इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही यह युवती
दून की चंद्रबनी सेवलाकलां निवासी श्रुति कौशिक भी ऐसी ही एक बेटी है, जिसने स्वयं सशक्त होने के साथ अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 17 Oct 2018 08:13 AM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: आज बेटियों का सफर चुनौतियों से भरा जरूर है, पर उनमें इनसे लड़ने का साहस भी आ गया है। आत्मविश्वास के बल पर वह दुनिया के हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। दून की चंद्रबनी सेवलाकलां निवासी श्रुति कौशिक भी ऐसी ही एक बेटी है, जिसने स्वयं सशक्त होने के साथ अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया है।
29-वर्षीय श्रुति इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद पुणे की एक कंपनी में नौकरी करने लगीं। लेकिन, महिलाओं के लिए कुछ करने की चाह उन्हें अंदर ही अंदर कचोटती रही। सो, कुछ समय बाद कंपनी की नौकरी को अलविदा कह वर्ष 2013 में उन्होंने सहेली फाउंडेशन की शुरुआत की। इसमें वह जरूरतमंद महिलाओं को प्राथमिक शिक्षा के साथ सिलाई, कढ़ाई व अन्य प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। श्रुति बताती हैं कि वह मां मंजू कौशिक को हमेशा जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखती थीं। यहीं से उनके अंदर समाज सेवा के लिए कुछ करने की इच्छा जागृत हुई। उनके कार्य में पिता पुलकित कौशिक और भाई अनिल कौशिक भी बराबर हमेशा सहयोग करते हैं।
महिलाओं के लिए सुरक्षित सफर की शुरुआत
श्रुति के प्रयासों से सहेली फाउंडेशन रविवार से पिंक शी कैब सर्विस शुरू कर चुका है। महिलाओं के सुरक्षित सफर के लिए पांच महिला ड्राइवरों को प्रशिक्षित किया गया है। शी कैब सर्विस दून, हरिद्वार, मसूरी, ऋषिकेश व जौलीग्रांट में संचालित होगी। इन महिला ड्राइवरों का कहना है कि आत्मनिर्भर बनना उनके लिए गौरव की बात है। स्वयं के साथ सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है।
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