Uttarakhand Assembly Election: गोदियाल के बहाने हरदा ने दिया टिकट पर संकेत, इस बयान के हैं सियासी मायने
Uttarakhand Assembly Election राज्य में विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले और परिवर्तन यात्रा के पहले चरण के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के 35 से 37 टिकट तय होने का बयान अब तूल पकड़ गया है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 12 Sep 2021 07:36 AM (IST)
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले और परिवर्तन यात्रा के पहले चरण के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के 35 से 37 टिकट तय होने का बयान तूल पकड़ गया है। गोदियाल का यह दांव पार्टी में बाहर से आने वाले नेताओं के लिए संकेत है या समीकरणों को पहले से ही पक्ष में करने की जुगत, इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसे हरीश रावत की रणनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है। संदेश भी साफ है कि 2022 के चुनाव में टिकट में रावत की पसंद को दरकिनार नहीं किया जा सकेगा।
चुनाव के दौरान नामांकन की अंतिम तिथि तक टिकट को लेकर पत्ते खोलने से गुरेज करने वाली प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश मुखिया का समय से पहले दिए गए बयान के सियासी निहितार्थ तलाशे जाने लगे हैं। इसकी वजह भी है। यह चुनाव कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। कुमाऊं मंडल में छह सितंबर को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के पहले चरण के खत्म होने के बाद ही हरीश रावत ने अपने विचार साझा करने में देर नहीं लगाई।
सियासी पिच पर खुलकर खेलने की मंशा
परिवर्तन यात्रा में अंतर्विरोधों के साथ सांगठनिक दुर्बलता को रेखांकित करने के साथ ही रावत ने यह भी साफ कर दिया कि वह सियासी पिच पर अपना स्वाभाविक खेल नहीं दिखा पा रहे हैं। यदि वह खेले तो प्रतिद्वंद्वियों को डिफेंसिव बनाने की कुव्वत रखते हैं। रावत के इस बयान उनके रणनीतिक सिपहसालार में शुमार प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने 35 से 37 टिकट तय होने का बयान दिया है। हालांकि इस बयान का पार्टी के भीतर ही विरोध भी हुआ। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह इस बयान पर आपत्ति करते हुए टिकट को लेकर चर्चा होने से ही इन्कार कर चुके हैं।
बदलने लगी है चुनावी रणनीति
इसके बाद गोदियाल ने भी अपने रुख से पलटते हुए यह कहने में देर नहीं लगाई कि अभी टिकट तय होने में देर है। 2022 के चुनाव में टिकट का गणित कांग्रेस के लिए अहम साबित होने जा रहा है। पिछले चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार को संकट में डालकर भाजपा का दामन थामने वालों से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की रार किसी से छिपी नहीं है। रावत अपने रुख में बदलाव के संकेत दे तो रहे हैं, लेकिन यह संदेश भी देने से नहीं चूक रहे कि कुछ चेहरों पर उन्हें सख्त आपत्ति रहेगी।
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सियासत की बदली हवा भांपने में माहिर हरीश रावत की रणनीति को ही टिकट को लेकर गोदियाल के बयान की वजह माना जा रहा है। जिन टिकट को तय मानने की बात की जा रही है, उनमें हरीश खेमे से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई है। साथ ही मौजूदा चुनावी जंग में जिन चेहरों को लेकर हरीश रावत साथ लेकर चलना और दिखना चाहते हैं, उन्हें भी गोदियाल के बहाने दिलासा देने की कोशिश दिखाई दे रही है। पिछले चुनाव में पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामने वालों के लिए भी इसे संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
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