शहर में लग रहा जाम, पुलिस नदारद; आमजन का बुरा हाल
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से पुलिस नदारद है।
By Edited By: Updated: Wed, 20 Mar 2019 11:28 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद से शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से पुलिस नदारद है। जहां पुलिस दिख भी रही है, वहां वह सिर्फ ड्यूटी का समय पूरा कर रहे हैं। इधर, होली के चलते बाजारों में खरीददारी के लिए उमड़ रही भीड़ के चलते हालात पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं। सहारनपुर रोड पर मंडी से लेकर तहसील चौक तक लंबा जाम लग गया। आइजी गढ़वाल अजय रौतेला ने कहा कि चुनाव ड्यूटी के नाम पर ट्रैफिक को उसके हाल पर नहीं छोड़ा नहीं जा सकता।
चुनाव की घोषणा के बाद पुलिस को जैसे ट्रैफिक से पीछा छुड़ाने की मुंहमांगी मुराद ही मिल गई। सामान्य दिनों में ट्रैफिक को अपनी प्राथमिकता में बताने का हवाहवाई दावा करने वाली पुलिस ने एकदम से हाथ पीछे खींच लिए। ट्रैफिक में नियुक्त पुलिस कर्मियों को फोर्स की कमी का हवाला देकर चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया तो अब थाने से भी ट्रैफिक के नाम पर फोर्स तब निकलती है, जब सड़क पर किसी वीआइपी का निकलना होता है।
आम लोगों को हो रही समस्याओं पर गौर करने की जहमत कोई नहीं उठा रहा है। इधर, दो दिन से होली के मद्देनजर बाजारों में खरीददारी के लिए भीड़ उमड़ रही है, लेकिन न तो ट्रैफिक प्लान बनाया गया और न ही लोगों को जाम से बचाने के लिए अतिरिक्त फोर्स ही कहीं लगाई गई। सहारनपुर रोड पर पांच किमी लंबा जाम
मंगलवार को दोपहर के समय सहारनपुर रोड पर मंडी चौक से लेकर तहसील चौक तक लगभग पांच किलोमीटर लंबा जाम लग गया। जाम भी ऐसा कि एक-दो किलोमीटर की दूरी तय करने में घंटे-दो घंटे का वक्त लग गया। न रैली, न नेता, फिर क्यों जाम
शनिवार को राहुल गांधी की रैली के बाद से किसी भी दल के नेता की बड़ी जनसभा नहीं हुई। अभी होली तक कोई रैली संभावित भी नहीं है। फिर भी पुलिस चुनाव में व्यस्त है और लोग सड़क पर जाम में फंसकर हलकान हो रहे हैं। खतरे में पड़ रही जिंदगी जाम के चलते लोगों की जिंदगियां भी खतरे में पड़ रही है। आमतौर एंबुलेंस का सायरन सुनने के बाद लोग स्वाभाविक तौर पर रास्ता छोड़ देते हैं, लेकिन इधर कई दिनों से हालात ऐसे हो गए हैं कि एंबुलेंस को भी जाम में रेंग कर चलना पड़ रहा है। दून मेडिकल कॉलेज के आसपास तो यह नजारा कभी भी देखा जा सकता है।
अतिक्रमण-पार्किंग ने बढ़ाई मुसीबत
शहर के तमाम हिस्सों में अतिक्रमण ने सड़क को कब्जे में ले रखा है। ट्रैफिक पुलिस पार्किंग को लेकर कुछ इंतजाम करने का खाका तैयार कर ही रही थी कि आचार संहिता लागू होने से वह भी ठप हो गया। फोर्स चुनाव ड्यूटी में लग गई है। ऐसे में शहर में अतिक्रमण ने फिर से सड़कों को अपनी जद में ले लिया है और पार्किंग का तो कोई नियम ही नहीं रह गया है। सिर्फ हेलमेट न पहनने पर टूटता है नियम
दून शहर में हेलमेट पहने बिना क्या मजाल है कि कोई शख्स सीपीयू के सामने से गुजर जाए। सीपीयू की नजर में हेलमेट न पहनना सबसे बड़ा अपराध है, हेलमेट न पहनने वाले व्यक्ति से वह ऐसा सलूक करते हैं कि जैसे उसने कितना बड़ा अपराध कर दिया है। वहीं, यातायात नियमों को रौंद कर चलने वाले सिटी बस और विक्रम चालकों की मनमानी को तो ऐसे नजरअंदाज कर देते हैं कि जैसे वह सड़क पर यातायात नियमों के अनुपालन का मानक तय कर रहे हों। सिपाही पर तरेर दी आंख
चंद रोज पहले द्रोण कट पर ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सिटी बस और विक्रम चालकों के भीतर पुलिस के प्रति डर की बानगी दिखा दी। तहसील चौक से आ रहे एक विक्रम चालक ने एसएसपी आफिस को मुड़ने वाले मार्ग के मुहाने पर गाड़ी रोक दी, जिससे जाम लगने लगा। वहां तैनात यातायात सिपाही ने उसे टोका तो विक्रम के चालक ने सिपाही पर ही आंखें तरेर दी। सिपाही उसकी ओर दौड़ा तो विक्रम चालक वहां से भाग खड़ा हुआ।
बेलगाम हैं सिटी बस, विक्रम चालक सिटी बस और विक्रम चालक की मनमानी जगजाहिर है। आए दिन हादसे भी होते रहे हैं, फिर भी ऐसी क्या मजबूरी है कि पुलिस सिटी बस और विक्रम चालकों पर हाथ डालने से कतराती है और उनकी मनमानी को नजरअंदाज करना उचित समझती है। दरअसल, अधिकांश सिटी बस और विक्रम रसूखदार लोगों के हैं, जिनकी शासन-प्रशासन में लंबी पहुंच है। पुलिस जानती है कि यदि उन पर कोई कार्रवाई की तो लेने के देने पड़ जाएंगे। लिहाजा पुलिस भी आंखें मूंद केवल नौकरी का समय ही पूरा करना बेहतर समझती है।किया जा रहा जवाब तलब आइडी गढ़वाल अजय रौतेला के अनुसार शहर में जाम से हालात बदतर हो गए हैं। यह मेरे भी संज्ञान में आया है। यह भी शिकायत मिली है कि जिन चौक-चौराहों पर पुलिस तैनात भी वहां भी जाम लग रहा है। इस पूरे प्रकरण एसपी ट्रैफिक से जवाब तलब किया जा रहा है। यह भी पढ़ें: वोटों की फसल के फेर में शहर का हुआ बंटाधार, पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: यहां आज भी 13 हजार आबादी की हो रही उपेक्षा, पढ़िए पूरी खबरयह भी पढ़ें: यहां चार दशक से अधूरा पड़ा है मोटर मार्ग, जानिए
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