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शिक्षा को सुधारने के लिए कई अहम संकल्प लिए, पढ़िए पूरी खबर

उत्‍तराखंड के भावी कर्णधारों की शिक्षा को सुधारने के लिए कई अहम संकल्प लिए हैं। वर्ष 2021 तक प्रत्येक सरकारी विद्यालय भवन और फर्नीचर के मामले में आत्मनिर्भर होगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 09 Nov 2019 10:09 AM (IST)
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शिक्षा को सुधारने के लिए कई अहम संकल्प लिए, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड राज्य ने स्थापना के 20वें वर्ष में दाखिल होने से पहले भावी कर्णधारों की शिक्षा को सुधारने के लिए कई अहम संकल्प लिए हैं। वर्ष 2021 तक प्रत्येक सरकारी विद्यालय भवन और फर्नीचर के मामले में आत्मनिर्भर होगा। वहीं 500 सरकारी इंटर कॉलेजों में आगामी जनवरी माह से स्मार्ट क्लासेज शुरू होंगी। इसी तरह उच्च शिक्षा में सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए लाए जा रहे अलग-अलग अंब्रेला एक्ट जल्द मूर्त रूप लेंगे।

प्रदेश के सरकारी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में पर्याप्त कक्षाकक्षों और फर्नीचर की कमी की समस्या बनी हुई है। सरकार ने अगले दो वर्षों के भीतर इस समस्या का समाधान करने का संकल्प लिया है। भवनों और संसाधनों के मामले में सरकार का ये इरादा सिर्फ विद्यालयी शिक्षा तक सीमित नहीं है। उच्च शिक्षा में भी भवन विहीन सरकारी डिग्री कॉलेजों को भवन और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। राज्य स्थापना के 19 साल पूरे होने और 20वें वर्ष में दाखिल होने के मौके पर सरकार दो दर्जन सरकारी डिग्री कॉलेजों को भवन बनाने के लिए धनराशि दे चुकी है। 

500 इंटर कॉलेजों में स्मार्ट क्लासेज

दस साल से ज्यादा वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार प्रदेश के 500 सरकारी इंटर कॉलेजों में स्मार्ट क्लासेज का सपना साकार होने जा रहा है। इसी शैक्षिक सत्र में आगामी जनवरी माह से इसे प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए चार स्टूडियो और वर्चुअल लैब ङ्क्षहदू नेशनल इंटर कॉलेज में स्थापित की जाएंगी। स्टूडियो में 45-45 मिनट की कक्षाएं चलेंगी। इन कक्षाओं को संचालित करने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। जिन कॉलेजों में शिक्षकों की कमी हैं, वहां प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट क्लासेज चलाई जाएंगी। स्मार्ट क्लास चलाने के लिए टीसीएल कंपनी के साथ करार हो चुका है। इस कार्य के लिए कंपनी को 92 करोड़ दिए जा रहे हैं। जिन विद्यालयों में शिक्षक मौजूद नहीं हैं, वहां स्मार्ट क्लासेज बड़े मददगार साबित होंगे। स्मार्ट क्लासेज में एक पीरियड 45 मिनट का होगा। इन क्लासेज के लिए आइटी में दक्ष शिक्षकों की मदद ली जाएगी। इन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि ये मास्टर ट्रेनर के रूप में अन्य शिक्षकों को ट्रेनिंग दे सकें।

6.84 लाख बच्चों को फ्लेवर्ड मिल्क

प्रदेश के सरकारी व सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ रहे 6.84 लाख बच्चों को इसी माह नवंबर से हफ्ते में एक बार मिड डे मील के साथ मीठा सुगंधित दूध पीने को मिलेगा। कक्षा एक से पांचवीं तक बच्चों को 100 मिलीलीटर और छठी से आठवीं कक्षा तक 150 मिलीलीटर दूध बच्चों को दिया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के बाद इस संबंध में शासनादेश जारी किया जा चुका है। मीठे सुगंधित दूध के रूप में कक्षा एक से पांचवीं तक प्राथमिक कक्षा के प्रत्येक बच्चे को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन मिलेगा। वहीं उच्च प्राथमिक कक्षाओं में प्रत्येक बच्चे को 700 कैलोरी व 20 ग्राम प्रोटीन मिलेगा। 

