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ऋषिकेश के एम्स में दीक्षांत समारोह, 1041 छात्र-छात्राओं को दी गई डिग्री; मांडविया ने छात्रों को किया संबोधित

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में तीसरा दीक्षांत समारोह में यूजी पीजी स्नातक परास्नातक सुपर स्पेशलिटी और स्पेशियलिटी कोर्स सहित पैरामेडिकल कोर्स के कुल 1041 छात्र छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह दिन छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।

By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 13 Jul 2023 06:27 PM (IST)
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केंद्रीय मंत्री मांडविया ने ऋषिकेश एम्स में दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों को किया संबोधित
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में तीसरा दीक्षांत समारोह में यूजी, पीजी, स्नातक, परास्नातक, सुपर स्पेशलिटी और स्पेशियलिटी कोर्स सहित पैरामेडिकल कोर्स के कुल 1041 छात्र छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई।

गुरुवार को एम्स के आडियोटोरियम में आयोजित दीक्षा समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया, विशिष्ट अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण पवार व प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत तथा वित्त तथा नगर विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, एम्स ऋषिकेश के अध्यक्ष समीरन नंदी, एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. डा. डा. मीनू सिंह व प्रो. जया चतुर्वेदी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने छात्रों को किया संबोधित

डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह दिन छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। जिंदगी में पढ़ाई कभी खत्म नहीं होती, पूरा जीवन भर सीखने के लिए होता है, जो सीखता है, बदलता है वह प्रगति करते हैं। जो सीखना बंद कर देते हैं उनकी जिंदगी भले ही रहती है मगर, उनका विकास समाप्त हो जाता है।

सभी को आपसे हैं कई उम्मीदें- मांडविया

उन्होंने कहा कि आप एक चिकित्सक के रूप में अपनी नई जिंदगी शुरू करेंगे, कुछ अस्पताल चलाएंगे, कुछ फैकल्टी चलाएंगे, कुछ आगे की पढ़ाई करेंगे, लेकिन जो भी करो इतना ध्यान रखो कि आपकी फैकल्टी, माता-पिता और देश, समाज आपसे कई उम्मीदें लगए बैठे हैं। जहां भी जाओ अपने शिक्षण संस्थान और धरती माता के उपकार को हमेशा याद रखो। एक डाक्टर बनाने के लिए सरकार ने डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च किया है। यह समाज का पैसा है, इसलिए समाज और देश की आपसे बड़ी अपेक्षा होती है।

स्वास्थ्य कामर्स नहीं बल्कि एक सेवा है- केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य कामर्स नहीं है बल्कि स्वास्थ्य एक सेवा है। चिकित्सक को भारत में व्यवसाय के रूप नहीं बल्कि ईश्वर के दूत के रूप में देखा जाता है। चिकित्सक के प्रति देखने का नजरिया हमारे देश में भावनात्मक है।

सोसाइटी भावनात्मक रूप से जुड़ेगी तो चिकित्सक के प्रति श्रद्धा है, भारत में चिकित्सक को गलती पर भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता। जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है इसलिए हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। जब देश में लाकडाउन था, कोविड की डेल्टा जैसे वैरियंट थे, उस स्थिति में देश की जनता का रवैया क्या होता है, हमने भली भांति देखा।

स्वस्थ नागरिक स्वस्थ्य समाज व स्वस्थ्य समाज समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है- मांडविया

उस वक्त हम दुनिया के साथ मीटिंग करते थे तो पता चला कि विदेशों में नर्स व डाक्टर्स ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। लोग लाकडाउन का विरोध कर रहे हैं। मगर, हमारे देश में चिकित्सकों ने अपने-अपने परिवार छोटे बच्चों को छोड़कर अपना चिकित्सीय धर्म निभाया। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ नागरिक स्वस्थ्य समाज तथा स्वस्थ्य समाज समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करता है।

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