बाघ संरक्षण: मोदी की उम्मीदों को पंख लगाएगा उत्तराखंड, पढ़िए पूरी खबर
बाघों की संख्या के लिहाज से देश में तीसरे स्थान पर चल रहे उत्तराखंड में बाघ का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है। हालांकि बदली परिस्थितियों में चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।
By Edited By: Updated: Mon, 26 Aug 2019 08:27 PM (IST)
देहरादून, केदार दत्त। राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के मोदी मिशन की उम्मीदों को अब उत्तराखंड पंख लगाएगा। बाघों की संख्या के लिहाज से देश में तीसरे स्थान पर चल रहे उत्तराखंड में बाघ का कुनबा निरंतर बढ़ रहा है। हालांकि, बदली परिस्थितियों में चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। संरक्षण से आगे जाकर सोचने के प्रधानमंत्री के संदेश पर राज्य ने अमल करना भी शुरू कर दिया है। इस कड़ी में कार्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व समेत बाघ बहुल क्षेत्रों में धारक क्षमता (कैरिंग कैपिसिटी) का सर्वे कराया जा रहा है। साथ ही बाघों की सुरक्षा पर खास फोकस किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बाघ संरक्षण की दिशा में हुए प्रयासों का उल्लेख किया तो इससे उत्तराखंड भी गदगद है। यह स्वाभाविक भी है। देश में मध्य प्रदेश (526) और कर्नाटक (524) के बाद बाघों की संख्या के लिहाज से उत्तराखंड (442) तीसरी पायदान पर है। यह बाघ संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश के सभी जिलों में बाघों की मौजूदगी है। संभवत: उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है। साफ है कि 71.05 फीसद वन भूभाग वाले इस सूबे में बाघों के लिए बेहतर वासस्थल हैं।
यहां का विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व तो बाघों के घनत्व के लिहाज से देशभर में अव्वल है। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्बेट की सरजमीं से ही बेयर ग्रिल्स के चर्चित कार्यक्रम मैन वर्सेज वाइल्ड के जरिये दुनिया को प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता का संदेश दिया था। अब उन्होंने 'मन की बात' कार्यक्रम के माध्यम से बताया कि किस तरह देश ने 2022 से पहले ही बाघों की संख्या दोगुनी कर दी है। साथ ही यह भी कहा कि अब बाघ संरक्षण से आगे जाकर सोचना होगा। प्रधानमंत्री के इस मिशन की दिशा में उत्तराखंड ने कदम आगे बढ़ा दिए हैं।
नौ साल में दोगुना से ज्यादा हुए बाघ
यह बाघ संरक्षण के लिए हुए गंभीर प्रयासों का ही परिणाम है कि उत्तराखंड में महज नौ साल के वक्फे में बाघों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई। बाघ गणना के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। वर्ष 2010 में राज्य में बाघों की संख्या 199 थी, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 442 पर पहुंच गई। 2018 की गणना के आंकड़े इसी वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री ने जारी किए थे।
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आनंद वर्द्धन (प्रमुख सचिव वन उत्तराखंड) का कहना है कि वन एवं वन्यजीवों का संरक्षण हमारा दायित्व है। बाघों के संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गए। इसका नतीजा सबके सामने है। हालांकि, चुनौतियां भी बढ़ी हैं। संरक्षित क्षेत्रों के साथ ही बाघ बहुल क्षेत्रों की धारक क्षमता का वैज्ञानिक ढंग से सर्वे कराया जा रहा है। राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में ये बिंदु रखा जाएगा। सुरक्षा समेत अन्य बिंदुओं को लेकर भी प्रभावी रणनीति तैयार की जा रही है।
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