इस बार सर्दियों में कम हुई बारिश, कृषि और बागवानी में दिखने लगा असर
उत्तराखंड में इस बार मानसून भले ही सामान्य रहा हो लेकिन एक अक्टूबर से एक दिसंबर तक सामान्य से 14 फीसद कम बारिश हुई। कृषि और बागवानी में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है।
By BhanuEdited By: Updated: Tue, 03 Dec 2019 08:23 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में इस बार मानसून भले ही सामान्य रहा हो, लेकिन एक अक्टूबर से एक दिसंबर तक सामान्य से 14 फीसद कम बारिश हुई। कृषि और बागवानी में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। रबी की मुख्य फसल गेहूं के साथ सेब समेत अन्य शीतकालीन फलों के लिए बारिश बेहद जरूरी है।
मौसम विभाग के मुताबिक, सूबे में एक अक्टूबर से एक दिसंबर तक सामान्य तौर पर 48.9 मिमी बारिश होती है। इस बार 35.8 मिलीमीटर बारिश ही हुई। मौसम के जानकारों का मानना है कि इसका कारण पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता में कमी आना है। सर्दियों की बारिश पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करती है, जो इस बार सामान्य से कम रहा है। कम बारिश से पहाड़ी इलाकों में गर्मियों के दौरान पानी का संकट भी खड़ा हो सकता है। कृषि निदेशक गौरीशंकर का कहना है कि कृषि और बागवानी में बारिश में कमी का आंशिक प्रभाव देखा गया है। हालांकि, बड़े नुकसान जैसी बात नहीं है।
चंपावत में सबसे कम बारिशपिछले 60 दिन में सबसे कम बारिश चंपावत में हुई। वहां बादल सामान्य से 96 फीसदी कम बरसे। इसके बाद ऊधमसिंह नगर में 83 फीसद और पिथौरागढ़ में 41 फीसद कम बारिश हुई।
दिसंबर में अच्छी बारिश की उम्मीद: निदेशक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक उम्मीद है कि दिसंबर में अच्छी बारिश होगी। उनका कहना है कि नवंबर में दो बार ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छी बर्फबारी होने से अभी सूखे जैसे हालात नहीं हैं। मिट्टी में नमी की कमी जरूर हो रही है।
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2016--------------------15.62017--------------------13.22018--------------------24.72019--------------------14.0यह भी पढ़ें: वेस्टर्न डिस्टरबेंस के चलते केदारनाथ समेत चार धाम में हुई बर्फबारी, बढ़ी ठिठुरन
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