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उत्तराखंड के ये दो मुक्केबाज डोपिंग टेस्ट में फंसे, जानिए

उत्तराखंड के दो मुक्केबाज डोपिंग टेस्ट में फंस गए हैं। खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के दौरान नाडा की ओर से की गई सैंपलिंग में इसका खुलासा हुआ।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 27 Mar 2018 09:40 PM (IST)
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उत्तराखंड के ये दो मुक्केबाज डोपिंग टेस्ट में फंसे, जानिए

देहरादून, [जेएनएन]: डोपिंग टेस्ट में फंसे उत्तराखंड के दो मुक्केबाजों का खेल भविष्य दांव पर है। अंडर-17 खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के दौरान नाडा की ओर से की गई सैंपलिंग में इसका खुलासा हुआ। एक मुक्केबाज महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून, जबकि दूसरा आर्मी ब्वॉयज कंपनी लैंसडौन का छात्र है। इन दोनों के खेलने पर नाडा की ओर से दो साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि नाडा की ओर से अभी तक किसी भी खिलाड़ी पर अस्थायी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

खेल मंत्रालय की ओर से इसी साल जनवरी में नई दिल्ली में प्रथम अंडर-17 खेलो इंडिया स्कूल नेशनल गेम्स का आयोजन हुआ था। इन खेलों में से प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की छंटनी होनी थी जिन्हें सरकार की ओर से प्रतिमाह पांच लाख रुपये की स्कॉलरशिप दी जानी है। अपने-अपने भारवर्ग में स्टेट चैंपियन और स्कूल नेशनल गेम्स के पदक विजेता दो मुक्केबाज खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के दौरान हुए डोप टेस्ट में फंस गए हैं। 

स्पोर्ट्स कॉलेज में कक्षा दसवीं की परीक्षा दे चुके पिथौरागढ़ मूल के सौरव चंद्र और देहरादून निवासी आर्मी ब्वॉयज कंपनी लैंसडौन के छात्र भरत बड़वाल के ब्लड सैंपल में डाइयूरेटिक फूरोसेमाइड पाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह एक मास्किंग एजेंट है जो वजन घटाने के काम आता है। सैंपल में पुष्टि होने के बाद फिलहाल नाडा ने अभी तक खिलाड़ियों पर अस्थायी प्रतिबंध तो नहीं लगाया है। लेकिन लेकिन अगर कार्रवाई होती है तो अधिकतम चार साल का प्रतिबंध लग सकता है। मुक्केबाजों के डोप में फंसने से जहां एक ओर खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर है और राज्य की भी किरकिरी हुई है। वहीं, मुक्केबाजों का कहना है कि उन्होंने बाउट से पहले किसी भी तरह का सप्लीमेंट नहीं लिया। 

नाडा की कार्यशाला होने के बाद भी ये हाल 

डोपिंग से बचने के लिये महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज की ओर से पिछले एक साल में दो बार एंटी डोपिंग कार्यशाला आयोजित की जा चुकी हैं। कार्यशाला में बकायदा नाडा के ही स्पेशलिस्ट चिकित्सकों को बुलाया जा चुका है, जो खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी दे चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी खिलाड़ियों का डोपिंग टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाना गंभीर चिंता का विषय है। 

उत्तराखंड बॉक्सिंग संघ की मानें तो उनकी ओर से सभी मुक्केबाजों को डोपिंग में पॉजिटिव पाये जाने वाली दवाओं के पर्चे भी दिये गए हैं। लेकिन मैदान में कसरत की बजाए शॉर्टकट तरीके से वजन घटाने के लिये खिलाड़ी इस तरह के सप्लीमेंट इस्तेमाल करते हैं। नाडा के डॉ. अकुश के अनुसार यदि खिलाड़ी का सैंपल पॉजीटिव पाया जाता है तो उस पर चार साल तक का प्रतिबंध लग सकता है। वह सजा के खिलाफ अपील कर सकता है। अगर सजा कम की जाती है तो भी कम से कम एक साल का प्रतिबंध खिलाड़ी को झेलना पड़ सकता है। 

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