यहां भगवान भरोसे ट्रैफिक व्यवस्थाएं, कहीं बत्ती गुल तो कहीं सिग्नल; जानिए
देहरादून में ट्रैफिक व्यवस्थाएं पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही हैं। कहीं बत्ती गुल है तो कहीं सिग्नल। आठ स्थानों पर लगे स्मार्ट सिग्नल का भी बुरा हाल है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 04 Aug 2019 08:57 PM (IST)
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्थाएं पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही हैं। यहां हर साल करीब 55 हजार नए वाहन पंजीकृत हो रहे और मौजूदा समय में शहर में पंजीकृत चल रहे वाहनों का आंकड़ा करीब नौ लाख है। बाहरी राज्यों से जो वाहन यहां पंजीकृत हो रहे उनकी संख्या अलग। एक अनुमान के अनुसार शहर की मुख्य सड़कों पर एक घंटे में करीब 30 हजार वाहन संचालित हो रहे। सरकारी मशीनरी यातायात प्रबंधन में तमाम मोर्चे पर विफल साबित हो रही। बात अगर शहर में ट्रैफिक सिग्नल की करें तो 'स्मार्ट' शहर के तिराहे-चौराहे 19 साल पुरानी हरी, पीली और लाल बत्तियों के भरोसे हैं। शहर में लगी 38 ट्रैफिक बत्तियों में से आधी बंद हैं और जहां चल रहीं, उनमें अधिकतर सड़क से 'अदृश्य' हालात में हैं। हाल के दिनों में शहर में आठ स्थानों पर लगे स्मार्ट सिग्नल का भी बुरा हाल है। चार अभी तक इंस्टॉल ही नहीं हुए और बाकी चार में से दो फेल हो चुके हैं।
लालपुल में नजर नहीं आता सिग्नल पटेलनगर लालपुल को छह सड़कें जोड़ती हैं। यहां सहारनपुर आने-जाने वाली चार लेन और इंदिरेश अस्पताल की दो सड़कें शामिल हैं। मगर, बीच में बनाए गए पुलिस बूथ से इंदिरेश अस्पताल से से जाने वाले वाहनों को ट्रैफिक लाइटें अदृश्य दिखती है। यही हाल सहारनपुर चौक और निरंजनपुर मंडी की तरफ भी है। लाइटें खराब होने या बंद होने पर यहां छह सड़कों का ट्रैफिक को मैनुअली चलाना मुश्किल है। इससे चौराहे पर तेज रफ्तार वाहन अक्सर दुर्घटना के कारण बनते हैं। यह रोड दिन और रात भर व्यस्त रहती है। बावजूद इसके सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
कारगी चौक पर हर पल खतरा
हरिद्वार हाईवे पर स्थित कारगी चौक की लाइटें पूरी तरह भगवान भरोसे रहती हैं। यहां चौराहे को आठ सड़कें आपस में जोड़ती हैं। इसमें रिस्पना और आइएसबीटी से आने-जाने वाली रोड के बीच बंजारावाला और इंदिरेश अस्पताल वाली रोड गुजरती हैं। मगर, चौराहे पर ग्रीन और रेड लाइटें कभी-कभार जलती हैं। इससे चौराहे को पार करते वक्त पल-पल खतरे के साये में गुजरना पड़ता है। हाईवे पर चौबीसों घंटे वाहनों की आवाजाही होती हैं। लेकिन यहां सुरक्षा और व्यवस्था बनाने को लेकर जिम्मेदार विभाग आगे आने को राजी नहीं हैं।
घंटाघर और बुद्धा चौक में शो-पीस बनी ट्रैफिक लाइटें घंटाघर और बुद्धा चौक पर पांच ट्रैफिक लाइटें लगाई गई हैं। लेकिन इनमें से एक लाइट भी काम नहीं कर रही हैं। बुद्धा चौक पर आठ सड़कें आपस में जुड़ती हैं। किन्तु यहां वाहनों की आवाजाही बेतरतीब तरीके से होती है। स्थिति यह है कि यहां चौक से पहले ट्रैफिक लाइट और जेब्रा क्रासिंग जरूरी है। मगर, यहां भी ट्रैफिक का संचालन बेतरतीब तरीके से संचालित होता है। इससे शहर के इस क्षेत्र में सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है। खासकर घंटाघर में 10 सड़कें चौराहे को जोड़ती है। लेकिन यहां ट्रैफिक लाइटें बंद होने से सभी सड़कें जाम रहती हैं। जबकि यहां राजपुर रोड और चकराता रोड की तरफ रेड लाइट लगाकर वाहनों का सुचारू संचालन हो सकता है।
इन चौराहों पर नहीं दिखते सिग्नल
-प्रिंस चौक पर हरिद्वार रोड से गांधी रोड की तरफ जाते हुए -प्रिंस चौक पर गांधी रोड से हरिद्वार रोड की तरफ आते हुए
