International Tiger Day 2020: उत्तराखंड में शिखर पर बाघ, चुनौतियां भी बरकरार
International Tiger Day 2020 उत्तराखंड में बाघ निरंतर शिखर छू रहे हैं। 14 साल पहले राज्य में बाघों की संख्या महज 178 थी वह अब बढ़कर 442 पर पहुंच गई है।
By Edited By: Updated: Wed, 29 Jul 2020 08:45 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। International Tiger Day 2020 उत्तराखंड में बाघ निरंतर शिखर छू रहे हैं। 14 साल पहले राज्य में बाघों की संख्या महज 178 थी, वह अब बढ़कर 442 पर पहुंच गई है। इसके साथ ही बाघों ने मैदानी इलाकों से निकलकर चोटियों की तरफ भी रुख किया है। केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, अस्कोट, खतलिंग ग्लेशियर जैसे 12 से 14 हजार फीट की ऊंचाई वाले उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी इनकी मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। जाहिर है कि अब बाघ सुरक्षा को लेकर चुनौती अधिक बढ़ गई है। 2018 की बाघ गणना के गत वर्ष घोषित प्रारंभिक आंकड़ों के बाद मंगलवार को जारी इसकी विस्तृत रिपोर्ट में भी जिन राज्यों में बाघों के उच्च शिखरीय क्षेत्रों की तरफ बढ़ने का उल्लेख है, उनमें उत्तराखंड भी शामिल है।
उत्तराखंड की केदारनाथ सेंचुरी के अलावा सिक्किम वन प्रभाग में कैमरा ट्रैप में कैद बाघों की तस्वीरों को भी रिपोर्ट में जगह दी गई है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो बाघों की संख्या में इजाफा और इनके शिखरों तक पहुंचने को राज्य में बाघ संरक्षण के चल रहे प्रयासों का सुफल माना जा सकता है। बीते चार वर्षों को ही लें तो सूबे में बाघों के मुख्य घर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और उससे सटे वन प्रभागों से निकलकर बाघ पहाड़ों की तरफ बढ़े हैं। साढ़े बारह हजार फीट की ऊंचाई पर पिथौरागढ़ के अस्कोट अभयारण्य, केदारनाथ सेंचुरी के मध्यमहेश्वर में 14 हजार फीट और खतलिंग ग्लेशियर में 12139 फीट की ऊंचाई तक बाघों की तस्वीरें कैमरा ट्रैप में कैद होती आ रही हैं। जाहिर है कि अब बाघों की सुरक्षा को लेकर चुनौती ज्यादा बढ़ गई है। अभी तक कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व समेत इनसे लगे वन प्रभागों में बाघ सुरक्षा पर फोकस था, जिसे अब उच्च हिमालयी क्षेत्रों तक बढ़ाना समय की मांग है। विशेषज्ञ भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. धनंजय मोहन कहते हैं कि राज्य में निरंतर बाघ बढ़ रहे हैं।
यह भी पढ़ें: Tiger conservation में कॉर्बेट फिर सरताज, देश के सभी 50 टाइगर रिजर्व में यहां सबसे अधिक बाघऐसे में वे नए क्षेत्र भी खोज रहे हैं। बाघों का ऊंचाई की तरफ बढ़ना इसका प्रमाण है। वह कहते हैं कि अब चुनौती ज्यादा बढ़ गई है। बाघों की सुरक्षा को ठोस और प्रभावी कदम उठाने आवश्यक हैं। साथ ही वासस्थल विकास पर ध्यान देना होगा।
राज्य में बाघ गणना वर्ष, संख्या 2018, 442 2014, 340 2010, 227 2006, 178यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में हाथियों को आबादी की तरफ आने से रोकेंगे कांटेदार बांस और मधुमक्खियां
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