अटल आयुष्मान पर पलीता लगा रहीं बूढ़ी मशीनें, जानिए कैसे
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सी-आर्म मशीन खराब होने से पिछले पांच दिन से ऑपरेशन ठप हैं। जिस कारण अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के लाभार्थी भी भटक रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 14 Feb 2019 12:59 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की 'बूढ़ी' मशीनें अब मरीजों को दर्द दे रही हैं। इस बार मामला न्यूरोलॉजी विभाग से जुड़ा है। जहां सी-आर्म मशीन खराब होने से पिछले पांच दिन से ऑपरेशन ठप हैं। जिस कारण अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के लाभार्थी भी भटक रहे हैं।
सी-आर्म मशीन न्यूरो और हड्डी से जुड़े ऑपरेशन में काम आती है। इस मशीन के जरिये डॉक्टर ऑपरेशन के दौरान शरीर के भीतर के हिस्से को स्क्रीन पर देख पाते हैं। इसके जरिये माइनर से लेकर बड़ा ऑपरेशन किया जा सकता है। कौन सा स्क्रू, रॉड, कहां डालनी है, इस मशीन के आधार पर ही लगाए जाते हैं। इस मशीन के बिना ऑपरेशन करना असंभव होता है। वर्तमान में अस्पताल में दो सी-आर्म मशीन हैं। इनमें एक न्यूरो और दूसरी आर्थो की ओटी में इस्तेमाल होती है। न्यूरो की ओटी में लगी मशीन पिछले पांच दिन से खराब पड़ी है। जिस कारण ज्यादातर ऑपरेशन ठप हैं और बैकलॉग बढ़ गया है। इस कारण आयुष्मान के लाभार्थियों को भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। बताया गया कि मशीन की एएमसी (एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट) तक नहीं हुई है। वहीं कंपनी का पूर्व का भी करीब 60-70 हजार रुपये बकाया है। ऐसे में इंजीनियर मशीन ठीक करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन यह दावा जरूर कर रहा है कि इसे जल्द दुरुस्त करा लिया जाएगा।
मशीन खराब होने पर किया डिस्चार्ज
अस्पताल में खराब पड़ी सी-आर्म मशीन के कारण भी दिक्कतें हो रही हैं। मसूरी के क्यारकुली निवासी भोपाल सिंह को भी इसी कारण डिस्चार्ज करना पड़ा। चिकित्सक का कहना है कि मरीज को सात दिन बाद का समय दिया गया था। न्यूरो सर्जन डॉ. डीपी तिवारी ने इस मामले की रिपोर्ट प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना को सौैंप दी है। पीडि़त का आरोप था कि चार दिन उन्हें भर्ती रखने के बाद बिना ऑपरेशन डिस्चार्ज कर दिया गया। यहां तक की ऑपरेशन के लिए सामान व दवाएं बाहर से मंगवाने का आरोप लगाया था। डॉ. तिवारी ने इसे निराधार बताया है। उनका कहना है कि अटल आयुष्मान के निर्धारित पैकेज के तहत मरीज की एमआरआइ तक निश्शुल्क कराई गई। उन्हें पूरा उपचार दिया गया और सात दिन बाद बुलाया गया था। ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीन खराब होने की बात मरीज की डिस्चार्ज स्लिप में भी साफ लिखी है।
डॉ. आशुतोष स्याना (प्राचार्य, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल) का कहना है कि सी-आर्म मशीन के खराब होने की वजह न्यूरो सर्जरी में दिक्कत आ रही है। अटल आयुष्मान के जिस लाभार्थी को बिना ऑपरेशन डिस्चार्ज करने की बात आई है, उसकाभी कारण यही रहा। उसे सात दिन बाद का समय दिया गया था। यह दिक्कत जल्द दूर कर ली जाएगी। अटल आयुष्मान के हर लाभार्थी को इलाज दिया जा रहा है।
दून अस्पताल में मरीजों के पास पहुंचेगी एक्सरे-मशीन
