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मेजर चित्रेश बिष्ट ने कुपवाड़ा में बचाई साथियों की जान, पढ़िए पूरी खबर

जब बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के दौरान मेजर चित्रेश के छह साथियों पर घात लगाए बैठे दुश्मनों ने हमला किया, मेजर चित्रेश की सूझबूझ ने सभी को सुरक्षित निकाल लिया।

By Edited By: Updated: Mon, 18 Feb 2019 11:32 AM (IST)
मेजर चित्रेश बिष्ट ने कुपवाड़ा में बचाई साथियों की जान, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, संतोष भट्ट। शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट ने सेना में कम समय में अदम्य साहस और वीरता से देश का गौरव बढ़ाया। मेजर चित्रेश न केवल आइईडी को डिफ्यूज करने में माहिर थे, बल्कि कई बार दुश्मनों के दांत भी खट्टे कर चुके थे। जब बॉर्डर पर पेट्रोलिंग के दौरान मेजर चित्रेश के छह साथियों पर घात लगाए बैठे दुश्मनों ने हमला किया, मेजर चित्रेश की सूझबूझ ने सभी को सुरक्षित निकाल लिया। उस दौरान हमले के बाद कैंप पहुंचे चित्रेश की बहादुरी की यूनिट के कर्नल ने भी खूब तारीफ की थी। मेजर चित्रेश के पिता एसएस बिष्ट ने यह बातें बेटे के शहीद होने के बाद रविवार को साझा कीं।

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में तैनात रहे मेजर चित्रेश बिष्ट की शहादत के बाद उनके पराक्रम और देश रक्षा में दर्शाए गए अदम्य साहस की चारों तरफ चर्चा है। मेजर चित्रेश के शहीद होने के बाद पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटे की पढ़ाई से लेकर नौकरी के दौरान तक की तमाम बातें याद करते हुए बिष्ट फफक पड़े। उन्होंने रोते हुए कहा कि डेढ़ साल पहले चित्रेश कुपवाड़ा में एलओसी में साथियों के साथ पेट्रोलिंग पर गए थे। जहां चार आतंकवादी पहले से ही जवानों पर हमले के लिए घात लगाए थे। 

मेजर चित्रेश ने साथ चल रहे छह साथियों को आतंकवादियों के हमले से सुरक्षित बचाते हुए कैंप पहुंचाया। जहां इंजीनियरिंग कोर के कर्नल तंवर को पूरी घटना की जानकारी मिली। कर्नल तंवर ने मेजर चित्रेश की इस बहादुरी पर गर्व जताते हुए शाबाशी दी। बेटे के बहादुरी के वाकये बताते हुए बिष्ट सांत्वना देने आए लोगों के गले लगकर बिलखने लगे।

एनएसजी में हो गया था सेलेक्शन 

सेना के कई ऑपरेशनों में मेजर चित्रेश ने अहम भूमिका निभाई। सेना ने भी चित्रेश की बहादुरी और कार्य क्षमता का आकलन कर उन्हें एनएसजी के लिए चयनित किया। इसके लिए मेजर चित्रेश ने परीक्षा पास कर ली थी। मगर, छोटे से मेडिकल दिक्कत से वह अनफिट हो गए थे। अभी भी चित्रेश एनएसजी में आने की तैयारी कर रहे थे। पिता एसएस बिष्ट ने बताया कि वह स्वयं बेटे के मेडिकल कराने दिल्ली गए थे। लेकिन मेडिकल सुधार के बाद ही एनएसजी में शामिल करने की बात कही गई।

24 बारूदी सुरंग कर चुके थे नष्ट 

मेजर चित्रेश बिष्ट सेना की महज छह साल की नौकरी में 24 से ज्यादा आइईडी (इंप्रोविस्ड एक्सप्लोजिव डिवाइस) डिफ्यूज कर चुके थे। शनिवार को भी वह चार आइईडी को डिफ्यूज कर पांचवीं में विस्फोट की चपेट में आकर शहीद हो गए। इंजीनिय¨रग कोर में मेजर चित्रेश आइईडी डिफ्यूज करने में हमेशा सबसे आगे रहते थे।

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