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Uttarakhand Election: उत्तराखंड में आधी आबादी ने की तैयारी, टिकटों के लिए बढ़ेगी दावेदारी; यहां देखे नंबर गेम

Uttarakhand Assembly Elections 2022 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल बिसात बिछा चुके हैं। महारथियों ने मोर्चा संभाल लिया है। इस सबके बीच आधी आबादी को साधने पर भी सभी दलों की नजर है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 28 Nov 2021 10:51 AM (IST)
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उत्तराखंड में आधी आबादी ने की तैयारी, टिकटों के लिए बढ़ेगी दावेदारी।
केदार दत्त, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022 उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल बिसात बिछा चुके हैं। महारथियों ने मोर्चा संभाल लिया है। इस सबके बीच आधी आबादी को साधने पर भी सभी दलों की नजर है। इसी कड़ी में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा व कांग्रेस आगामी चुनाव में महिलाओं को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने की बात कर रहे हैं। साथ ही दलों में महिला नेता अपनी दावेदारी भी कर रही हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये कि क्या उन्हें वास्तव में प्रतिनिधित्व मिल पाएगा। वर्तमान विधानसभा में महिलाओं की सिर्फ 10 प्रतिशत भागीदारी को देखते हुए यह राह आसान भी नहीं दिखती। जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव खेलने पर जोर देने वाले राजनीतिक दल आगामी चुनाव में महिलाओं को कितना प्रतिनिधित्व देते हैं, इस पर आधी आबादी समेत सभी की निगाहें टिकी हैं।

उत्तराखंड के विकास में आधी आबादी, यानी मातृशक्ति की सबसे बड़ी भूमिका है। घर परिवार से लेकर खेती-किसानी तक की सभी जिम्मेदारियों का भार महिलाओं के कंधों पर ही है। गांवों के विकास की जितनी व्यवहारिक समझ महिलाओं को है, उतनी शायद ही किसी को हो। त्रिस्तरीय पंचायतों में उन्हें 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व मिला है और महिला प्रतिनिधियों ने खुद को साबित भी किया है। जाहिर है कि उनमें राजनीतिक चेतना जागृत हुई है।

ऐसे में उन्हें प्रदेश की सर्वोच्च पंचायत में प्रतिनिधित्व तो मिलना ही चाहिए। ये बात अलग है कि इस दृष्टिकोण से उन्हें अब तक खास तवज्जो नही मिल पाई। वर्तमान विधानसभा को ही देखें तो 2017 में भाजपा की तीन और कांग्रेस की दो महिला प्रतिनिधि ही विधानसभा में पहुंची। हालांकि, बाद में हुए उपचुनावों में भाजपा के खेमे में महिला प्रतिनिधियों की संख्या में दो का और इजाफा हुआ। ऐसा ही परिदृश्य पिछली विधानसभाओं में भी देखने को मिला।

हालांकि, इस मर्तबा तस्वीर कुछ बदली- बदली सी है। दोनों प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस में महिला नेताओं ने आगामी चुनाव के लिए दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है। साथ ही पार्टियों के भीतर से भी महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग निरंतर उठ रही है। दोनों दलों के शीर्ष नेता भी चुनाव में महिलाओं को अधिक सम्मान देने की बात कह रहे हैं। इस सबको देखते हुए कांग्रेस में 40 प्रतिशत तो भाजपा में भी कम से कम 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाने की बात उठ रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी तो उप्र में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की बात कर चुकी हैं। इधर, पूर्व में देहरादून में हुई भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भी उत्तराखंड समेत पांच चुनावी राज्यों में महिलाओं को चुनाव में ज्यादा प्रतिनिधित्व देने का आग्रह पार्टी हाईकमान से किया गया था।

मतदाताओं के लिहाज से देखें तो राज्य में वर्तमान में कुल मतदाताओं की संख्या 78.46 लाख है। इनमें महिलाओं की संख्या 37.52 लाख है। मताधिकार को लेकर भी महिलाएं अधिक सजग रही हैं। पिछले चुनाव इसके उदाहरण हैं। विधानसभा की कई सीटों पर महिलाएं निर्णायक भूमिका में हैं। इस परिदृश्य के बीच राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को नकारना मुश्किल है तो स्वीकारना भी। चुनाव में जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव खेलने वाले राजनीतिक दल महिलाओं को कितनी तरजीह देते हैं, यह देखने वाली बात होगी।

नंबर गेम

-78.46 लाख है राज्य में कुल मतदाता

-37.58 लाख हैं कुल महिला वोटर

-07 महिला विधायक हैं वर्तमान विधानसभा में

उत्तराखंड में महिला मतदाता

आयु वर्ग, संख्या

18-19 वर्ष, 18819

20-29 वर्ष, 718673

30-40 वर्ष, 1020575

40-49 वर्ष, 770192

50-59 वर्ष, 554726

60-69 वर्ष, 368514

70-79 वर्ष, 213907

80 वर्ष से अधिक, 93576

विधायक और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा, उत्तराखंड में महिलाएं पंचायत से लेकर सभी क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं। ऐसे में उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। हमने पार्टी हाईकमान से यही आग्रह किया है कि विधानसभा चुनाव में पिछली बार की अपेक्षा इस बार कहीं ज्यादा महिलाओं को टिकट दिए जाएं।

प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सरिता आर्य ने कहा, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पहले ही महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा कर चुकी हैं। उत्तराखंड के लिए भी हमने इसी तरह की मांग हाईकमान से की है। साथ ही यह भी कहा है कि पार्टी सर्वे कराए और राज्य में जो महिलाएं जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय हैं, उन्हें टिकट दिए जाएं।

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