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पानी गटक रहे हम और रीचार्ज का जिम्मा प्रकृति पर, भूजल के अनियंत्रित दोहन से संकट

वैसे तो प्रकृति का दूसरा नाम ही संतुलन है मगर विपरीत हालात में प्रकृति भी कब तक संतुलन बनाए रख पाएगी। जीवनदायी जल के संरक्षण की बात करें तो इसका संतुलन साधने की जिम्मेदारी हमने पूरी तरह प्रकृति पर लाद रखी है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:20 AM (IST)
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पानी गटक रहे हम और रीचार्ज का जिम्मा प्रकृति पर।
सुमन सेमवाल, देहरादून। वैसे तो प्रकृति का दूसरा नाम ही संतुलन है, मगर विपरीत हालात में प्रकृति भी कब तक संतुलन बनाए रख पाएगी। जीवनदायी जल के संरक्षण की बात करें तो इसका संतुलन साधने की जिम्मेदारी हमने पूरी तरह प्रकृति पर लाद रखी है। हम दिन दूनी, रात चौगुनी रफ्तार से भूजल गटक रहे हैं और उसके रीचार्ज (पुनर्भरण) की दिशा में सुस्त पड़े हैं। शुक्र है कि अभी तक प्रकृति मानसून सीजन में इस काम को भली-भांति पूरा कर रही है। वर्षाकाल में 1.26 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) भूजल रीचार्ज हो जाता है और अन्य सभी स्रोतों से यह आंकड़ा 0.24 बीसीएम पर सिमटा है। दून में भूजल पर निर्भरता 80 फीसद तक बढ़ चुकी है। साफ है कि रीचार्ज की इस स्थिति में जल का कल सुरक्षित नहीं है।

राजधानी दून में हर साल वैध-अवैध करीब दो हजार नए भवन खड़े होते हैं और इसके साथ लाखों लीटर पानी की मांग भी बढ़ जाती है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के बायलॉज की बात करें तो 125 वर्गमीटर और इससे अधिक भू-आच्छादन पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संग्रहण) की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होती है। ताकि बारिश के पानी का पूरा उपयोग हो सके और भूजल पर निर्भरता को कम किया जा सके। नक्शा पास करते समय उसमें इस तरह का प्रविधान रहता है, मगर धरातल पर ऐसा कुछ नहीं किया जाता। दून में एक फीसद भवनों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इंतजाम नहीं हैं और किसी भी सरकारी मशीनरी ने इसकी पड़ताल तक की जहमत नहीं उठाई।

बड़े प्रतिष्ठानों में भूजल दोहन की अनुमति पर ढिलाई

एनजीटी के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने यह आदेश जारी किए थे कि भूजल का दोहन कर रहे बड़े प्रतिष्ठानों को स्वीकृति लेनी जरूरी है, ताकि भूजल दोहन को नियंत्रित किया जा सके। बड़े प्रतिष्ठानों की बात करें तो यह संख्या 7800 के करीब होनी चाहिए, जबकि स्वीकृति प्राप्त करने के लिए 2000 से भी कम प्रतिष्ठानों ने आवेदन किया है।

फाइलों में डंप सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की पहल

वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि सभी सरकारी भवनों में छत पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जाएगी। जल संस्थान को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पहले चरण में शासन ने विधानसभा समेत 15 भवनों की छत पर संग्रहण की व्यवस्था करने की स्वीकृति दी थी। दून में 167 सरकारी भवनों की सूची तैयार की गई थी। करीब 1.63 करोड़ रुपये के खर्च की बात भी सामने आई थी और 65.28 लाख रुपये स्वीकृत भी किए जा चुके थे। कायदे से अब तक सभी भवनों में वर्षा जल संग्रहण के इंतजाम कर दिए जाने चाहिए थे, मगर फिलहाल पूरी योजना ठंडे बस्ते में दिख रही है।

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