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देहरादून में है जहरीले से लेकर शाकाहारी सांपों का अद्भुत संसार, जानिए इनकी खासियत

देहरादून जू में बनाए गए स्नेक हाउस में दस प्रजाति की सांप है जबकि एक लिजर्ड श्रेणी का जीव इगुआना भी स्नेक हाउस की शोभा बढ़ा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 08:26 PM (IST)
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देहरादून में है जहरीले से लेकर शाकाहारी सांपों का अद्भुत संसार, जानिए इनकी खासियत
देहरादून, हिमांशु जोशी। दुनिया के सबसे जहरीले सांप। कम जहर वाले सांप। लंबी नाक वाले सांप। सबसे लंबा सांप। शाकाहारी सांप। यदि यह सब एक ही जगह दिख जाएं तो मुंह से बस यही निकलेगा। सांप ही सांप। जी हां! देहरादून जू में बनाए गए स्नेक हाउस में दस प्रजाति की सांप है, जबकि एक लिजर्ड श्रेणी का जीव इगुआना भी स्नेक हाउस की शोभा बढ़ा रहा है। तो आइए! आपको जू में बने स्नेक हाउस की सैर कराते हैं। साथ ही इन सांपों की खासियत और आहार के बारे में जानकारी देते हैं।

चेन्नई और कर्नाटक से लाए गए सांप

देहरादून जू में बनाए गए स्नेक हाउस में सांप की 10 प्रजाति शामिल की गई है, जबकि एक लिजर्ड श्रेणी का जीव इगुआना है। सभी सांप चेन्नई स्नेक पार्क और पिलीकुला बायलॉजिकल पार्क मैंगलौर कर्नाटक से लाए गए हैं। स्नेक हाउस में कुल 12 बाड़े हैं, इनमें सरीसृप की 11 प्रजातियां रखी गई हैं।

बच्चों का आकर्षण बना जंगल बुक का ‘का’

जू में स्नेक हाउस को जंगल बुक थीम पर बनाया गया है। इसके गेट पर एनिमेटेड कैरेक्टर बनाए गए हैं। इसमें ‘मोगली’ और ‘का’ शामिल हैं। स्नेक हाउस का नाम भी ‘का’ ही रखा गया है। दरअसल ‘का’ जंगल बुक में अजगर का नाम है। जिसे बच्चे खूब पसंद करते हैं। ऐसे में स्नेक हाउस में रखे गए पाइथन भी ‘का’ की तर्ज पर बच्चों को आकर्षित करेंगे।

किंग कोबरा

सबसे ज्यादा विषैला, जिसके जहर में साइटोटॉक्सिन व न्यूरोटॉक्सिन होते हैं। एक बार में 420 मिग्रा तक जहर उगल सकता है। ये दक्षिण व दक्षिण पूर्व के अलावा भारत में तराई के दो हजार से 6600 फिट ऊंचाई तक पाया जाता है। इसका भोजन सांप, छिपकली व चूहे होते हैं। किंग कोबरा एकमात्र सांप है, जो सूखी पत्तियों का उपयोग कर घोसले का निर्माण करता है, जो मार्च के अंत से मई के अंत तक शुरू होता है। मादा एक बार में छह से 38 अंडे देती है।

वैज्ञानिक नाम: ओफियोफागस हनाह

लंबाई: 3.18 मीटर से 4 मीटर

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रसेल वाइपर

सबसे ज्यादा जहरीला, भारतीय उप महाद्वीप और एशिया में पाया जाता है। घास और झाड़ी वाले क्षेत्रों, झाड़ियों व खेतों में पाया जाता है। इनका सिर चपटा, त्रिकोणीय और गर्दन से अलग है। शरीर गहरे पीले या भूरे रंग का होता है, जिसमें गहरे भूरे धब्बों की तीन श्रृंखलाएं होती हैं। इसका भोजन चूहे, छछूंदर, गिलहरी, छिपकली, केकड़े और बिच्छू है।

वैज्ञानिक नाम: दाबोइयां रसेली

लंबाई: 166 सेमी

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भारतीय नाग

किंग कोबरा के ही जैसे यह विषैला होता है। इसका जहर नसों के सिनैप्टिक अंतराल पर कार्य करता है, जिससे मांसपेशियों पर लकवा मिलता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। यह भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और भूटान में पाए जाने वाले सांपों की चार बड़ी प्रजातियों में से एक है। इसके फन से इसे आसानी से पहचाना जाता है, खतरा होने पर यह फन को ज्यादा फैलाता है। मादा नाग अप्रैल और जुलाई में 10 से 30 अंडे देती है।

