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अस्पतालों में उमड़ी भीड़, महिला हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड ठप; मरीज परेशान

सर्दियों में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं, दून महिला अस्पताल में सोमवार को गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड नहीं हुए। इससे मरीज परेशान रहे।

By BhanuEdited By: Updated: Tue, 01 Jan 2019 09:41 AM (IST)
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अस्पतालों में उमड़ी भीड़, महिला हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड ठप; मरीज परेशान
देहरादून, जेएनएन। सर्दियों में अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं, दून महिला अस्पताल में सोमवार को गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड नहीं हुए। दरअसल अस्पताल के एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुबोध नौटियाल की अचानक तबीयत बिगड़ गई। जिस वजह से उन्हें छुंट्टी पर जाना पड़ा। ऐसे में अल्ट्रासाउंड ठप हो गए हैं। 

बता दें, अस्पताल में केवल एक ही रेडियोलॉजिस्ट तैनात है। जिस कारण गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। डॉ. नौटियाल रोजाना 55 से 60 अल्ट्रासाउंड करते हैं। लेकिन सोमवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। 

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार उन्हें उच्च रक्तचाप से संबंधित दिक्कत है। इस कारण सोमवार को रूटीन अल्ट्रासाउंड नहीं हुए। गर्भवती महिलाओं को आगे की तारीख दी गई है। उन्होंने बताया कि डॉ. नौटियाल ने मंगलवार को आने को कहा है। न आने की स्थिति में अन्य अस्पताल से रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था की जाएगी। 

बहरहाल तबीयत खराब होने के बाद भी डॉ. नौटियाल का काम के प्रति समर्पण कम नहीं हुआ। उन्होंने सुबह-सुबह इमरजेंसी केस निपटाए। आपात स्थिति में आठ अल्ट्रासाउंड किए। 

दैनिक जागरण लगातार उठाता रहा है समस्या 

गर्भवती महिलाओं को होने वाली दिक्कत को देखते हुए दैनिक जागरण यह मामला लगातार उठाता रहा है। न केवल दून महिला बल्कि दून अस्पताल में भी रेडियोलॉजिस्ट की कमी बनी हुई है। यहां तक कि कई बार रेडियोलॉजिस्ट उधार लेना पड़ा है। 

दून अस्पताल में तो एक महिला रेडियोलॉजिस्ट हाल में तैनात की गई, पर महिला अस्पताल में मात्र एक रेडियोलॉजिस्ट है। जिस वजह से एक से डेढ़ माह तक की लंबी वेटिंग रहती है। ताज्जुब इस बात का है कि मातृत्व सुरक्षा की बात करने वाली सरकार इस तरफ ध्यान ही नहीं दे रही है।

साल के आखिरी दिन अस्पताल में उमड़ी भीड़

साल के आखिरी दिन दून अस्पताल में दिनभर मरीजों का रेला रहा। पंजीकरण काउंटर, दवा काउंटर समेत पैथोलॉजी में भी मरीजों की कतार लगी रही। यही नहीं, डॉक्टरों के कक्ष के बाहर भी भारी भीड़ रही। 

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में इन दिनों ओपीडी औसतन 1000-1200 तक रहती है। सोमवार को यह संख्या एकाएक बढ़ गई। जो 1600 के पार पहुंच गई। इस कारण ओपीडी में दिनभर मरीजों की भीड़ रही। 

यही नहीं पैथोलॉजी से लेकर दवा, रजिस्ट्रेशन व बिलिंग काउंटर पर भी मरीजों की कतार लगी रही। पैथोलॉजी में सैंपल लेने के लिए कर्मचारी कम थे, सो मरीजों को दिक्कत पेश आई। अपनी बारी के लिए उन्हें काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। 

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि सप्ताह के पहले दिन अस्पताल में अमूमन भीड़ रहती है। यह आम धारणा है कि नववर्ष में जब तक कोई आपात स्थिति न हो साल के पहले दिन लोग अस्पताल आदि जाने से बचते हैं। यही भीड़ का कारण रहा है। 

एमआरआइ के लिए मरीजों को करना पड़ा इंतजार

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एमआरआइ मशीन फिर एक बार दगा दे गई। कुछ तकनीकी दिक्कत के कारण मशीन करीब तीन घंटे बंद रही। मरीजों की जांच दोपहर 12 बजे बाद शुरू हो सकी। जिस कारण उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा।

बता दें, विगत पांच दिसंबर को मशीन का एक पार्ट खराब हो गया था। कंपनी का बकाया लाखों रुपये का भुगतान न होने की वजह से कंपनी ने पार्ट बदलने से इन्कार कर दिया था। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास चार करोड़ रुपये तो थे, पर दूसरे मद में। 

रखरखाव, लेखा व फर्नीचर खरीद की मद में पैसा ट्रांसफर होने के बाद बीते मंगलवार ही मशीन दुरुस्त की गई। सुबह इसकी वजह से फिर मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ी। कुछ तकनीकी दिक्कत की वजह से मशीन सुबह शुरू नहीं हो सकी। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि कुछ देर दिक्कत रही थी, पर समय रहते इसे ठीक कर लिया गया। किसी भी मरीज को बिना जांच नहीं जाना पड़ा।

अब नर्सिंग स्टाफ के लिए फैलाई झोली

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल का मर्ज दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन ने फिर स्वास्थ्य विभाग के सामने झोली फैलाई है। इस बार मामला नर्सिंग स्टाफ व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से जुड़ा है। अब देखना यह होगा कि मानव संसाधन की कमी झेल रहा स्वास्थ्य महकमा कितनी मदद कर पाता है।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने दून और दून हिला अस्पताल में नर्सिंग और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की कमी को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में नर्सों के 137 पद स्वीकृत है, जबकि केवल 116 कार्यरत हैं। इनमें भी 14 अन्य अस्पतालों में संबद्ध, बीएससी, एमएससी नर्सिंग करने या मातृत्व अवकाश पर हैं। 

वहीं दून महिला में 55 स्वीकृत पदों के सापेक्ष केवल 45 ही कार्यरत हैं। इनमें से भी 10 अन्य अस्पतालों में संबद्ध, बीएससी, एमएससी नर्सिंग करने या मातृत्व अवकाश पर हैं। यही हाल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का है। स्वीकृत पदों के सापेक्ष बहुत कम स्टॉफ अस्पताल में है। स्वास्थ्य महानिदेशक ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया है।

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