उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू ने पसारे पैर, दो की मौत
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए है। थराली विधायक मगनलाल शाह की मौत के बाद अब स्वाइन फ्लू से एक महिला की मौत हो गर्इ है।
देहरादून, [जेएनएन]: दून के लक्खीबाग क्षेत्र की रहने वाली 43 वर्षीय महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। डेढ़ माह के भीतर प्रदेश में स्वाइन फ्लू से यह दूसरी मौत है। इससे पहले थराली विधायक मगनलाल शाह की स्वाइन फ्लू से मौत हुई थी। स्वास्थ्य महकमे के अनुसार, मृतका के पड़ोस में रहने वाली एक और महिला में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इसके अलावा मोहब्बेवाला निवासी एक युवती की भी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
बीते माह महिला को गंभीर हालत में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत गंभीर होने पर उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। तीन अप्रैल को महिला की मौत हो गई थी। उसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। जिसमें मौत की वजह स्वाइन फ्लू बताई गई है। वहीं, लक्खीबाग की ही 35 वर्षीय एक अन्य महिला में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। उसका श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में उपचार चल रहा है। चिकित्सकों के अनुसार, उसकी हालत अब खतरे से बाहर है। इधर, मोहब्बेवाला निवासी एक 20 वर्षीय युवती में भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
अस्पताल को नोटिस
स्वास्थ्य महकमा श्री महंत इंदिरेश अस्पताल को नोटिस जारी करेगा। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने बताया कि महिला की मौत तीन अप्रैल को हो गई थी। जिसकी सूचना विभाग को आठ अप्रैल को दी गई। जबकि सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देशित किया जा चुका है कि किसी भी मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर विभाग को तुरंत इसकी सूचना दें।
पहले डेंगू, अब स्वाइन फ्लू की जद में
लक्खीबाग में स्वाइन फ्लू की दस्तक के बीच स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। यह वही इलाका है, जहां दो साल पहले डेंगू ने जमकर कहर बरपाया था। जिससे निपटने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए थे। यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व विधायक आदि को भी मैदान में उतरना पड़ा।
महिलाओं की नहीं कोई ट्रैवल हिस्ट्री
लक्खीबाग निवासी दो महिलाओं में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने के साथ ही एक और बात है, जिसने अधिकारियों के माथे पर बल डाल दिए हैं। यह दोनों ही महिलाएं पिछले काफी समय से शहर से बाहर नहीं गई। इनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। यानी तय है कि स्वाइन फ्लू का वायरस क्षेत्र में ही मौजूद है। जिससे अब अन्य लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। विभाग के अनुसार स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
बीमार व्यवस्था से भी जंग
स्वाइन फ्लू की पुष्टि के लिए मरीज का सैंपल दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र को भेजा जाता है। यहां से रिपोर्ट आने में कई दिन लग जाते हैं। इस दौरान मरीज का इलाज संदेह के आधार पर ही होता है। यह हाल तब है जब श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था है। इस लैब को एनसीडीसी से भी मंजूरी मिली हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल के बीच अनुबंध न होने के कारण सैंपल जाच के लिए दिल्ली भेजे जाते हैं। क्योंकि एनसीडीसी में सैंपल की जांच निश्शुल्क होती है। जबकि अस्पताल की लैब में सैंपल की जांच के लिए विभाग को एक निश्चित राशि देनी होगी।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहा कछुआ चाल
यह भी पढ़ें: मेडिकल कॉलेज में छात्र सीट छोड़ने की स्थिति में न फीस देने की
यह भी पढ़ें: प्रदेशभर के डॉक्टर छह अप्रैल से काली पट्टी बांधकर करेंगे काम