मान्यता है यहां घटता और बढ़ता है शिवलिंग, जानिए इस मंदिर का महत्व
प्राचीन सिद्धपीठ श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर यहां के पौराणिक मंदिरों में से प्रमुख है। शिवपुराण में भी इस मंदिर का वर्णन है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 28 Jul 2019 08:46 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। हरिद्वार के कनखल स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर यहां के पौराणिक मंदिरों में से प्रमुख है। शिवपुराण में भी इस मंदिर का वर्णन है। मंदिर में लक्ष्मी-नारायण, मां दुर्गा और बजरंग बली की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित किया गया है। इसकी गोलाई करीब पांच फीट और ऊंचाई दो फीट के आसपास है।
स्थापना और इतिहास प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष में शिवलिंग तिल-तिल करके घटता है और शुक्ल पक्ष में तिल-तिल बढ़ता है। पूर्णिमा को यह शिवलिंग पूर्ण स्वरूप में आता है। कहते हैं कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग में तिलों के साथ जलाभिषेक करने से भक्तों के कष्ट खत्म हो जाते हैं। वैसे तो इस मंदिर में बारामासी श्रद्धालु पूजा-अर्चना को पहुंचते हैं, लेकिन श्रावण मास में इस मंदिर में दर्शन और जलाभिषेक को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसकी स्थापना का काल ठीक-ठीक किसी को ज्ञात नहीं, इसका उल्लेख शिव पुराण में भी है।
कैसे पहुंचे कनखल में स्थित तिल भांडेश्वर मंदिर की हरिद्वार रेलवे और बस स्टेशन से दूरी तकरीबन पांच से छह किमी है। हरिद्वार के लिए सीधी बस और रेल सेवा है। नजदीक का हवाई अड्डा जौलीग्रांट 38 किमी की दूरी पर स्थित है। बस और रेलवे स्टेशन से रिक्शा, आटो, टेंपो और टैक्सी के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है।
तिलभांडेश्वर मंदिर के अध्यतक्ष श्रीमहंत त्रिवेणीदास बताते हैं कि प्राचीन काल में इस मंदिर का नाम तिल बद्र्धनेश्वर था, जिसे कालांतर में तिलभांड़ेश्वर के नाम से जाने जाना लगा। नाम के अनुरूप मंदिर में माथा टेकने से श्रद्धालुओं की विघ्न-बाधाओं का तिल-तिल करके शमन होता है। मंदिर के मुख्य पुजारी बताते हैं कि मंदिर की बड़ी मान्यता है, यहां स्थापित शिवलिंग कृष्ण पक्ष में तिल-तिल कर घटता और शुक्ल पक्ष में तिल-तिल कर बढ़ता है, पूर्णिमा को आता है पूर्ण स्वरूप में, तिलों के साथ जलाभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है।
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