में धूमपान की प्रवृत्ति बढ़ी है। ये भी सीओपीडी का एक प्रमुख कारण हैं। मैक्स अस्पताल के यूनिट हेड डॉ. संदीप सिंह तंवर ने कहा कि हमारा प्रयास है कि बेहतर तकनीकी और अत्याधुनिक उपकरणों के जरिये उत्तराखंड में मरीजों को बेहतर उपचार प्रदान किया जाए। इसी क्रम में अस्पताल ने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की शुरुआत की है।
यह भी पढ़ें: दून अस्पताल क्षेत्र में सांसों में घुला सर्वाधिक धुआं, पढ़िए पूरी खबरसीओपीडी के लक्षण -सांस लेने में तकलीफ होना -बार-बार खांसी आना (बलगम के साथ या बिना बलगम के) -सांस लेने में घरघराहट
-छाती में जकड़न यह भी पढ़ें: उत्तराखंड को प्रदूषण से मिली राहत, बंगाल की तरफ बढ़ रही धुंध; पढ़िए पूरी खबर
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