बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन बेली ब्रिज टूटने से दो श्रमिक बहे, एक लापता; जांच के निर्देश
बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन अस्थायी बेली ब्रिज क्षतिग्रस्त होने से दो श्रमिक नदी के तेज बहाव में बह गए। इनमें से एक को बचा लिया गया जबकि दूसरे की खोजबीन की जा रही है। यह पुल बदरीनाथ महायोजना के निर्माण कार्यों की सामग्री लाने और ले जाने के लिए बनाया जा रहा था। बदरीशपुरी को इन दिनों बदरीनाथ महायोजना के तहत संवारा जा रहा है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 03 Aug 2023 10:44 AM (IST)
संवाद सहयोगी, गोपेश्वरः बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर निर्माणाधीन अस्थायी बेली ब्रिज क्षतिग्रस्त होने से दो श्रमिक नदी के तेज बहाव में बह गए। इनमें से एक को बचा लिया गया, जबकि दूसरे की खोजबीन की जा रही है। यह पुल बदरीनाथ महायोजना के निर्माण कार्यों की सामग्री लाने और ले जाने के लिए बनाया जा रहा था।
बदरीशपुरी को इन दिनों बदरीनाथ महायोजना के तहत संवारा जा रहा है। इसी कड़ी में भगवान बदरी विशाल के मंदिर से करीब 500 मीटर दूर ब्रह्मकपाल क्षेत्र में अलकनंदा नदी पर 30 करोड़ रुपये की लागत से 60 मीटर स्पान के दो गार्डर मोटर पुल बनाए जा रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग के पास पुल निर्माण का जिम्मा
पुल बनाने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के पास है लेकिन, पिछले दिनों हुई वर्षा से अलकनंदा का जलस्तर बढ़ने के कार पुल निर्माण के लिए जेसीबी समेत अन्य मशीनें व निर्माण सामग्री नदी के दूसरी तरफ नहीं जा पा रही। इससे निर्माण रुक गया है।लोनिवि के अधीक्षण अभियंता राजेश चंद्र शर्मा ने बताया कि मशीनें और निर्माण सामग्री नदी के दूसरी तरफ पहुंचाने के लिए यहां 200 फीट लंबा अस्थायी बेली ब्रिज बनाया जा रहा था। इसका आधे से ज्यादा निर्माण हो चुका था।
पुल टूटने से दो श्रमिक बहे
बुधवार दोपहर ग्राम रौंदी, थाना सुभाषनगर, बरेली (उत्तर प्रदेश) निवासी दो श्रमिक 28 वर्षीय सोनू और 30 वर्षीय रघुवीर सिंह शेष पुल के निर्माण में जुटे थे। तभी पुल टूटकर नदी में जा गिरा और दोनों श्रमिक बह गए। कुछ दूर जाकर रघुवीर तो नदी के किनारे एक पत्थर में अटक गया, जिससे उसकी जान बच गई।आसपास के निवासियों ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां उसकी हालत ठीक है। जबकि, सोनू की तलाश में पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने शाम तक नदी में अभियान चलाया, मगर उसका पता नहीं चला। नदी का जलस्तर बढ़ने और पानी मटमैला होने से तलाश में दिक्कतें भी आईं। आज भी श्रमिक की तलाश की जाएगी।
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