Move to Jagran APP

Coronavirus: केंद्र के पैकेज से उत्तराखंड के दो लाख एमएसएमई को मिला नया भरोसा

केंद्र के आर्थिक पैकेज ने उत्तराखंड के करीब दो लाख एमएसएमई को भी नए आत्मविश्वास और उम्मीदों से भर दिया है। रियायतों को अमल में लाने की चुनौती से अब राज्य सरकार को जूझना होगा।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Thu, 14 May 2020 08:14 AM (IST)
Hero Image
Coronavirus: केंद्र के पैकेज से उत्तराखंड के दो लाख एमएसएमई को मिला नया भरोसा
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र के आर्थिक पैकेज ने उत्तराखंड के करीब दो लाख एमएसएमई को भी नए आत्मविश्वास और उम्मीदों से भर दिया है। नकदी संकट से जूझ रहे लघु व मध्यम उद्योगों को अब बगैर गारंटी ऋण मिल सकेगा। वहीं लॉकडाउन की वजह से किसानों, गरीबों, आम लोगों, कारोबारियों को भी राहत जारी रखने के भरोसे से राज्य सरकार को भी राहत मिलना तय है। हालांकि, आर्थिक पैकेज की रियायतों को अमल में लाने की चुनौती से अब राज्य सरकार को जूझना होगा।

कोरोना महामारी की रोकथाम को लॉकडाउन ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था के चक्के थाम दिए हैं। इसका गहरा प्रभाव समाज और कारोबार के हर क्षेत्र पर पड़ा है। खासतौर पर लाखों परिवारों की आजीविका से जुड़े एमएसएमई सेक्टर के अस्तित्व पर ही संकट उठ खड़ा हुआ है। उद्यमियों और बुद्धिजीवियों के तमाम संगठनों की ओर से इस सेक्टर को संकट से उबारने पर जोर दिया जा रहा है। 

ऐसे में केंद्र से घोषित आर्थिक पैकेज कुटीर, छोटे व मझोले उद्योग-धंधों के सामने नकदी संकट की समस्या का समाधान करेगा। प्रदेश में वर्तमान में 63665 पंजीकृत और अपंजीकृत मिलाकर करीब दो लाख एमएमएमई कार्यरत हैं। नए पैकेज में उक्त उद्यमों के साथ कारोबारियों को बगैर गारंटी ऋण उपलब्ध हो सकेगा। 

इसवक्त छोटे से लेकर बड़े उद्योगों के सामने कच्चे माल और बिजनेस को दोबारा ढर्रे पर लाने की चुनौती है। आर्थिक पैकेज में इसके लिए कोलेटरल फ्री ऑटोमेटिक लोन की राह खोली गई है। केंद्र सरकार और उसके प्रतिष्ठानों में एमएसएमई के फंसे पैसे के निकलने का रास्ता भी बना है। केंद्र के बाद राज्य सरकार भी इस दिशा में आगे कदम बढ़ाने का इरादा जाहिर कर चुकी है। 

रीयल इस्टेट को निर्माण कार्यो के पंजीकरण और उसे पूरा करने की अवधि को बढ़ाकर राहत दी गई है। आर्थिक पैकेज के सामाजिक स्वरूप ने आम आदमी के साथ राज्य सरकार को राहत दी है। इसमें कोविड से लड़ रहे हेल्थ वर्कर को 50 लाख का बीमा सुरक्षा कवर दिया गया है। साथ ही किसानों, जनधन खाताधारक निर्धन लोगों, गरीब वृद्धों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए मदद जारी रखने का भरोसा जगाया गया है।

अंत्योदय व प्राथमिक परिवारों को सरकारी सस्ते खाद्यान्न तो उज्ज्वला योजना में महिला लाभार्थियों को मुफ्त गैस सिलेंडर की व्यवस्था लॉकडाउन पीरियड में राज्य सरकार के लिए भी सुकून से कम नहीं है। केंद्र की पहल से गरीब तबके के रूप में एक बड़े समूह की मदद के लिए केंद्र सरकार बंदोबस्त कर चुकी है। 

वित्त व नियोजन सचिव अमित नेगी का कहना है कि केंद्र के आíथक पैकेज से राज्य में एमएसएमई और उद्योगों को खड़ा होने और आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

रियल एस्टेट सेक्टर में 50 प्रोजेक्ट को त्वरित लाभ

केंद्र सरकार ने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट व निर्माण परियोजनाओं को पूरा करने में भी छह माह की छूट प्रदान की है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को खासा लाभ मिलने की उम्मीद दिख रही है। क्योंकि, इन्हें एक्सटेंशन के आवेदन के सापेक्ष लाखों रुपये जमा नहीं कराने पड़ेंगे। 

उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि इस समय बिल्डर परियोजनाओं के एक्सटेंशन संबंधी 20 के करीब आवेदन कार्यालय में लंबित हैं। 30 और परियोजनाओं की भी समय अवधि पूरी हो चुकी है। 

एक्सटेंशन के आवेदन में रजिस्ट्रेशन के मुकाबले दोगुनी राशि वसूल की जा सकती है। अब ऐसे बिल्डरों को छह माह की छूट स्वत: ही मिल गई है। यह छूट सिर्फ परियोजनाओं को पूरा करने की नहीं, बल्कि उन पर कम आर्थिक बोझ लादने की भी है। क्योंकि, प्रोजेक्ट के एक्सटेंशन के समय रजिस्ट्रेशन के मुकाबले दोगुनी राशि वसूल की जा सकती है।

अधिकतम रूप से इसका आकलन करें तो यह ग्रुप हाउसिंग में 10 लाख, मिक्स प्रोजेक्ट में 15 लाख व कॉमर्शियल प्रोजेक्ट में 40 लाख तक हो सकती है। परियोजना के आकार के हिसाब से रजिस्ट्रेशन की धनराशि क्रमश: 10 रुपये, 15 रुपये व 20 रुपये प्रति वर्गमीटर है। लिहाजा, एक्सटेंशन में इसी अनुपात में दोगुनी राशि वसूल की जाती है। 

राज्य सरकार पर बढ़ गया दबाव

केंद्र के आर्थिक पैकेज को अमल करने में अब राज्य सरकार को अहम भूमिका निभानी होगी। सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों में उद्यमियों और कारोबारियों को राहत देने को लेकर हिचक बरकरार रहती है। बगैर गारंटी के ऋण दिलाने के लिए राज्य सरकार को भी प्रयास करने होंगे। छोटे व लघु उद्योग इस पैकेज के जरिये मौजूदा ऋणों में ब्याज में छूट या सब्सिडी मिलने की उम्मीद लगाए हुए थे। 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के सीएम बोले, केंद्र के पैकेज से राज्य के एमएसएमई सेक्टर को फायदा

फिलवक्त यह उम्मीद पूरी नहीं हुई है। उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना है कि उद्योगों को ब्याज, बिजली बिल में त्वरित राहत की दरकार है। बाजार में मांग में जबर्दस्त कमी आई है, ऐसे में ज्यादा ऋण लेकर छोटे उद्यम कर्ज को बढ़ने देना नहीं चाहेंगे। नगद पूंजी में तेजी का फायदा तब ही मिलेगा, जब बाजार में मांग में तेजी आए।

यह भी पढ़ें: Cabinet Meet: किसानों-व्यवसायिक उपभोक्ताओं को बिजली बिल में छूट, जानिए अन्य फैसले

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।