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भारत में किस्मत और खुद के दम पर तैयार होते हैं खिलाड़ी: पूनिया

डिस्कस थ्रो की एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट सीमा अंतिल पूनिया ने भारत में खिलाड़ियों की उपेक्षा पर बेबाक टिप्पणी की। कहा कि यहां खिलाड़ी किस्मत और खुद के दम पर तैयार होते हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 29 Dec 2017 09:00 PM (IST)
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भारत में किस्मत और खुद के दम पर तैयार होते हैं खिलाड़ी: पूनिया

देहरादून, [जेएनएन]: डिस्कस थ्रो की एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट सीमा अंतिल पूनिया का कहना है कि भारत में खिलाड़ी किस्मत और खुद के दम पर बनते हैं, जबकि विदेशों में खिलाडिय़ों को तैयार किया जाता है और कोच भी खिलाड़ी से दोगुनी मेहनत करते हैं। 

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे देश में सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन खेलों में हर स्तर पर इतनी ज्यादा राजनीति है कि आप इस दलदल में फंसते चले जाओगे। फिलहाल सीमा का लक्ष्य आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स व एशियन गेम्स में देश के लिए पदक जीतना है। इसके लिए वह विदेश में भी समय-समय पर अभ्यास करने जाती रहती हैं।  

दून में चल रही ऑल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सीमा अंतिल पूनिया ने महिला वर्ग की डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता। पत्रकारों से बातचीत में सीमा ने कहा कि खेलों में राजनीति के चलते खिलाड़ियों  को नुकसान उठाना पड़ता है। 

उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि वे पिछले लंबे समय से नेशनल कैंप में हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि उनके कोच को नेशनल कैंप में आज तक मौका नहीं दिया गया। उनका कहना है कि वह अपने पति व कोच अंकुश पूनिया के साथ विदेश में खुद के खर्च पर तैयारी कर रही हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स में दो रजत व एक कांस्य जीतने के साथ ही, 2014 इंच्योन एशियन गेम्स में सीमा ने डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीता था। सीमा का कहना है अगर आप पदक जीतते हो तो सभी आपको पलकों पर बैठा लेते हैं, लेकिन कुछ समय बीतने के बाद आपको कोई नहीं पूछता। 25 सालों से वही लोग खेलों का संचालन कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि नए लोग और नई सोच की कमी के चलते खेलों में बेहतर प्रदर्शन करना मुमकिन नहीं। विदेशों में एक खिलाड़ी के साथ कोच, फिजियो, ट्रेनर आदि की व्यवस्था भी होती जो उसकी तकनीकी और फिटनेस को सही रखने में मदद करता है।

लड़कियों को तराशने के लिए एकेडमी खोलने का सपना

सीमा चाहती हैं कि वह अपनी तरह और भी चैंपियन महिला खिलाड़ी तैयार करें। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसी ऐकेडमी खोलना चाहती हैं, जिसमें सिर्फ लड़कियों को तराशा जाए। इसके लिए प्रयास चल रहे हैं। 

हरियाणा और पंजाब सरकार यदि जमीन उपलब्ध करा दे तो जल्द ही यह योजना अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके पति अंकुश उनकी हर तरह से मदद कर रहे हैं। उन्होंने ट्रेनिंग के लिए विदेश से उपकरण भी मंगाएं हैं। स्पांसरशिप मिले तो राह आसान हो जाए।

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