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उत्तराखंड में इस साल तबादला शून्य सत्र रहने के आसार, जानिए वजह

यह वर्ष तबादलों के लिहाज से शून्य सत्र घोषित हो सकता है। कोरोना महामारी की रोकथाम को जूझ रहे सरकारी कार्मिकों का तबादला करने से व्यवस्थाएं गड़बड़ा सकती हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Thu, 07 May 2020 07:50 AM (IST)
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उत्तराखंड में इस साल तबादला शून्य सत्र रहने के आसार, जानिए वजह
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में यह वर्ष तबादलों के लिहाज से शून्य सत्र घोषित हो सकता है। कोरोना महामारी की रोकथाम को जूझ रहे सरकारी कार्मिकों का तबादला करने से व्यवस्थाएं गड़बड़ा सकती हैं। तबादलों का समय भी अब निकलता जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष तबादले न के बराबर होंगे। हालांकि, इस पर कैबिनेट स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

प्रदेश में तबादलों के लिए प्रक्रिया नियमानुसार मार्च माह में शुरू हो जाती है। 31 मार्च को विभागीय स्तर पर कार्मिकों का चिह्नीकरण करना होता है। एक अप्रैल को शासन, विभाग, मंडल और जनपद स्तर पर स्थानांतरण समितियों का गठन हो जाता है।

15 अप्रैल तक प्रत्येक संवर्ग के सुगम और दुर्गम क्षेत्र के कार्यस्थल, पात्र कर्मचारियों और उपलब्ध और संभावित रिक्तियों की सूची का वेबसाइट पर डाल दी जाती है। 20 अप्रैल तक अनिवार्य स्थानांतरण के लिए पात्र कार्मिकों से विकल्प ले लिए जाते हैं। अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण के लिए आवेदन 30 अप्रैल तक की तिथि तय है। सभी आवेदन पत्र 15 मई तक जमा हो जाते हैं। 25 मई से पांच जून तक स्थानांतरण समिति की बैठक होती है और 10 जून तक तबादला आदेश जारी हो जाते हैं।

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इस वर्ष मई प्रारंभ हो चुका है और तबादला प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हो पाई है। यह प्रक्रिया यदि अब शुरू होती है तो फिर जुलाई तक यह प्रक्रिया चलेगी और अगस्त में तबादले होंगे। इतना ही नहीं प्रदेश में अभी कोरोना से जंग भी चल रही है। 17 मई तक लॉकडाउन है। 50 फीसद स्टाफ पर काम चल रहा है और स्कूल बंद हैं। ऐसे में प्रक्रिया शुरू होने में ही काफी वक्त लग जाएगा। ऐसे में इस बार तबादलों के लिहाज से शून्य सत्र घोषित हो सकता है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि तबादलों की समय सीमा को आगे बढ़ानी है या फिर शून्य सत्र घोषित करना है, इसे लेकर कैबिनेट ही निर्णय लेगी। 

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