उत्तराखंड में अवकाश पर रहे तीन लाख कर्मचारी, सख्ती रही बेअसर
10 सूत्री मांग को लेकर उत्तराखंड के करीब तीन लाख कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहे। इस दौरान कर्मचारी संगठनों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 31 Jan 2019 08:48 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राज्य सरकार की सख्ती को दरकिनार करते हुए 10 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेशभर के करीब तीन लाख कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहे। इस दौरान कर्मचारी संगठनों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। वहीं, कई संगठनों से जुड़े कर्मचारियों ने अपने कार्यालयों में भी एकजुट होकर नारे लगाए।
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने बुधवार को अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) राधा रतूड़ी के साथ वार्ता विफल होने के बाद सामूहिक अवकाश पर जाने का एलान कर दिया था। जबकि सरकार ने भी सख्ती दिखाते हुए आंदोलनकारी कर्मचारियों का अवकाश स्वीकृत न करने का आदेश जारी किया था। विभाग स्तर पर भी इस तरह के आदेश जारी होने के बावजूद आपात सेवाओं वाले विभागों को छोड़कर प्रदेशभर में आंदोलन का प्रभाव लगभग पूर्ण रूप से नजर आया।
देहरादून जिले में धारा 144 लागू होने और धरना-प्रदर्शन पर प्रतिबंध होने के बाद भी कर्मचारी लैंसडौन चौक स्थित धरनास्थल पर एकजुट हुए और अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। एकजुट हुए कर्मचारियों ने सरकार की सख्ती को सीधे तौर पर चुनौती दे डाली। तमाम कार्यालयों में ताले लटके नजर आए और जो कार्यालय खुले भी दिखे, वहां भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
हालांकि धरना-प्रदर्शन व कर्मचारियों पर अंकुश लगाने के लिए जगह-जगह भारी फोर्स भी तैनात रही, मगर इसका कर्मचारियों पर कोई असर नहीं दिखा। प्रदर्शन के दौरान समिति के संयोजक मंडल में शामिल सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा के मुख्य संयोजक ठा. प्रहलाद सिंह, संतोष रावत, अरुण पांडे, सुनील कोठारी, एसपी रणाकोटी, राकेश जोशी समेत विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य शामिल रहे।
ये हैं दस सूत्री मांगें
जो भी विषय आए, वे सभी मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे, ताकि उन पर सकारात्मक निर्णय लिया जा सके। सरकार कर्मचारी हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पबद्ध है। देर शाम शासन ने बैठक का कार्यवृत्त जारी किया। कार्यवृत्त जारी होने के बाद भी फिलहाल कर्मचारियों ने अपना आंदोलन स्थगित नहीं किया है। समिति के संयोजक मंडल में शामिल सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि कार्यवृत के कुछ बिंदु आगे-पीछे हो गए हैं। इन पर संयोजक मंडल शुक्रवार सुबह बैठक करेगा और कैबिनेट की बैठक के बाद आगे के कार्यक्रम पर निर्णय लिया जाएगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन व सचिव अमित नेगी के अलावा समन्वय समिति के दीपक जोशी, राकेश जोशी, प्रह्लाद सिंह, संतोष रावत व नवीन कांडपाल आदि शामिल हुए।इन मांगों पर बनी सहमति
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- आवास भत्ते में 8,12,16 प्रतिशत वृद्धि।
- वर्तमान एसीपी के स्थान पर एसीपी की पूर्व व्यवस्था लागू हो।
- शिथिलीकरण नियमावली 2010 को यथावत लागू किया जाए।
- पुरानी पेंशन की बहाली की जाए।
- सरकारी अस्पतालों में रेफर करने की व्यवस्था समाप्त हो।
- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 4200 ग्रेड-पे।
- वाहन चालकों को 4800 ग्रेड-पे दिया जाए।
- उपनल कर्मियों को समान कार्य-समान वेतन।
- 2005 से पहले के निगम कर्मचारियों को स्वायत्तशासी निकायों के समान पेंशन।
जो भी विषय आए, वे सभी मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे, ताकि उन पर सकारात्मक निर्णय लिया जा सके। सरकार कर्मचारी हितों को सुरक्षित रखने के लिए संकल्पबद्ध है। देर शाम शासन ने बैठक का कार्यवृत्त जारी किया। कार्यवृत्त जारी होने के बाद भी फिलहाल कर्मचारियों ने अपना आंदोलन स्थगित नहीं किया है। समिति के संयोजक मंडल में शामिल सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि कार्यवृत के कुछ बिंदु आगे-पीछे हो गए हैं। इन पर संयोजक मंडल शुक्रवार सुबह बैठक करेगा और कैबिनेट की बैठक के बाद आगे के कार्यक्रम पर निर्णय लिया जाएगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन व सचिव अमित नेगी के अलावा समन्वय समिति के दीपक जोशी, राकेश जोशी, प्रह्लाद सिंह, संतोष रावत व नवीन कांडपाल आदि शामिल हुए।इन मांगों पर बनी सहमति
- मकान किराया भत्ता: सहमति बनी कि अब आठ, 10 व 12 प्रतिशत आवास भत्ता दिए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। पति-पत्नी के सेवारत होने पर दोनों को किराया भत्ता देने पर भी विचार किया जाएगा।
- एसीपी पूर्व की भांति लागू करने की मांग: राज्य, निगम, शिक्षा व ऊर्जा विभाग के एसीपी पर समिति प्रस्ताव वित्त विभाग को देगी, जिसे वित्त विभाग कैबिनेट के सामने रखेगा।
- पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग: भारत सरकार द्वारा योजना में कोई परिवर्तन किया जाता है तो प्रदेश सरकार भी तदनुसार विचार करेगी।
- राज्य कर्मचारियों के पक्ष में निर्गत होने वाले शासनादेश समान रूप से सभी निगमों, निकाय व प्राधिकरणों में एक ही तिथि से लागू किए जाएं: सहमति बनी कि राज्य कर्मचारियों की भांति ही सभी संस्थानों को इस प्रतिबंध के साथ शासनादेश निर्गत किए जाएंगे कि संबंधित संस्थान वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर आदेश जारी करेंगे।
- 2006 या उसके बाद सीधी भर्ती से पदोन्नत कर्मचारियों के शुरुआती वेतन के संबंध में वित्त विभाग की शर्त को विलोपित करने की मांग: बताया गया कि शर्त वापस नहीं ली जा सकती लेकिन जिन कार्मिकों को इसका लाभ मिला है उनसे वसूली की कार्यवाही नहीं की जाएगी।
- उपनल व आउटसोर्स कर्मचारियों को समान कार्य के अनुरूप वेतन की मांग: बताया गया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। मानदेय बढ़ाने के संबंध में जल्द बैठक की जाएगी।
- भत्तों के संबंध में निर्णय लिया गया कि शासनादेश के क्रमांक एक, सात, 12, 14 व 15 को पुनर्जीवित किया जाएगा।
- राज्य संपत्ति के आवास में मेंटिनेंस की बढ़ाई दर को कम करते हुए चार गुना के स्थान पर दो गुना किया जाएगा।