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Uttarakhand: उत्तराखंड के इस शहर का होगा सीमांकन, दूर होगी लोगों की टेंशन; वन मंत्री सुबोध उनियाल ने दिए निर्देश

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 40 दिन के भीतर नरेंद्र नगर का सीमांकन किया जाए ताकि भूमि को लेकर बनी गफलत दूर हो सके। एक दौर में टिहरी रियासत का महत्वपूर्ण अंग रहे इस शहर को वन विभाग ने अपने अभिलेखों में वन भूमि के रूप में दर्शाया है।

By kedar duttEdited By: Shivam YadavUpdated: Sun, 01 Oct 2023 01:36 AM (IST)
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टिहरी जिले के अंतर्गत नरेंद्र नगर शहर पर मंडरा रहे संकट का शीघ्र समाधान होगा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। टिहरी जिले के अंतर्गत नरेंद्र नगर शहर पर मंडरा रहे संकट का शीघ्र समाधान होगा। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 40 दिन के भीतर नरेंद्र नगर का सीमांकन किया जाए, ताकि भूमि को लेकर बनी गफलत दूर हो सके। 

एक दौर में टिहरी रियासत का महत्वपूर्ण अंग रहे इस शहर को वन विभाग ने अपने अभिलेखों में वन भूमि के रूप में दर्शाया है। नगर पालिका परिषद नरेंद्र नगर ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। चिंता का कारण ये भी है वर्तमान में वन विभाग द्वारा राज्य में वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा रहा है। ऐसे में नरेंद्र नगर के लोग भी सशंकित हैं।

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने यह विषय संज्ञान में आने के बाद शनिवार को विधानसभा भवन स्थित सभागार में वन एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों से वस्तुस्थिति की जानकारी ली। 

अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत विलय

बाद में मीडिया से बातचीत में वन मंत्री उनियाल ने कहा कि वर्ष 1949 में टिहरी रियासत का विलय भारत में हुआ। विलय अधिनियम की शर्तों का पालन करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हाल में वन विभाग ने पूरे नरेंद्र नगर को वन भूमि के रूप में दर्शाया है, जो विलय अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र नगर में 323 हेक्टेयर भूमि टिहरी के महाराजा और स्थानीय जनता के नाम थी। वर्ष 1964 में हुए बंदोबस्त में वन विभाग ने नरेंद्र नगर की भूमि के मामले को लेकर कोई चुनौती नहीं दी। साफ था कि उसने बंदोबस्त को स्वीकार किया है। यही नहीं, बाद में टिहरी के डीएम ने नरेंद्र नगर में नजूल भूमि के पट्टे जारी किए। ऐसे में यह भूमि वन विभाग की कैसे हो सकती है।

40 दिन का समय दिया गया

वन मंत्री के अनुसार, उन्होंने निर्देश दिए हैं कि विलय अधिनियम के अनुसार टिहरी के महाराजा की 222 हेक्टेयर निजी भूमि और शेष 101 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित कर उसका सीमांकन किया जाए। इससे भूमि को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। इस कार्य के लिए 40 दिन का समय दिया गया है।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित है कमेटी

वन मंत्री ने कहा कि न केवल नरेंद्र नगर बल्कि राज्य में अन्य स्थानों पर भी वन विभाग और राजस्व विभाग के मध्य भूमि को लेकर विवाद की स्थिति है। पूर्व में कैबिनेट की बैठक में उन्होंने यह विषय उठाया था। 

इस तरह के मामलों के निस्तारण के दृष्टिगत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र नगर का प्रकरण इससे अलग है। अधिकारियों को इसका शीघ्र निस्तारण कराने के निर्देश दिए गए हैं।

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