देश में अभी भी 35 फीसद तक है मातृ मृत्यु दर
भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा अभी भी 35 फीसद तक है।
By Edited By: Updated: Mon, 25 Jun 2018 08:56 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: सुरक्षित प्रसव के लिए देश में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। गर्भधारण के बाद से प्रसव तक प्रसूता की देखभाल के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। हालांकि, इसके बाद भी कई राज्यों मे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा अभी भी 35 फीसद तक है। यह दर 20 से 24 वर्ष की उम्र की प्रसूताओं की है। जबकि, इस आयु वर्ग में सामान्य मृत्यु दर 10 फीसद है।
मातृ मृत्यु दर के ये आंकड़े वर्ष 2014 से 2016 के बीच किए गए सर्वे पर आधारित हैं। मातृ मृत्यु दर के आंकड़े जुटाने के लिए 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच अलग-अलग आयु वर्ग में पांच साल के अंतराल पर एक समूह बनाया गया। 20-24 वर्ष के आयु समूह के बाद 25 से 29 साल की महिलाओं में मातृ मृत्यु दर सबसे अधिक 34 फीसद पाई गई। जबकि, इसी आयु वर्ग में महिलाओं की सामान्य मृत्यु दर निकाली गई तो वह आंकड़ा मातृ मृत्यु दर के मुकाबले काफी कम रहा।
हालांकि 40 से 49 वर्ष की उम्र में सामान्य मृत्यु दर अधिक पाई गई। इसकी वजह यह कि अधिक उम्र में गर्भधारण की संभावना घटती चली जाती है।
मातृ व सामान्य मृत्यु दर (फीसद में)
आयु वर्ग------------मातृ------------सामान्य
15-19----------04---------09
20-24----------35---------10 25-29----------34---------12
30-34---------16----------12 35-39---------07----------15
40-44----------03---------19 45-49----------01----------22
4.26 लाख बच्चों के जन्म पर 556 माताओं की मृत्यु: वर्ष 2014-16 के बीच शिशु जन्म पर माताओं की मृत्यु के आंकड़े भी एकत्रित किए गए। इस अवधि में देश में 4.26 लाख बच्चों ने जन्म लिया। जबकि, सुरक्षित प्रसव के अभाव में 556 माताओं ने दम तोड़ दिया। दूसरी तरफ 0.3 फीसद महिलाएं ऐसी पाई गईं, जो उम्रभर के लिए रिस्क जोन में आ गईं।यह भी पढ़ें: दून महिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान महिला और नवजात की मौत, हंगामा
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