-प्रिंस चौक पर त्यागी रोड से तहसील चौक की तरफ जाते वक्त -बल्लूपुर चौक पर प्रेमनगर से घंटाघर की तरफ आते हुए
-लालपुल तिराहे पर महंत अस्पताल से सहारनपुर चौक की तरफ मुड़ते हुए -तहसील चौक पर दून अस्पताल से तहसील की तरफ आते वक्त मौसम खराब तो भी बत्ती गुल दून में अगर मौसम खराब होता है तो भी ट्रैफिक लाइटें बंद पड़ जाती हैं। दरअसल, कई लाइटें सौर ऊर्जा से संचालित हो रही हैं और मौसम खराब होने पर इनकी बैटरी ही चार्ज नहीं होती। जिसके चलते ये बंद पड़ जाती हैं। इस परिस्थिति में मैनुअल तरीके से ट्रैफिक संचालित किया जाता है। नगर निगम के पास है मेंटेनेंस ट्रैफिक पुलिस 26 में से खराब पड़े आठ सिग्नलों के बंद होने का ठीकरा नगर निगम पर फोड़ती है। सच भी यही है। दरअसल, शहर में ट्रैफिक लाइटें लगाने की जिम्मेदारी एमडीडीए व रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है। ज्यादातर लाइटें खराब होने की वजह इनके रखरखाव का अभाव रहा। विगत पांच साल से ट्रैफिक पुलिस लगातार यह मांग करती रही है कि सिग्नल की स्थापना और रखरखाव की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस को सौंप दी जाए। यहां कहने को ट्रैफिक लाइटें शहर के शिमला बाइपास, सेंट ज्यूड चौक, यमुना कॉलोनी, ओरियंट, आराघर चौक, सीएमआइ, बल्लीवाला, बुद्धा चौक आदि कई जगह ट्रैफिक लाइटें तो लगाई गई। लेकिन इनका संचालन आज तक नहीं हुआ। इससे इन जगहों पर ट्रैफिक लाइटें सिर्फ कहने को हैं। यहां फेल हुए स्मार्ट सिग्नल सर्वे चौक, जाखन यहां चल रहे स्मार्ट सिग्नल निरंजनपुर मंडी, मसूरी डायवर्जन यहां इंस्टॉल नहीं हुए स्मार्ट सिग्नल आराघर, ग्रेट वैल्यू, दिलाराम चौक, बेनी बाजार इन चौराहों पर ज्यादा खतरा निरंजनपुर मंडी, कमला पैलेस, बल्लीवाला, बल्लूपुर, लालपुल, प्रिंस चौक, तहसील, दर्शनलाल चौक, घंटाघर, एस्लेहॉल, बहल चौक, दिलाराम बजार, सर्वे चौक, आराघर और रिस्पना पुल। यहां जरूरी हैं लाइटें लगाना नेहरू कॉलोनी चौक, फव्वारा चौक, छह नम्बर पुलिया, मोथरोवाला रोड, बायपास रोड, धर्मपुर चौक, आराघर चौक, रेसकोर्स चौक, कैनाल रोड, प्रेमनगर बाजार, चंद्रबनी चौक। इसकी जरूरत -अभी तक शहर में लाल, हरी और पीली लाइटें हैं। जबकि पैदल चलने वालों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। -भीड़ वाली सड़कों पर सेंसर वाली ट्रैफिक लाइटें जरूरी हैं। ताकि वाहनों की आवाजाही सुचारु हो सके। -बिजली जाने के बाद सोलर सिस्टम या फिर बैटरी जरूरी है। जिलाधिकारी सी रविशंकर का कहना है कि स्मार्ट सिटी और मॉडल रोड प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसमें चौराहों के अलावा ट्रैफिक लाइटों के सुधार का कार्य होना है। दुर्घटना संभावित चौराहों पर सुधार के साथ सुरक्षा का भी कार्य कराया जाएगा। यातायात निदेशक केवल खुराना का कहना है कि जहां ट्रैफिक लाइटें खराब पड़ी हैं, उन्हें दुरुस्त करने के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया है। जहां इनकी जरूरत महसूस हो रही है वहां नई लाइटें लगाने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। यह भी पढ़ें: दून के चार चौराहों के चौड़ीकरण में सिस्टम खुद भटका, Dehradun News पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: हरिद्वार बाईपास से पूरा सिस्टम ही हो रहा 'बाईपास', जानिए क्या है पूरा मामलायह भी पढ़ें: साबरमती की तर्ज पर 10 साल से चल रही रिस्पना-बिंदाल की सूरत संवारने की कवायदअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
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