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यह हैं रियल लाइफ के पैडमैन, सेनेटरी पैड लेकर कर रहे हैं जागरूक

देहरादून निवासी अनुराग चौहान महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वह महिलाओं को सेनेटरी पैड को लेकर जागरूक करने को प्रेरित करते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 29 May 2018 05:17 PM (IST)
यह हैं रियल लाइफ के पैडमैन, सेनेटरी पैड लेकर कर रहे हैं जागरूक
देहरादून, [दीपिका नेगी]: आपने फिल्मी पर्दे पर रील लाइफ 'पैडमैन' अक्षय कुमार को तो देखा होगा। लेकिन, आज हम आपको मिलाते हैं रियल लाइफ पैडमैन अनुराग चौहान से। उम्र महज 24 साल, लेकिन सोच और जज्बे को बड़े-बड़े सराहते हैं। शायद यही वजह है कि पैडमैन फिल्म बनाने वाली अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना भी उनकी मुरीद हैं। ट्विंकल ने ईमेल भेजकर अनुराग के काम की तारीफ की तो अनुराग भी फूले नहीं समाए। उनकी खास बात है कि वो पुरुषों से माहवारी को लेकर बात करते हैं और उनसे घर की महिलाओं को सेनेटरी पैड के इस्तेमाल को लेकर जागरूक करने को कहते हैं। इस पहल से महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों का भी नजरिया बदल रहा है।

मूल रूप से डिफेंस कॉलोनी रोड, बद्रीपुर, देहरादून निवासी अनुराग चौहान ने महज 20 वर्ष की आयु में महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था। अनुराग बताते हैं कि उन्होंने तीन साल पहले वॉश प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस मुहिम के तहत वो परिवार के पुरुषों से माहवारी को लेकर बात करते हैं।

साथ ही उन्हें अपने परिवार की महिलाओं को सेनेटरी पैड को लेकर जागरूक करने को प्रेरित करते हैं। उनकी स्ववित्त पोषित संस्था ह्यूमन फॉर ह्यूमैनिटी वर्ष 2014 से महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है। संस्था के सदस्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को निश्शुल्क पैड बांटते हैं।

संस्था महिलाओं को घर पर ही रॉ मैटेरियल से पैड तैयार करने का प्रशिक्षण भी देती है। साथ ही टीम के डॉक्टर पैड के प्रयोग, साफ-सफाई और खान-पान से जुड़ी बातों की जानकारी देते हैं। 

अन्य राज्यों में भी कर रहे काम

अनुराग उत्तराखंड समेत दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं। सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वर्ष 2016 में करमवीर चक्र पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

एक हेल्थ सर्वे रिपोर्ट ने बदल दी जीवन की दिशा

अनुराग बताते हैं कि 2012 में एक हेल्थ सर्वे रिपोर्ट ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी। रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में डेढ़ लाख महिलाओं की मौत माहवारी के दौरान स्वच्छता न बनाए रखने के कारण होती है। इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में काम करने का मन बनाया और उनकी मां ने भी काफी सपोर्ट किया। अनुराग बताते हैं कि कम होते लिंगानुपात के क्रम में महिलाओं की जागरूकता के अभाव में मौत चिंता का विषय है।

पुरुष होकर इस क्षेत्र में काम करना चुनौती से कम नहीं

अनुराग बताते हैं कि जब वो पुरुषों से माहवारी के दौरान स्वच्छता और जागरूकता को लेकर बात करते हैं तो वो मुझे अजीब नजरों से देखते हैं। खासकर ग्रामीण और झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों में इसे लेकर अभी भी कई तरह की भ्रांतियां हैं। 

17 देशों के स्वयंसेवकों को देते हैं प्रशिक्षण

अनुराग की संस्था ह्यूमन फॉर ह्यमैनिटी भारत समेत विश्वभर के 17 देशों के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देती है। जिसमें जापान, इटली, चीन, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, स्पेन, मिस्र समेत अन्य देश शामिल हैं। प्रशिक्षण के बाद ये स्वयंसेवक भारत की मलिन बस्तियों और ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करते हैं।

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