तीन शातिर ठग गिरफ्तार, दो सौ एटीएम कार्ड बरामद Dehradun News
मदद के नाम पर एटीएम कार्ड बदलकर बैंक खातों से मोटी रकम उड़ाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने सरगना समेत तीन को गिरफ्तार किया है।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 18 Sep 2019 12:24 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। मदद के नाम पर एटीएम कार्ड बदलकर बैंक खातों से मोटी रकम उड़ाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने सरगना समेत तीन को गिरफ्तार किया है। गिरोह के पास से दो सौ एटीएम कार्ड भी बरामद किए गए हैं। ये गिरोह मदद का झांसा देकर इन्हीं कार्डों से उपभोक्ता के एटीएम कार्ड को बदल देता था। ठगों के पास से पुलिस ने एक पिस्टल, एक तमंचा और 1.70 लाख रुपये भी बरामद किए हैं।
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि बीते पंद्रह दिनों के दौरान पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र में एटीएम कार्ड बदलकर ठगी की दो वारदात को अंजाम दिया गया। दिनेश चंद्र निवासी चौपाल, शिमला व कैलाश चंद्र निवासी मेहूंवाला, पटेलनगर की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था। दोनों वारदात की मोडस ऑपरेंडी (अपराध का तरीका) लगभग एक जैसा था। इससे यह आशंका हो गई थी कि दोनों वारदात के पीछे किसी एक ही गिरोह का हाथ है। इंस्पेक्टर पटेलनगर सूर्य भूषण नेगी को गिरोह तक पहुंचने का टास्क सौंपा गया।
तफ्तीश के दौरान घटनास्थल वाले एटीएम के आसपास लगे साठ से अधिक सीसीटीवी कैमरों को चेक किया गया। इस दौरान दिल्ली नंबर की एक कार दोनों स्थानों पर दिखी। कार के देहरादून से निकलने के रूट की रेकी गई तो पता चला कि गिरोह वारदात को अंजाम देकर दिल्ली की ओर गया है। वही कार ट्रांसपोर्ट नगर के पास लगे बैरियर पर चेकिंग के दौरान पकड़ी गई। कार में बैठे तीन युवकों से जब पूछताछ की जाने लगी तो वह भागने लगे, जिन्हें पुलिस टीम ने दबोच लिया। पूछताछ में तीनों की पहचान ज्ञानेंद्र पुत्र रामकिशन निवासी शिवाजी पार्क शाहदरा दिल्ली, मूल पता बलरामनगर लोनी, गाजियाबाद, अमित पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी बलरामनगर गाजियाबाद व कलीम बेग पुत्र सलीम बेग निवासी कच्चा बलरामनगर, गाजियाबाद के रूप में हुई। तीनों ने दिल्ली के शाहदरा इलाके में किराये पर कमरा लेकर रहते हैं। वहीं से अलग-अलग राज्यों में वारदात को अंजाम देने निकलते थे और फिर वापस लौट कर छिप जाते थे।
यह भी पढ़ें: चेक बाउंस में महिला को तीन माह के कठोर कारावास की सजा Dehradun Newsबुजुर्ग और ग्रामीणों को बनाते थे शिकारगिरोह के सरगना ज्ञानेंद्र ने बताया कि एटीएम कक्ष में जब बुजुर्ग या ग्रामीण परिवेश के लोगों को रकम निकालने में दिक्कत होती तो कोई सदस्य उसकी मदद करने में जुट जाता। तब तक एक शख्स कार्ड का पासवर्ड देखकर याद कर चुका होता। इसके बाद मदद के नाम पर व्यक्ति को दूसरा एटीएम कार्ड देकर वहां से रफूचक्कर हो जाते और जिले से बाहर जाकर खाते में पड़ी रकम निकाल लेते।
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