शिक्षकों को सम्मान 

इस वर्ष से अच्छा प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को जहां जिला स्तर पर पुरस्कृत करने की परंपरा आगे बढ़ाई गई, वहीं शैलेश मटियानी पुरस्कारों के लिए शिक्षकों को इंतजार करना पड़ा। लंबे इंतजार के बाद बीते माह अक्टूबर में 24 शिक्षकों को शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया। हालांकि प्रदेश में 29 शिक्षकों को यह पुरस्कार देने का प्रावधान है, लेकिन महकमे को पूरे शिक्षक पुरस्कार के लिए नहीं मिले। पुरस्कार के लिए शिक्षकों के चयन के नए मानक भी सरकार ने बनाए हैं। 

यूजीसी रेग्युलेशन से होंगी नई भर्तियां

सरकार ने अहम कदम उठाते हुए यूजीसी रेग्युलेशन-2018 को लागू कर दिया है। इससे विश्वविद्यालयों एवं सरकारी व सरकार सहायतित अशासकीय डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति, पदोन्नति के नए मानक लागू हो गए हैं। साथ ही यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक शिक्षकों की कॉलेजों में मौजूद रहने की नई समय अवधि भी लागू की गई है। 

छात्रों को कई रियायतें, ऋषिकेश नया कैंपस

उच्च शिक्षा में चालू शैक्षिक सत्र में छात्रों को कई रियायतें मिल गईं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था उच्च शिक्षा में लागू कर दी गई। वहीं छात्रसंघों के दबाव में सरकार को स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने का फैसला लेना पड़ा। वहीं बीते वर्ष श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का पर्वतीय कैंपस राजकीय पीजी कॉलेज गोपेश्वर को बनाने के बाद इस शैक्षिक सत्र में राजकीय पीजी कॉलेज ऋषिकेश को दूसरा कैंपस बनाने का फैसला लिया जा चुका है। अब दोनों कैंपस गोपेश्वर और ऋषिकेश में यूजीसी के मानकों के मुताबिक स्टाफ की तैनाती का मसला जल्द सुलझाने की कवायद की जा रही है। वहीं ऋषिकेश कैंपस बनने के बाद अब विश्वविद्यालय के प्रस्तावित भाववाला कैंपस की जरूरत नहीं रहेगी। गोपेश्वर कैंपस के लिए रूसा से 22 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इस राशि से ऑडिटोरियम, गल्र्स हॉस्टल, फैकल्टी भवन, मैनेजमेंट एंड कॉमर्स भवन, चाहरदीवारी का निर्माण और पुराने भवन की मरम्मत की जाएगी। इसीतरह ऋषिकेश कैंपस के लिए दो करोड़ की राशि रूसा से मंजूर हुई है। ऋषिकेश कैंपस के लिए 50 एकड़ भूमि उपलब्ध है। 

जल्द लागू होंगे दो अंब्रेला एक्ट

प्रदेश में सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग अंब्रेला एक्ट बनाए जा रहे हैं। एक्ट में यह प्रावधान किया जाएगा कि सरकारी विश्वविद्यालय परिनियमावली बनाने में देरी नहीं कर सकेंगे। उन्हें छह माह या निर्धारित समय अवधि के भीतर परिनियमावली को बनाना होगा। वहीं निजी विश्वविद्यालयों में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपर सचिव को नामित किए जाने का प्रावधान अंब्रेला एक्ट में जोड़ा गया है। इन दोनों ही एक्ट के मसौदे को अंतिम रूप देने के बाद अब सुझाव लेने को विश्वविद्यालयों को भेजा गया है। इन्हें आगामी विधानसभा सत्र में पेश करने की सरकार की योजना है। 