वैज्ञानिक नाम: नाजा नाजा

लंबाई: एक से डेढ़ मीटर

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बर्मी अजगर

गैर विषैला, यह दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। यह दुनिया में सांपों की पांच बड़ी प्रजातियों में से एक है। पीठ के नीचे काले और भूरे रंग के धब्बों के साथ शरीर का रंग गहरा है। यह जमीन और पेड़ों पर समान रूप से समय व्यतीत करते हैं। मांसाहारी, चिड़िया और स्तनधारी जानवर इनका आहार है।

वैज्ञानिक नाम: पायथन बिविटेट्स

लंबाई: 3.7 मीटर से 5.74 मीटर

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रेटिकुलेट पायथन

गैर विषैला, यह दुनिया का सबसे लंबा सांप है। निकोबार आइसलैंड, भारत थाइलैंड, कंबोडिया, मलेशिया, इंडोनेशिया में पाया जाता है। आमतौर पर पीठ पर अनियमित हीरे के आकार की एक श्रृंखला होती है। सुस्त चाल, लेकिन तैराक के साथ ये मांसाहारी व पक्षियों का भोजन ज्यादा करता है। वयस्क मादा 15 से 80 अंडे देती है।

लंबाई: 1.5 मी. से 6.5 मी. तक

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वाइन स्नैक

इसे लंबी नाक वाला सांप भी कहते हैं। यह हरे, पीले या भूरे रंग का होता है। यह पेड़ों पर लगभग एक हजार मीटर की ऊंचाई तक चढ़ सकते हैं। ये भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, वर्मा, कंबोडिया, थाइलैंड आदि देशों में पाया जाता है। यह मेंढक और छिपकलियों का भोजन करता है।

वैज्ञानिक नाम: आहेटुला नासुटा

लंबाई: पांच फीट

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कॉमन सेंड बोआ

यह गैर विषैला होता है। इसे मिट्टी वाला सांप भी कहते हैं। कृषि भूमि, बगीचों व रेतीली मिट्टी पर पूवरेत्तर राज्यों और भारतीय द्वीपों को छोड़कर अन्य जगह पाया जाता है। यह आसानी से अपने छोटे सिर, मोटे व मजबूत शरीर और मोटी पूंछ से पहचाना जा सकता है। यह ज्यादातर रात में ही निकलते हैं। इसका भोजन मुख्यरूप से छोटे स्तनधारी अन्य सांप, छोटे पक्षी और जेकॉस प्रमुख हैं।

वैज्ञानिक नाम: एरिक्स कानिक्स

लंबाई: औसतन 60 सेमी से 90 सेमी

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बॉल पायथन

ये गैर विषैला होने के कारण अफ्रीका में मिलता है। शरीर गठीला और सिर अपेक्षाकृत छोटा होता है। पेट सफेद जिस पर बिखरे हुए काले धब्बे होते हैं। मादा लगभग तीन से 11 अंडे देती है। इसका भोजन ज्यादातर छोटे स्तनधारी जीव होते हैं।

वैज्ञानिक नाम: पायथन रेजीयस

लंबाई: 182 सेमी

इगुआना (एक लिजर्ड श्रेणी)

इगुआना को अक्सर खोजना या देखना मुश्किल होता है। ये अपने परिवेश में घुलमिल जाते हैं और उनका काला रंग उन्हें शिकारियों से छिपाने औ रबचाने में सक्षम बनाता है। जगह और झाड़ी युक्त भूमि में रहते हैं। इनकी दृष्टि तेज होती है, जिससे वे लंबी दूरी तक आकार, छाया, रंग और हरकतों को आसानी से देख सकते हैं। यह शाकाहारी होते हैं, वनस्पति और पत्तियों पर निर्भर है।

लंबाई: 1.5 मीटर से 1.8 मीटर

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धामण 

ये पूरी तरह गैर विषैला होता है। ये दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों में पाया जाता है। अक्सर इनके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, पीछे वाला भाग और पूंछ पर अलग-अलग काले क्रासबैंड पाए जाते हैं। इसका भोजन पक्षी व स्तनधारी हैं।

वैज्ञानिक नाम: पटयास मुकोसा

लंबाई: 1.5 से 1.95 मी.

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प्लास्टिक बोतल से बना स्नैक हाउस

स्नैक हाउस में यूजलेस प्लास्टिक बोतल का इस्तेमाल किया गया है। प्लास्टिक को पिघलाकर कैमिकल्स के साथ इसे मूर्त रूप दिया गया है। ऐसे में स्नैक हाउस की लागत भी कम आई है। डायरेक्टर पीके पात्रों के मुताबिक 60 लाख रुपये बिल्डिंग और बाकी खर्च के तौर पर 30 लाख रुपये लगे हैं।

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