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प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध जौनसार बावर और पछवादून, सिस्टम की बदइंतजामी पर्यटन पर भारी

प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध जौनसार बावर और पछवादून आजकल सिस्टम की उपेक्षा से जूझ रहा है। यहां मौजूद पर्यटन स्थल बदइंतजामी का दंश झेलने को मजबूर हैं।

By Edited By: Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:40 AM (IST)
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प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध जौनसार बावर और पछवादून, सिस्टम की बदइंतजामी पर्यटन पर भारी
विकासनगर, जेएनएन। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध जौनसार बावर और पछवादून आजकल सिस्टम की उपेक्षा से जूझ रहा है। यहां मौजूद पर्यटन स्थल बदइंतजामी का दंश झेलने को मजबूर हैं। कहीं पर रहने के पर्याप्त इंतजाम नहीं तो कहीं खाने-पीने  जैसे आवश्यक चीजों का अभाव है। ये हाल तब है जब हर साल हजारों की तादात में सैलानी यहां पहुंचते हैं और सरकार पर्यटन पर लाखों करोड़ खर्च करने का दावा करती है।

चकराता क्षेत्र के पर्यटन स्थलों के मनोहारी दृश्य पर्यटक का दिल खुश कर देते हैं, लेकिन जब थक कर कुछ देर आराम करने की सोचते हैं तो असुविधा पर्यटक का कष्ट बढ़ा देती है। ऐसे में एक बार आने वाला पर्यटक दोबारा आने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर में दर्जनभर से ज्यादा नामचीन पर्यटन स्थल हैं, जिनमें कई पुरातत्व महत्व के भी हैं, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं कहीं नहीं है। निवर्तमान कनिष्ठ प्रमुख खजान नेगी, तरुण संघ लखवाड़ के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र चौहान, पूर्व बीडीसी सुशील गौड, विजयपाल रावत, वीरेंद्र शर्मा, हरपाल चौहान, विक्रम सिंह पंवार, भरत सिंह राणा आदि का कहना है कि जौनसार क्षेत्र के चकराता, रामताल गार्डन, ठाणा डांडा, टाइगर फाल, देववन, मुंडाली, लोखंडी, कोटी कनासर, बुधेर, मोइला टाप, चुरानी जैसे पर्यटन स्थल पूरी तरह से उपेक्षित हैं। यहां पर न ठहरने की पर्याप्त सुविधा है और न ही खाने पीने की व्यवस्था। जौनसार के हर पर्यटन स्थल पर प्रकृति ने जमकर अपनी नेमतें बरसाई, यहां के नजारें इतने विहंगम हैं कि नजरें हटती ही नहीं। पर्यटन विभाग की उपेक्षापूर्ण नीति का खामियाजा यहां आने वाले पर्यटकों को भुगतना पड़ता है। विराटखाई में राजा विराट का किला, नागथात, चुरानी जैसे पर्यटन स्थलों में सुविधाएं बढ़ाने के लिए कभी प्रयास ही नहीं किए गए।

चकराता के हाल भी खस्ता

चकराता: जौनसार बावर के केंद्र स्थल चकराता तक में ही पर्यटकों के ठहरने की सुविधा पर्याप्त नहीं है। चकराता में सात प्राइवेट होटल हैं। छावनी क्षेत्र होने के कारण होटलों में ठहरने की सीमित सुविधा है। जिला पंचायत के गेस्ट हाउस में कोर्ट व वन विभाग के गेस्ट हाउस में विभागीय आफिस संचालित है। सिर्फ पुरोड़ी में लोनिवि का गेस्ट हाउस ही है, जहां पर पर्यटकों को ठहरने में सुविधा मिल सकती है।

ये पर्यटन स्थल बयां कर रहे अपनी व्यथा 

टाइगर फॉल

चकराता से पांच किमी दूरी पर स्थित टाइगर फॉल जब गिरता है, तो शेर की दहाड़ जैसी आवाज आती है, इसीलिए भारी संख्या में पर्यटक टाइगर फाल देखने को आते हैं। लेकिन यहां पर ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। उपेक्षा के शिकार टाइगर फाल को सुविधा संपन्न बनाने की स्थानीय लोगों की मांग पर पर्यटन विभाग ने ध्यान ही नहीं दिया।

कनासर

ऊंची पहाड़ियों और घने बरसाती वनों से घिरा यह स्थान पर्यटकों के लिए आदर्श जगह है। यहां ठहरने के लिए फोरेस्ट रेस्ट हाउस की व्यवस्था तो है, लेकिन उसमें पानी का अभाव है। चकराता से करीब 26 किलोमीटर दूर चकराता-त्यूणी मार्ग पर स्थित कनासर में भी सुविधाओं का अभाव है।

रामताल गार्डन

चकराता से करीब नौ किलोमीटर दूर स्थित रामताल गार्डन में हर साल तीन मई को वीर शहीद केसरीचंद का मेला लगता है। जहां पर हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं। अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध रामताल गार्डन में पर्यटन हर साल भारी संख्या में आते हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी अखरती है।

कटापत्थर

पछवादून के कटापत्थर पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो रहा है, लेकिन सरकारी स्तर से पर्यटन स्थल को विकसित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। यहां पर गर्मियों में नहाने के लिए लोग आते हैं, लेकिन नहाने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। जिसके चलते नीचे यमुना में डूबने से कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

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आसन बैराज

देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड में हर साल अक्टूबर से मार्च तक विदेशी परिंदों का प्रवास रहता है। जिसमें फ्लाश फिश इगल जैसे दुर्लभ प्रजाति के परिंदे भी शामिल रहते हैं। आसन में जीएमवीएन पर्यटन स्थल भी है, जहां पर आसन बैराज झील में बोटिंग भी होती है। जिससे पर्यटक बर्ड वाचिंग व बोटिंग का आनंद उठाते हैं। जीएमवीएन के पर्यटन स्थल पर तो सुविधाएं हैं, लेकिन आसन वेटलैंड के आसपास भी सुविधा नहीं है।

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