राज्य को केंद्र से सौगात

प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र से राज्य को हरिद्वार में रसूलपुर और ऊधमसिंहनगर में किच्छा में मॉडल कॉलेज तो पौड़ी के पैठाणी में पहले सरकारी  व्यावसायिक कॉलेज को मंजूरी मिली और अब इनके भवनों का निर्माण कार्य शुरू करने को धनराशि जारी की जा चुकी है। मॉडल कॉलेजों में छात्रों को रोजगारयुक्त एवं आधुनिक पैटर्न पर उच्च शिक्षा मिलेगी। केंद्र सरकार ने प्रत्येक मॉडल कॉलेज के लिए 12 करोड़ रुपये और व्यावसायिक कॉलेज के लिए 26 करोड़ मंजूर किए हैं। पैठाणी में व्यावसायिक कॉलेज में टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी, हॉस्पिटल हेल्थ केयर, रिन्यूवल एनर्जी, फायर सेफ्टी, फूड प्रोसेसिंग में बीटेक डिग्री और बैचलर ऑफ डिजाइनिंग के तहत प्रोडक्ट डिजाइनिंग की रोजगारपरक शिक्षा आधुनिक पैटर्न पर दी जाएगी। मॉडल कॉलेज में रोजगारोन्मुखी शिक्षा के अंतर्गत बीबीए, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, बीए ऑनर्स अर्थशास्त्र, बी लिब, एम लिब, मॉस कॉम, जर्नलिज्म, योग, नेचुरल पैथी, बी.कॉम, बैंकिंग इंश्योरेंस की शिक्षा मिलेगी। 

तकनीकी विवि पर राजभवन सख्त

उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने पीएचडी में धांधली और वित्तीय अनियमितताओं के लिए दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने के मामले में सरकार और राजभवन के निशाने पर है। विश्वविद्यालय रिमाइंडर भेजने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में कतरा रहा है। विश्वविद्यालय में पीएचडी मामले में धांधली के साथ स्पेशल ऑडिट में पकड़े गए घोटाले को लेकर सरकार ने बेहद कड़े तेवर अपनाए थे। ऑडिट रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के तीन संघटक कॉलेजों में 13.61 करोड़ के उपकरणों की खरीद में गड़बड़ी पकड़ी गई। 

एनआइटी पर असमंजस दूर

आखिरकार श्रीनगर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) को लेकर असमंजस दूर हो गया। बीते माह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत की मौजूदगी में राज्य के एकमात्र एनआइटी के भवन का शिलान्यास किया गया। एनआइटी को लेकर विवाद गहराने से इसके राज्य से छिने जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। 

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10 नए पैरामेडिकल कॉलेजों को मंजूरी

राज्य सरकार ने प्रदेश में 10 नए निजी पैरामेडिकल संस्थानों को अनुमति दी है। संस्थानों में चालू शैक्षिक सत्र 2019-20 के लिए नए पाठ्यक्रमों को अनापत्ति दी गई है। प्रदेश में करीब 32 नए पैरामेडिकल संस्थानों की ओर से आवेदन किए गए थे। कई स्तरों पर स्क्रुट््नी के बाद सिर्फ दस संस्थानों को ही नए पाठ्यक्रमों की अनुमति मिली है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इंपावर्ड कमेटी की बैठक में उक्त संस्थानों की संस्तुति की गई थी। उक्त 32 आवेदनों में कई पर्वतीय क्षेत्रों में पैरामेडिकल संस्थान की स्थापना के प्रस्ताव भी आए थे, लेकिन मानक पूरा नहीं किए जाने की वजह से उन्हें हरी झंडी नहीं मिल सकी। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि बगैर पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति के पैरामेडिकल संस्थानों का संचालन व विश्वविद्यालय की संबद्धता के बगैर दाखिला देना अवैधानिक है। ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। संस्थान को उतनी ही सीटों पर दाखिले देने होंगे, जितना अनुमति मिली है। 

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