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भारत के विश्व धरोहर स्थल कैलास मानसरोवर की राह आसान करेगा यूनेस्को

पूर्ण न सही तो सांस्कृतिक तौर पर दावा करना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद दलाई लामा ने जब आग्रह किया था कि तिब्बत को भारत में शामिल कर लिया जाए तो तत्कालीन सरकार ने बैरन लैंड कहकर ठुकरा दिया था जबकि हमारे लिए इसका सामरिक महत्व था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 22 Apr 2021 01:29 PM (IST)
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कैलास भूक्षेत्र का मनोहारी दृश्य। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, देहरादून। कैलास मानसरोवर जाने वाले रास्ते पर पवित्र पर्वतीय क्षेत्र के भारतीय इलाके को वल्र्ड हेरिटेज सूची में शामिल करने का एक प्रस्ताव यूनेस्को के पास भेजा गया था, जिसे अंतरिम सूची में शामिल कर लिया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने बताया कि यूनेस्को को 15 अप्रैल 2019 को यह प्रस्ताव सौंपा था। दो साल में इसमें कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। कैलास भूक्षेत्र भारत, चीन एवं नेपाल की संयुक्त धरोहर है। इसे यूनेस्को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए चीन और नेपाल पहले ही अपने-अपने प्रस्ताव यूनेस्को को भेज चुके थे। भारत से प्रस्ताव भेजने में देरी हो रही है। यह क्यों जरूरी है, इस पर रिपोर्ट :

भारत में 1,433 किमी. यात्र मार्ग

कैलास मानसरोवर के लिए भारत में कुल यात्रा मार्ग 1,433 किलोमीटर का है। कैलास यात्रा के लिए भारत में परंपरागत मार्ग टनकपुर से शुरू होकर सेनापति, चंपावत, रामेश्वर, गंगोलीहाट और पिथौराघाट से लिपुलेख तक जाता है। प्रतिकूल मौसम में ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए 19,500 फीट की चढ़ाई के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह इस यात्रा में देखते ही बनता है, जो बड़ी संख्या में कैलाश मानसरोवर की यात्र पर जाते हैं। अपने धार्मिक मूल्य और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाने वाली कैलाश यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रलय हर साल जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गो - लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) से करता है।

इसलिए खास हैं

  • विज्ञानियों के अनुसार यह स्थान धरती का केंद्र है। धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचों-बीच स्थित है हिमालय। हिमालय का केंद्र है कैलास पर्वत और मानसरोवर। 
  • यह एक ऐसा भी केंद्र है, जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं।
  • यात्रा के दौरान 19,500 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है।
  • विज्ञानियों का मानना है कि भारतीय उपमहाद्वीप के चारों ओर पहले समुद्र होता था। इसके रशिया से टकराने से हिमालय का निर्माण हुआ। यह घटना अनुमानत: 10 करोड़ वर्ष पूर्व घटी थी।
  • इस इलाके में चार नदियां पानार सरयू, सरयू रामगंगा, गोरी काली और धौली काली आती हैं। इस क्षेत्र की मुख्य बोली कुमाउंनी, बेयांसे, भोंटिया, हुनिया, हिंदी और नेपाली हैं।
  • यात्रा के लिए आवेदक की आयु कम से कम 18 साल व एक जनवरी को 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
पौराणिक महत्व

  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी के पास कुबेर की नगरी है। यहीं से भगवान विष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती पर निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।
  • कैलास पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि में कैलाश खंड नाम से अलग ही अध्याय है, जहां इसकी महिमा का गुणगान किया गया है।
मुख्य बिंदु : एक साल रहना पड़ता है अस्थायी सूची में

  • अप्रैल 2019 में मिश्रित स्थल के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
  • यूनेस्को द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, अंतिम नामांकन करने से पूर्व किसी भी स्थल को कम-से-कम एक वर्ष के लिए यूनेस्को की अस्थायी सूची में रहना पड़ता है।
  • एक बार नामांकन होने के पश्चात उस स्थल को विश्व धरोहर केंद्र की सूची में भेज दिया जाता है।
  • उसके बाद विश्व धरोहर समिति द्वारा किसी भी स्थल को विश्व धरोहर सूची में स्थायी रूप से शामिल किया जाता है।
इन अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत होगा संरक्षण (क्षेत्र के लिहाज से कुछ प्रमुख संधि)

इंटरनेशनल प्लांट प्रोटेक्शन कन्वेंशन (1951)

कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इंडेंजर्ड स्पीसीज ऑफ वाइल्ड फॉना एंड फ्लोरा (1973)

कन्वेंशन ऑन द कंजर्वेशन ऑफ माइग्रेटरी स्पीसीज ऑफ वाइल्ड एनिमल्स (1979)

कन्वेंशन ऑफ बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (1992)

यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (1992)

इंटरनेशनल ट्रीटी ऑन प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर (2001)

भारत सरकार को तत्काल ही प्रस्ताव भेजना चाहिए। विश्व धरोहर घोषित हो जाने से चीन वहां कोई निर्माण नहीं कर पाएगा। भारत की ओर से संस्कृति मंत्रलय को मजबूती से यह पक्ष रखना चाहिए। वर्ष 1954 तक वहां तपस्या करने वाले साधु या बौद्ध भिक्षु छह महीने कैलास में रहते थे और सर्दी के दौरान उतरकर भारत की सीमा में आ जाते थे। उसके बाद से यह धीरे-धीरे बंद हो गया। धरोहर बनने से संभवत: यह स्वतंत्रता बहाल हो सकती है। -गिरीशकांत पांडे, कुलसचिव, रविशंकर शुक्ल विवि, (रक्षा अध्ययन के प्राध्यापक)

यूनेस्को में भारत को तिब्बत के कैलास-मानसरोवर पर दावेदारी की अपील तो करनी चाहिए। पूर्ण न सही तो सांस्कृतिक तौर पर दावा करना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद दलाई लामा ने जब आग्रह किया था कि तिब्बत को भारत में शामिल कर लिया जाए तो तत्कालीन सरकार ने बैरन लैंड कहकर ठुकरा दिया था, जबकि हमारे लिए इसका सामरिक महत्व था। इसके आस-पास पांच धर्मस्थल हैं । धार्मिक-ऐतिहासिक के साथ ही यह जैव विविधता से भरा भौगोलिक क्षेत्र भी है। कई नदियां निकलती हैं। -मनीषा कुलश्रेष्ठ, लेखिका,

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