उत्तराखंड में खेती-बागवानी में आएगा आमूलचूल बदलाव, किसानों को मिलेंगे उन्नत किस्म के बीज व फल पौध
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में खेती-औद्यानिकी में आमूलचूल बदलाव लाने की तैयारी हो रही है। इसे आर्थिकी का अहम जरिया बनाने के प्रयासों में जुटी प्रदेश सरकार अब किसानों को परंपरागत किस्मों की बजाए उन्नत किस्मों के बीज व फल पौध का वितरण सुनिश्चित कराने जा रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 31 Oct 2020 02:37 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में खेती-औद्यानिकी में आमूलचूल बदलाव लाने की तैयारी हो रही है। इसे आर्थिकी का अहम जरिया बनाने के प्रयासों में जुटी प्रदेश सरकार अब किसानों को परंपरागत किस्मों की बजाए उन्नत किस्मों के बीज व फल पौध का वितरण सुनिश्चित कराने जा रही है। इसमें यह ध्यान रखा जाएगा कि कौन सी प्रजातियां किस क्षेत्र के लिए उपयुक्त हैं। फिर इसी आधार पर इनका वितरण किया जाएगा। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल बताते हैं कि इस पहल से जहां उपज बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं किसानों का अच्छी आय भी हो सकेगी। इस सिलसिले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो सभी पहलुओं की पड़ताल कर जल्द अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
हिमाचल प्रदेश के समान परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में खेती और बागवानी को यहां की आर्थिकी का जरिया बनाने की बातें तो खूब हुईं, लेकिन राज्य गठन के बाद इस दिशा में ठोस पहल नहीं हो पाई। परिणामस्वरूप पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि और औद्यानिकी की तस्वीर संवर नहीं पाई। असल में राज्य के 95 में से 71 विकासखंडों में खेती, बागवानी पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है। यानी, वक्त पर बारिश हो गई तो ठीक, अन्यथा बिन पानी सब सूून वाली स्थिति रहती है। ऐसे में जरूरी है कि यहां की परिस्थितियों के हिसाब से अनाज और फल प्रजातियों को बढ़ावा दिया जाए। वैसे भी पर्वतीय इलाकों में वक्त पर खाद-बीज न पहुंचने के कारण किसानों को परंपरागत बीजों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा।
मौजूदा सरकार ने किसानों की इस पीड़ा को समझा और अब खेती व बागवानी के लिए परंपरागत किस्मों के बीज व फल पौध से तौबा करने की तैयारी कर ली गई है। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल बताते हैं कि अभी तक चली आ रही परिपाटी और किसानों को परंपरागत बीज व फल पौध दिए जाने के अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पा रहे हैं।
वह बताते हैं कि सरकार की मंशा खेती, औद्यानिकी को लाभकारी बनाते हुए उत्पादन में बढ़ोतरी करना है। यह तभी संभव है, जब यहां की परिस्थितियों के हिसाब से उन्नत प्रजाति के बीज और फल पौध किसानों को वक्त पर उपलब्ध कराए जाएं। उन्नत किस्म के बीज और पौध का जहां बेहतर प्रबंधन होता है, वहीं उत्पादन भी अधिक मिलता है।
उन्होंने बताया कि परंपरागत की बजाय उन्नत किस्म के बीज और फल पौध प्रजातियों के वितरण के सिलसिले में अध्ययन को तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। विशेषज्ञों की यह समिति खेती-औद्यानिकी से जुड़े हर पहलू पर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेगी कि किस क्षेत्र में अनाज व फलों की कौन-कौन सी उन्नत प्रजातियां उपयुक्त रहेंगी। फिर इसके आधार पर बीज व पौध का वितरण किया जाएगा। वह कहते हैं कि इस पहल से जहां खेती-बागवानी में आमूलचूल बदलाव आएगा, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की दशा सुधरने के साथ ही उत्पादन बढऩे से किसानों को लाभ मिलेगा। कृषि व औद्यानिकी से जुड़े उत्पादों के विपणन की व्यवस्था पर भी फोकस किया जाएगा।
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