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Uniform Civil Code का उल्लंघन हुआ तो एक लाख जुर्माना और तीन साल की जेल, 13 बातें जानना बेहद जरूरी

Uniform Civil Code शुक्रवार को समान नागरिक संहिता नियमावली का ड्राफ्ट भी बन चुका है। अब इस ड्राफ्ट पर मंत्रिमंडल चर्चा के बाद मुहर लगाएगा। राज्‍य में यूसीसी लागू होने के बाद सूचनाएं उपलब्ध कराने में गलत या झूठी सूचना देने पर संबंधित व्यक्ति को दंडित होना पड़ेगा। यह दंड 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये और छह माह से साढ़े तीन वर्ष तक कारावास हो सकता है।

By Ravindra kumar barthwal Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 19 Oct 2024 01:42 PM (IST)
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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता कानून तैयार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। Uniform Civil Code: प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह के पंजीकरण, लिव इन रिलेशनशिप, विवाह विच्छेद से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराने में गलत या झूठी सूचना देने पर संबंधित व्यक्ति को दंडित होना पड़ेगा।

ऐसे प्रकरण अपराध घोषित होने पर तीन से छह माह की जेल अथवा 25 हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। संबंध विच्छेद या तलाक की अवधि में दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन हिंसा के साथ ही एक से अधिक पत्नी को दंड की श्रेणी में रखा गया है। यह दंड 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक जुर्माना और छह माह से साढ़े तीन वर्ष तक कारावास के रूप में हो सकता है।

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समिति ने चार खंडों में सौंपी थी रिपोर्ट

समान नागरिक संहिता के लिए प्रस्तावित नियमावली में संहिता के अंतर्गत व्यवस्था के उल्लंघन के प्रकरणों को अपराध घोषित करने की प्रक्रिया, विभागों एवं न्यायालयों को संदर्भित किए जाने वाले प्रकरणों से संबंधित नियम निर्धारित किए गए हैं। समान नागरिक संहिता के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने चार खंडों में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।

गत जुलाई माह में सभी चार खंड की रिपोर्ट आनलाइन जनता के लिए उपलब्ध कराई गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही समान नागरिक संहिता कानून तैयार किया गया है। इस कानून को क्रियान्वित करने के लिए शुक्रवार को नियमावली का ड्राफ्ट भी बन चुका है। अब इस ड्राफ्ट पर मंत्रिमंडल चर्चा के बाद मुहर लगाएगा।

कहां लगेगा कितना जुर्माना?

  • समान नागरिक संहिता अधिनियम में विवाह एवं विवाह विच्छेद, लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण और उत्तराधिकार संबंधी नियमों में पंजीकरण, गलत सूचनाएं देने पर दंड से संबंधित प्रक्रियाएं बताई गई हैं।
  • विवाह पंजीकरण से संबंधित सूचना नहीं देने या ढुलमुल रवैया अपनाने पर सब रजिस्ट्रार 10 हजार रुपये तक जुर्माना लगा सकेंगे।
  • इस संबंध में गलत या झूठी सूचना देने पर तीन माह का कारावास अथवा 25 हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ देने की व्यवस्था है।
  • विवाह पंजीकरण में सब रजिस्ट्रार पर भी जुर्माना लग सकेगा।
  • पंजीकरण में किसी भी स्तर पर लापरवाही बरतने पर उन्हें 25 हजार रुपये जुर्माना भुगतना देना पड़ सकता है।
  • लिव-इन रिलेशनशिप में पंजीकरण कराने से कन्नी काटने पर तीन माह का कारावास अथवा 10 हजार रुपये जुर्माना लगेगा।
  • इस संबंध में गलत या झूठी सूचना देने पर जुर्माने की राशि 25 हजार रुपये होगी।
  • वहीं नोटिस मिलने के बाद कन्नी काटने पर लिव-इन रिलेशन अपराध घोषित हुआ तो छह माह का कारावास अथवा 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकेगा।
  • समान नागरिक संहिता में विवाह और विवाह विच्छेद के नियमों का उल्लंघन होने पर कारावास और जुर्माना, दोनों प्रविधान हैं।
  • एक से अधिक पत्नी रखना अपराध की श्रेणी में आएगा।
  • विवाह विच्छेद और बहु पत्नी के प्रकरणों में तीन वर्ष का कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना लगेगा।
  • जुर्माना नहीं देने की स्थिति में कारावास की अवधि छह माह बढ़ाई जा सकती है।
  • नियमावली पर अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल को लेना है।

मातृशक्ति को सुरक्षा कवच प्रदान करेगा समान नागरिक संहिता कानून : भाजपा

प्रदेश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने के दृष्टिगत इसके विभिन्न प्रविधानों की नियमावली का प्रारूप तैयार करने को गठित समिति द्वारा इसे मुख्यमंत्री को सौंपे जाने का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा कि सरकार जनता से किया वादा पूरा करने जा रही है।

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भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून राज्य में मातृशक्ति को सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। भाजपा प्रदेश प्रभारी गौतम ने कहा कि उत्तराखंड जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू कानून करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में धामी सरकार ने जो वादा किया था, उसे वह पूरा करने जा रही है।

यह कानून मातृशक्ति के सशक्तीकरण को सुरक्षा मुहैया कराएगा। इसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही राज्यवासियों में उत्साह है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून में सभी प्रविधान संविधान के अनुरूप रखे गए हैं और विस्तृत अध्ययन के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया गया है। यह कानून राज्य में सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है और धर्म, जाति में भेदभाव खत्म करता है।

विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार व संपत्ति विवाद में एक समान कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि जातीय व धार्मिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए देश में समान नागरिक कानून आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि देवभूमि में सबको समान रूप से न्याय और महिलाओं के सशक्तीकरण व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कानून बना है। जल्द ही यह कानून धरातल पर उतरेगा। राज्य की यह पहल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का काम करेगी। उन्होंने इस कानून पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया को उसका नकारात्मक रुख व विकास विरोधी करार दिया।

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