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों को एक बड़ी सुविधा मिलने जा रही है। अगले कुछ वक्त में अस्पताल को तीन पोर्टेबल एक्स-रे मशीन मिल जाएंगी। इससे वार्ड में भर्ती मरीजों का एक्सरे बेड पर ही हो जाएगा। उन्हें एक्सरे के लिए संबंधित कक्ष तक खुद चलकर नहीं जाना पड़ेगा।दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को तीन साल पहले मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया था। जिसके बाद यहां एमसीआइ के मानकों के अनुरूप संसाधन जुटाए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नई एक्स-रे मशीनों की खरीद की कार्रवाई शुरू कर दी है। जिसमें तीन पोर्टेबल मशीन भी शामिल हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि पोर्टेबल एक्सरे-मशीन का फायदा मरीजों को मिलेगा। यह मशीनें इमरजेंसी, आइसीयू व ट्रॉमा वार्ड में स्थापित कराई जाएंगी। इसके अलावा वार्ड में भर्ती जो मरीज बीमारी के चलते नहीं चल पाने की स्थिति में होंगे एक्स-रे मशीन उनके बेड तक पहुंचाई जाएगी। उनका एक्स-रे वहीं हो जाएगा।
इमेज इंटेंसिफायर की भी सुविधाअस्पताल प्रशासन ने एक्स-रे इमेज इंटेंसिफायर की खरीद की प्रक्रिया भी शुरू की है। इसका फायदा यह होता है कि मरीज को दवा (बेरियम सल्फेट) दी जाती है। दवा का प्रवाह इमेज इंटेंसिफायर की मदद से देखा जाता है। इससे आंतों की सूजन,ब्लॉकेज,कैंसर, आंत की टीबी,आंत का फटना आदि का आसानी से पता लगाया जा सकता है। फिशर आदि में भी यह विधि उपयोगी है। इसके लिए डाई का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब की ब्लॉकेज में भी यह मददगार है। वहीं पेशाब संबंधित दिक्कत का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।
अब प्रशासनिक पदों पर बैठे डॉक्टर भी कर रहे ओपीडीनॉन क्लीनिकल (प्रशासनिक पद) वर्ग में कार्यरत एलोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सकों को प्रैक्टिस बंदी भत्ता (एनपीए) का लाभ पाने के लिए शासन ने नए नियम लागू किए हैं। एनपीए का लाभ लेने के लिए उन्हें सप्ताह में दो-तीन दिन ओपीडी में बैठना जरूरी कर दिया गया है।
इस आदेश के अनुसार क्लीनिकल वर्ग में वह चिकित्सक शामिल हैं, जो सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में बैठकर मरीजों का उपचार करते हैं। जबकि नॉन क्लीनिकल वर्ग में वह चिकित्सक शामिल हैं, जो प्रशासनिक पदों पर तैनात हैं। इसमें चिकित्साधिकारी से लेकर निदेशक तक के पद शामिल हैं। अब इन्हें एनपीए का लाभ तभी मिल सकता है, जबकि वह सप्ताह में कम से कम दो दिन किसी राजकीय अस्पताल की ओपीडी में बैठकर मरीजों का उपचार करें। चिकित्सकों को मूल वेतन का 15 प्रतिशत एनपीए अनुमन्य है। इन प्रावधानों के अमल में आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशालय ने रोस्टर बना दिया है। जिसके तहत अब अधिकारी भी मरीज देखेंगे। बुधवार को आयुर्वेद निदेशालय ने बकायदा प्रशासनिक पदों पर तैनात नौ चिकित्साधिकारियों को सप्ताह में दो दिन ओपीडी में बैठने के लिए अस्पताल आवंटित कर दिए हैं। सभी अस्पताल देहरादून में ही हैं। यानी एनपीए का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक कार्यों में तैनात चिकित्साधिकारी अब ओपीडी भी करने को तैयार हैं।
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