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Mussoorie Tunnel: मसूरी में 450 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी टनल

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह भी कहा कि सड़कों के विकास पर सरकार ध्यान केंद्रित किए हुए है। मसूरी में ही 450 करोड़ की लागत से टनल प्रस्तावित है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 18 Jul 2020 09:50 AM (IST)
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Mussoorie Tunnel: मसूरी में 450 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी टनल
देहरादून, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य में पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां वर्षभर चलें, इस दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के मद्देनजर परिस्थितियां सामान्य होने के बाद इसका लाभ राज्य को मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सड़कों के विकास पर सरकार ध्यान केंद्रित किए हुए है। मसूरी में ही 450 करोड़ की लागत से टनल प्रस्तावित है। 

पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अभी पर्यटन सीजनल है। सालभर में करीब 150 दिन ही पर्यटन होता है। ऐसे में जरूरी है कि पर्यटन गतिविधियां वर्षभर हों। इस लिहाज से यूरोप के लोगों को यहां आकर्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन की गतिविधियां इस बार तो सालभर संभव नहीं हैं, मगर भविष्य में परिस्थितियां सामान्य होने के बाद इसका लाभ राज्य को मिलेगा।

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य में सड़कों के विकास पर खास फोकस किया गया है। केंद्र से भी इसमें भरपूर सहयोग मिल रहा है। गैरसैंण की सड़क परियोजना करीब सात सौ करोड़ की है। इसी प्रकार मसूरी में 450 करोड़ की लागत से टनल प्रस्तावित है। 2200 करोड़ की अन्य सड़कों को भी अब स्वीकृति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे पर भी सरकार का फोकस है और उम्मीद है कि इस संबंध में जल्द ही स्वीकृति राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मिल जाएगी।

 देहरादून से मसूरी के बीच बनेगा रोप वे

मसूरी की अलग ही पहचान है। देहरादून से मसूरी तक प्राकृतिक नजारे बरबस ही पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। देहरादून से मसूरी के बीच रोप वे बनाने का निर्णय लिया गया। गणना की गई कि इससे सफर मात्र 15 मिनट का होगा। पर्यटकों को रास्ते के जाम से भी मुक्ति मिलेगी। इसमें दो जगह स्टॉपेज और पार्किंग सुविधा की भी योजना बनी। योजना पर सालों तक काम चला। बीते वर्ष इसे मंजूरी दे दी गई। तकरीबन 300 करोड़ रुपये से बनने वाली इस परियोजना के लिए निर्माण एजेंसी तक तय कर दी गई। निर्माण कार्य शुरू होता, तब तक पर्यावरण स्वीकृति व आइटीबीपी से अनुमति लेने के पेच योजना में फंस गए। फिलहाल, पेच अब तक भी सुलझ नहीं पाए हैं।

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