Move to Jagran APP

Uttarakhand News: अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने से पहले होगा परीक्षण, 10 वर्ष की अवधि को लेकर एकमत नहीं कैबिनेट

उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2011 में सरकारी विभागों निगमों परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं में काम करने वाले तदर्थ संविदा कर्मियों के विनियमितीकरण के लिए एक नियमावली तैयार की। इसमें यह प्रविधान किया गया कि वर्ष 2011 में बनाई नियमावली के तहत जो कर्मचारी विनियमित नहीं हो पाए उन्हें विनियमित किया जाएगा। शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह विषय फिर से लाया गया।

By Vikas gusain Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 18 Aug 2024 10:00 PM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड में अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने से पहले होगा परीक्षण (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। सरकारी विभागों में लंबे समय से अस्थायी रूप से कार्य कर रहे दैनिक, तदर्थ व संविदा कर्मियों को नियमित करने से पहले इस विषय का विस्तृत परीक्षण किया जाएगा।

राज्य कैबिनेट ने 10 वर्ष से लगातार विभागों में अस्थायी सेवा देने वाले कार्मिकों को नियमित करने पर सहमति तो जताई है लेकिन यह 10 वर्ष की अवधि किस वर्ष से मानी जाएगी, इसे लेकर अभी कैबिनेट एकमत नहीं है। ऐसे में विस्तृत परीक्षण के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

10 वर्ष सेवा पूरे करने वाले कार्मिकों को नियमित करने की व्यवस्था

राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं में काम करने वाले तदर्थ, संविदा कर्मियों के विनियमितीकरण के लिए एक नियमावली तैयार की। इसमें वर्ष 2011 तक 10 वर्ष की सेवा पूरे करने वाले कार्मिकों को नियमित करने की व्यवस्था की गई। इसके बाद वर्ष 2013 में एक दूसरी नियमावली लाई गई।

कर्मचारियों को वर्ष 2011 की नियमावली का नहीं मिल पाया लाभ 

इसमें यह प्रविधान किया गया कि वर्ष 2011 में बनाई नियमावली के तहत जो कर्मचारी विनियमित नहीं हो पाए, उन्हें विनियमित किया जाएगा। उस समय यह भी कहा गया कि उत्तराखंड राज्य नौ नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया और कई वर्ष बाद भी सरकारी विभागों का गठन होता रहा, इसलिये उनमें तैनात कर्मचारियों को वर्ष 2011 की नियमावली का लाभ नहीं मिल पाया।

सेवा अवधि को घटाकर पांच वर्ष तक सीमित

सरकार ने वर्ष 2016 में संशोधित विनियमितीकरण नियमावली जारी की, जिसमें 10 वर्ष की सेवा अवधि को घटाकर पांच वर्ष तक सीमित कर दिया गया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर हाईकोर्ट ने नियुक्तियों पर रोक लगा दी। इसी वर्ष फरवरी में हाईकोर्ट ने यह रोक हटाई।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष लाया रंग, 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक को राजभवन से मंजूरी

इसके बाद मार्च में हुई कैबिनेट की बैठक में भी दैनिक वेतन, तदर्थ व संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का विषय आया, तब कैबिनेट ने कार्मिक को इस पर कुछ संशोधन के साथ प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

शनिवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह विषय फिर से लाया गया। इसमें वर्ष 2018 में 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को नियमित करने की बात कही गई। सूत्रों की मानें तो इस पर कैबिनेट एक मत नहीं थी।

एक बार फिर प्रस्ताव पर परीक्षण करने का फैसला

कैबिनेट के कुछ सदस्य 2018 के स्थान पर जुलाई 2024 तक 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को शामिल करने के पक्ष में थे। ऐसे में इस प्रस्ताव का एक बार फिर परीक्षण करने का निर्णय लिया गया है।

यह भी पढ़ें- कार्मिक विभाग की नियमावली में संशोधन जारी, केंद्रीय सेवाओं में तैनात राज्यवासियों के बच्चे भी बन सकेंगे उप निरीक्षक

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।