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विस में नियुक्ति भर्ती को लेकर हरीश रावत की पुकार, स्पीकर, सीएम और नेता प्रतिपक्ष निकालें रास्ता

Uttarakhand Assembly Recruitment विधानसभा में नियुक्तियों का मामला गरमाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते रोज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कराने और अनियमित नियुक्तियों को निरस्त करने का अनुरोध किया है।

By Nirmala BohraEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 09:09 AM (IST)
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Uttarakhand Assembly Recruitment : पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत। फाइल
राज्य ब्यूरो, देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को बैठकर रास्ता निकालना चाहिए। इससे विधानसभा रूपी संस्था का मान-सम्मान और जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।

विधानसभा में नियुक्तियों का मामला गरमाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते रोज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कराने और अनियमित नियुक्तियों को निरस्त करने का अनुरोध किया है। जांच के दायरे में पिछली सरकार ही नहीं, बल्कि अब तक की सभी सरकारों के कार्यकाल में विधानसभा में हुईं नियुक्तियों के आने पर विचार शुरू हो गया है। कांग्रेस इन नियुक्तियों को लेकर सरकार पर हमला करने का मौका नहीं छोड़ रही है।

ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में सरकार को यह महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि भर्तियों को लेकर जो कुछ कहा जा रहा है, वह मंथन की तरह भी है। अभी सभी संस्थाओं में सुधार की प्रक्रिया जारी है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। अब यह सुनिश्चित हो गया है कि विधानसभा में भविष्य में नियुक्तियां एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक सर्वमान्य प्रक्रिया के तहत होंगी। प्रतियोगिता के माध्यम से होंगी।

पिछली टिप्पणियों को लेकर बैकफुट पर हरदा

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी सभी नियुक्तियां जिनका भले ही वैधानिक आधार हो, नैतिक आधार नहीं है। इन नियुक्तियों और नियुक्ति कर्त्ताओं के विषय में विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बैठकर रास्ता निकाल सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि भर्ती घोटाले की तह तक जाना आवश्यक है।

इस संबंध में अपनी पहले की गईं टिप्पणियों से पीछे हटते हुए उन्होंने कहा कि भर्ती घोटाले में संलिप्तता की वर्ष 2016 से ही जांच अब आवश्यक प्रतीत होती है। आयोग के अध्यक्ष के त्यागपत्र को लेकर किए गए ट्वीट को उन्होंने वापस लेने की बात कही। साथ ही कहा कि इस संस्था के कार्य की भी जांच होनी चाहिए। दोषियों को दंडित किया जाए।

पहले की भर्तियों में यदि घोटाले हुए हैं तो संबंधित व्यक्ति के शपथपत्र में लगाए गए आरोपों की जांच होनी चाहिए। इसके लिए अलग से एसटीएफ की टीम गठित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियों, पदोन्नतियों की भी स्क्रूट्नी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अनावश्यक भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार के माहौल से राज्य को बाहर निकलना चाहिए, ताकि सरकारी विभागों में नियुक्ति के लिए प्रतीक्षारत नौजवानों के साथ न्याय हो सके।

आंदोलनकारियों को आरक्षण देने को बुलाया जाए विस का सत्र

हरीश रावत ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए विधानसभा का सत्र बुलाकर वर्ष 2006 के निर्णय को कानूनी जामा पहनाया जाना चाहिए। इसके लिए विधेयक पारित कराने का सुझाव उन्होंने सरकार को दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ही हम अपनी मातृशक्ति से राज्य और उनके सम्मान के प्रति गंभीर होने की बात कह सकेंगे।

आर्य के रुख ने बढ़ाई कुंजवाल की दुविधा

प्रदेश में विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर विवाद बढऩे के साथ ही कांग्रेस के रुख ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल की दुविधा और मुश्किलें, दोनों बढ़ा दी हैं। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में भर्ती परीक्षा घपले के साथ विधानसभा में नियुक्तियों की जांच को लेकर पार्टी ने सरकार पर दबाव बढ़ाया है।

विशेष यह है कि कांग्रेस ने विधानसभा में नियुक्तियों में गड़बड़ी का मामला उठाने के दौरान अपनी ही पिछली सरकार और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्षों का बचाव नहीं किया है। प्रमुख विपक्षी दल के इस रुख से जांच की तपिश कांग्रेस की हरीश रावत सरकार और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल पर भी पड़नी तकरीबन तय मानी जा रही है।

राहुल गांधी ने तय कर दिया पार्टी का रुख

उत्तराखंड में आयोग की परीक्षाओं में अनियमितता और विधानसभा में नियुक्तियों पर विवाद पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चुका है। इसकी शुरुआत कांग्रेस ने ही की है। उत्तराखंड से बाहर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस ने इस विषय पर पूरे देश का ध्यान खींचने की कोशिश की, साथ में इसकी सीबीआइ जांच की मांग भी की है। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में विधानसभा में भर्तियों के मामले को उठाने में देर नहीं की थी।

माहरा कर रहे हैं अब तक नियुक्तियों में जांच की मांग

इस मामले को तूल दे रही प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी कांग्रेस ने विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर अपनी ही पिछली सरकारों का भी कोई बचाव नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी राज्य गठन के बाद से अब तक विधानसभा में हुईं नियुक्तियों की जांच की मांग से गुरेज नहीं कर रहे हैं। स्पष्ट है कि पार्टी इस मामले में किसी भी स्तर पर स्वयं को कमजोर पड़ने देने को तैयार नहीं है, ताकि सत्तारूढ़ भाजपा पर दबाव बनाए रखा जा सके।

आर्य को उनके कार्यकाल की जांच से नहीं आपत्ति

नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य भी कह चुके हैं कि उनके कार्यकाल में विधानसभा में हुईं नियुक्तियों की जांच से उन्हें आपत्ति नहीं है। वहीं कुंजवाल अपने कार्यकाल में विधानसभा में नियुक्तियों के मामले को पिछली भाजपा सरकार के दौरान होने वाली नियुक्तियों से अलग बता रहे हैं। यशपाल आर्य के कथन ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल पर भी दबाव बढ़ा दिया है।

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