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Union Bank Fraud : लोन के नाम पर बैंक को लगाया 18.49 करोड़ का चूना, सीबीआइ ने नौ पर दर्ज किया केस

Union Bank Fraud यूनियन बैंक को 18.49 करोड़ का चूना लगाने के मामले में सीबीआई की देहरादून शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि बैंक से ली रकम का गलत उपयोग किया और बैंक को नहीं चुकाया। यह गड़बड़ी 2012 से 2022 के बीच हुई।

By JagranEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 30 Sep 2022 08:44 AM (IST)
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Union Bank Fraud : लोन के नाम पर बैंक को लगाया 18.49 करोड़ का चूना।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Union Bank Fraud : यूनियन बैंक को 18.49 करोड़ का चूना लगाने के मामले में सीबीआई की देहरादून शाखा में कंपनी, कंपनी संचालकों समेत बैंक के अज्ञात अफसरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है।

रेडिमेड गारमेंट और अन्य कारोबार करने वाली कंपनी के संचालकों ने क्रेडिट सुविधा के जरिये ये फर्जीवाड़ा किया। बाद में जिन खातों से लोन की किश्तें आनी थीं, वह निष्क्रय पाए गए।

सीबीआई की दून शाखा में इस संबंध में यूनियन बैंक आफ इंडिया के स्ट्रैस्ड असिस्टेंट मैनेजमेंट शाखा, नई दिल्ली के डिप्टी जनरल मैनेजर संजय मिनोचा ने 19 अगस्त 2018 को शिकायत दर्ज करवाई थी। उन्होंने बताया कि मैसर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स किड्स स्टफ ने अप्रैल 2012 में बैंक की नोएडा ब्रांच में क्रेडिट लिमिट पर लोन लेने के लिए संपर्क किया।

जिन बैंक खातों से किश्तें आनी थीं, वह एनपीए पाए गए

11 जून 2012 को मैसर्स शीन सोर्सिंग एंड बाइंग प्राइवेट लिमिटेड को मैसर्स किड्स स्टफ में विलय किया गया, इस संबंध में उन्होंने सर्टिफिकेट भी जमा करवाया।

कंपनी ने टर्म लोन व वाहन लोन के लिए आवेदन किया था। ऐसे में बैंक की ओर से उन्हें 18.49 करोड़ रुपये का ऋण जारी किया गया। इसके बाद कंपनी की ओर से किश्तें नहीं चुकाई गईं। साथ ही जिन बैंक खातों से किश्तें आनी थीं, वह एनपीए पाए गए।

सीबीआइ की ओर से शीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की निदेशक अपूर्वा जोशी निवासी सेक्टर 50, नोएडा, गीतिका कवीरा निवासी सेक्टर 50 नोएडा, हरीश चंद्र सिंह कवीरा निवासी पार्श्वनाथ प्लेटिनम अपार्टमेंट, स्वरंगपुरी ग्रेटर नोएडा, आदेश भट्ट निवासी सेक्टर बीटा सेकेंड, ग्रेटर नोएडा, राज भाटी निवासी सेक्टर बीटा सेकेंड, नोएडा, सर्वेश्वर क्रिएशन लिमिटेड ललिता पार्क, लक्ष्मी नगर दिल्ली समेत अज्ञात सरकारी कर्मचारी और अन्य निजी लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

2012 से 2022 के बीच हुई यह गड़बड़ी

इसमें कंपनी के चार्टर्ड एकाउंटेंट भी कार्रवाई के दायरे में हैं। आरोप है कि कंपनी ने बैंक से ली रकम का गलत तरीके से उपयोग किया और उसे बैंक को नहीं चुकाया। यह गड़बड़ी वर्ष 2012 से 2022 के बीच हुई। इसमें बैंक के कुछ अफसरों पर भी मिलीभगत का आरोप है। जिस पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

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